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सीओटू के उत्सर्जन में वैश्विक कमी करना जरूरी: अमेजन वर्षावन का लगभग 38 प्रतिशत हिस्सा कटाई, पेड़ों की कैनोपी के नीचे आग लगने और बार-बार पड़ने वाले अत्यधिक सूखे के कारण नष्ट हो चुका है, जबकि
सड़क नेटवर्क पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है क्योंकि यदि वनों की कटाई पर स्थानीय रोक लगा दी जाए तो भी
जलवायु को बाधित करने वाली कार्बनडाइ ऑक्साइड (सीओटू) के उत्सर्जन में वैश्विक कमी करना जरूरी होगा। बदलती परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हो पा रहे जीव: जंगल में रहने वाले पेड़, पौधे, जानवर और
मनुष्य स्थानीय जलवायु की गर्म, नम स्थितियों, मौसमी बाढ़ और रेतीली, पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी से निपटने के लिए लाखों वर्षों में विकसित हुए हैं। लेकिन जैसे-जैसे जंगल की आग और सूखा आम होता
जा रहा है, पौधे और जानवर बदलती परिस्थितियों का सामना करने के लिए जल्दी से अनुकूल नहीं हो पा रहे। नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार एक क्षेत्र में जंगल के नष्ट होने से ‘स्व-चालित फीडबैक
लूप’ बन सकता है, जिससे जंगल के अन्य क्षेत्र नष्ट हो सकते हैं। वन हानि का प्रभाव सीमाओं तक सीमित नहीं: अमेजन दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन है और दक्षिण अमरीकी महाद्वीप का लगभग 40 फीसदी हिस्सा
कवर करता है। वन हानि का प्रभाव अमेजन की सीमाओं पर ही नहीं रुकता। अमेजन के माध्यम से पहुंचाई जाने वाली नमी दक्षिण अमरीकी मानसून का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और इसलिए महाद्वीप के विशाल भागों
में वर्षा के लिए ये वन आवश्यक हो जाते हैं। इसके अलावा अमेजन समग्र रूप से 15-20 वर्षों के दौरान मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जित सीओटू के बराबर कार्बन का भंडारण करता है। इसलिए अमेजन वनों का
नुकसान जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है और परिणामों को तीव्र करता है ब्राजील के अमेजन वर्षावन में हानि