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FIGHTER RAFALE NEWS: राफेल का फ्यूजलाज एक उन्नत स्ट्रक्चर होता है। इसके निर्माण का काम भारत को मिलना देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने कहा है कि पहली संरचना 2028
तक बनकर तैयार होगी। FIGHTER JET RAFALE NEWS: हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुश्मन पर अचूक वार करने वाले फाइटर जेट राफेल से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। अब पहली बार फ्रांस से बाहर इस
फाइटर जेट की रीढ़ कहा जाने वाला हिस्सा यानी फ्यूजलाज भारत में बन सकेगा। फाइटर जेट राफेल को बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने इस बावत गुरुवार (5
जून) को एक समझौते पर दस्तखत करने की घोषणा की है। दोनों कपंनियों के बीच हुए करार के तहत टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लड़ाकू विमान के प्रमुख ढांचे का उत्पादन करने के लिए हैदराबाद में एक अत्याधुनिक
उत्पादन केंद्र की स्थापना करेगी। क्या होता है फ्यूजलाज? दरअसल, फ्यूजलाज किसी विमान का मुख्य ढांचा होता है, जिसमें अगला और मुख्य हिस्सा शामिल होता है। इसमें विमान का इंजन, पंख या आखिरी हिस्सा
यानी पूंछ शामिल नहीं होता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर विमान एक पंछी है तो उसका धड़ फ्यूजलाज है, जिसमें सिर, पंख और पूंछ जुड़े होते हैं। इसकी संरचना की वजह से इसे रीढ़ भी कहा जाता है,
जो आगे से लेकर पीछे तक फैला होता है और विमान के बाकी हिस्सों से जुड़ा होता है। राफेल जैसे लड़ाकू विमान का फ्यूजलाज बनाना भारत के एविएशन डिजायन और निर्णाण के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।
हवाई जहाज का यह हिस्सा या बॉडी एक लंबी खोखली ट्यूब होती है जो हवाई जहाज के सभी हिस्सों को एक साथ जोड़े रखती है। विमान का वजन कम करने के लिए धड़ खोखला होता है। हवाई जहाज के ज़्यादातर दूसरे
हिस्सों की तरह, धड़ का आकार आम तौर पर विमान के मिशन के हिसाब से तय होता है। फ्यूजलाज शब्द लैटिन भाषा के फ्यूसस या "स्पिंडल" से आया है, जो हवाई जहाज के केंद्रीय ट्यूब के आकार वाले
हिस्से के आकार का वर्णन करता है। विमान के इसी हिस्से में यात्रियों और उसके सामान को रखा जाता है। इसके सबसे अगले हिस्से में कॉकपिट भी शामिल होता है, जहाँ पायलट और सह-पायलट विमान को नियंत्रित
करते हैं। पहला फ्यूजलाज 2028 तक होगा तैयार टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने कहा कि हैदराबाद में स्थापित होने वाली फैक्टरी में राफेल के पहले ढांचे का निर्माण वर्ष 2028 तक होने की
संभावना है और उत्पादन केंद्र से प्रति माह दो पूर्ण ढांचों की आपूर्ति होने की उम्मीद है। TASL ने कहा कि वह हैदराबाद में राफेल के प्रमुख संरचनात्मक खंडों के निर्माण के लिए एक अत्याधुनिक
उत्पादन सुविधा स्थापित करेगी, जिसमें पिछले हिस्से का ढांचा, पूरा पिछला भाग, बीच का हिस्सा और अगला हिस्सा शामिल हैं। ये भी पढ़ें:अब भारत में ही बनेगी राफेल की मेन बॉडी, टाटा और डसॉल्ट मिलकर
करेंगे तैयार ये भी पढ़ें:ऑपरेशन सिंदूर के बाद राफेल बनाने वाली कंपनी के शेयर ने भरी उड़ान, अब ये है हाल ये भी पढ़ें:PAK ने मार गिराए थे भारत के चार राफेल समेत छह फाइटर जेट्स? CDS ने बता दिया
सच चार प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर दस्तखत टीएएसएल ने कहा कि उसने भारत में राफेल लड़ाकू विमान के ढांचे के निर्माण के लिए दसॉल्ट एविएशन के साथ चार उत्पादन हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर
किए हैं। उसने कहा कि यह देश की एयरोस्पेस विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को समर्थन देने की दिशा में एक अहम कदम है। दसॉ एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रैपियर
ने कहा, ‘‘पहली बार राफेल के धड़ का उत्पादन फ्रांस के बाहर किया जाएगा। यह भारत में हमारी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय एयरोस्पेस
उद्योग में प्रमुख कंपनियों में से एक, टीएएसएल सहित हमारे स्थानीय भागीदारों के विस्तार के कारण, यह आपूर्ति श्रृंखला राफेल के सफल विस्तार में योगदान देगी और हमारे समर्थन से हमारी गुणवत्ता और
प्रतिस्पर्धात्मकता आवश्यकताओं को पूरा करेगी।’’ टीएएसएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक सुकरन सिंह ने कहा कि यह साझेदारी भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र में एक अहम कदम है। (भाषा
इनपुट्स के साथ)