मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से बच्चों में ऑटिज्म का खतरा बढ़ा, समय पर लक्षणों की पहचान जरूरी

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Hindi NewsUP NewsExcessive use of Mobile Phone screen time by kids raise Autism risk timely detection needed ऑटिज्म के लक्षणों की समय पर पहचान जरूरी है। काउंसिलिंग व रिहैब्लिटेशन से बीमारी


को गंभीर होने से रोका जा सकता है। लेकिन बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। Ritesh Verma वरिष्ठ संवाददाता, लखनऊWed, 21 May 2025 03:47 PM Share Follow Us on __ बच्चों के बीच


मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से उनमें ऑटिज्म का खतरा बढ़ गया है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओपीडी में हर महीने 40 से 50 बच्चे मोबाइल व दूसरे कारणों से


ऑटिज्म के शिकार होकर आ रहे हैं। काउंसिलिंग और दवाओं से बच्चों का इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना कि एक बार ऑटिज्म की चपेट में आने के बाद बच्चे के पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद बहुत ही


कम होती है। समस्या पर जरूर काबू पाया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह एक न्यूरोलॉजिकल और विकासात्मक बीमारी है जो दिमाग के विकास को प्रभावित


करती है। पांच साल तक के बच्चों में इस बीमारी के पनपने का खतरा अधिक रहता है। कुछ बच्चे जन्म से बीमार होते हैं। यह अनुवांशिक भी हो सकता है। इसमें बच्चा दूसरे लोगों से बातचीत करने में कतराता


है। एक ही बात को बार-बार दोहराता है। संवाद करने में भी बच्चे को कठिनाई होती है। किसी भी चीज को सीखने की क्षमता सामान्य बच्चों से कम होती है। व्यवहार करने का तौर-तरीका भी बदल जाता है। अकेलेपन


से भी बच्चों में दिक्कत केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर विवेक अग्रवाल ने बताया कि बच्चों का अधिकांश समय मोबाइल पर गुजर रहा है। इससे बच्चे समाज से पूरी तरह से कट जाते


हैं। साथ के बच्चों से बातचीत नहीं हो पाती है। बच्चे एक साथ खेलते नहीं हैं। लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने से बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है।