कैसे मिलता है स्पर्म डोनर, जानिए कैसे होता है इसका पूरा प्रोसेस

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फिल्मों के जरिए आपको स्पर्म की अहमियत तो पता चली होगी. किसी की स्पर्म क्वालिटी सही न होने से किस तरह की मानसिक समस्याएं झेलनी पड़ती है ये भी आपने देखा ही होगा. फिल्मों के अलावा भी रियल लाइफ


में स्पर्म डोनर की अहम भूमिका होती है. जिसके लिए देश में कई जगह स्पर्म डोनेशन चलता है. इसके लिए बकायदा स्पर्म बैंक बनाए गए हैं. वहीं हाल ही में स्पर्म से जुड़ा हुआ एक मामला सामने आया है.


जिसने हर किसी को चौंका दिया है. आइए आपको इसके बारे में बताते है. Advertisment स्पर्म डोनर की वजह से 10 बच्चों को हुआ कैंसर दरअसल, यह मामला यूरोप का है. जहां पर एक आदमी ने स्पर्म डोनेट किया


था. जिससे उसने 67 बच्चों को जन्म दिया था. वहीं अब उन बच्चों में से 10 को कैंसर हो गया है क्योंकि इस स्पर्म डोनर का जीन दुर्लभ और खतरनाक  TP53 नाम का जीन था. वहीं 23 बच्चों में TP53 जीन


म्यूटेशन मिला है, जो ली-फ्रामेनी सिंड्रोम नाम की बीमारी से जुड़ा है और कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ाता है. कौन कर सकता है स्पर्म डोनेट डॉक्टर्स के अनुसार, जिस तरह से ब्लड बैंकों में अलग-अलग


ब्लड ग्रुप वाले ब्लड जमा किए जाते हैं, ताकि मेडिकल इमरजेंसी में इनका इस्तेमाल हो सके. ठीक इसी तरह फर्टिलिटी क्लीनिक में भी अंडाणु और शुक्राणु बैंक बनाए जाते हैं. जहां स्पर्म डोनेट करने वालों


की पहचान को सीक्रेट रखा जाता है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की कोई दिक्कतें न आए. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्पर्म डोनेशन के भी कुछ क्राइटेरिया हैं, उसे पूरा करने वाले ही स्पर्म डोनेट


कर सकते हैं. क्या है क्राइटेरिया Assisted Reproductive Technology Bill, 2021 के अनुसार, भारत में 18 से 39 साल की उम्र वाले पुरुष अपना स्पर्म डोनेट कर सकते हैं.  कुछ स्पर्म डोनेशन बैंक में


स्पर्म डोनेशन की उम्र 34  भी तय की गई है. ऐसा इसलिए, क्योंकि कोई व्यक्ति सिर्फ एक ही बार स्पर्म डोनेट कर सकता है. अगर कोई स्पर्म डोनेट करना चाहता है तो उसे फैमिली हिस्ट्री, पारिवारिक


बीमारियों की जानकारी देनी होती है. स्पर्म डोनेशन से पहले ब्लड टेस्ट, HIV और स्पर्म डोनेशन बैंक के मेडिकल टेस्ट करवाने होते हैं. स्पर्म डोनेट करने वालों को अपनी सेक्सुअल हिस्ट्री भी बतानी


पड़ती है. शराब, सिगरेट और किसी तरह की दवा का सेवन करने की आदत है, तो इसकी भी जानकारी देनी पड़ती है.  शारीरिक जांच होती है अगर कोई स्पर्म डोनेट करना चाहे तो सबसे पहले उसकी शारीरिक जांच होती


है कि कहीं कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है. शादीशुदा हैं या सिंगल इसका स्पर्म डोनेशन से कोई संबंध नहीं. स्पर्म डोनेशन के बाद उसे 6 महीने तक क्रायो क्रेन में फ्रिज किया जाता है. फिर उसकी क्वालिटी


चेक की जाती है. इसके बाद फीमेल बॉडी में इंजेक्ट किया जाता है. DISCLAIMER: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. NEWS NATION इसकी पुष्टि नहीं करता है.