पहले कहा था प्राण प्रतिष्ठा पर जाऊंगा अयोध्या, आलाकमान का रुख देख पलटे विक्रमादित्य

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हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। पार्टी हाईकमान का रुख सामने आने के बाद उन्होंने अयोध्या जाना टाल


दिया है। Krishna Bihari Singh लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाTue, 16 Jan 2024 01:04 AM Share Follow Us on __ सोशल मीडिया पर अपनी पोस्टों में श्रीराम का उद्घोष करने वाले हिमाचल प्रदेश सरकार में


कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह अब 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस नेतृत्व के निर्देशों के बाद विक्रमादित्य सिंह ने


प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि वह अयोध्या में राम लला का दर्शन और उनका आशीर्वाद लेने जरूर जाएंगे। विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को


शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस हाईकमान अपना रुख साफ कर चुका है। पार्टी के निर्देश उनके लिए मान्य हैं।  गौर करने वाली बात यह कि


कांग्रेस हाईकमान की ओर से पार्टी के किसी भी नेता को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अयोध्या जाने से मना नहीं किया गया है। हाईकमान का कहना है कि जो भी इस कार्यक्रम में जाना चाहता है वह स्वतंत्र


है। विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर बनना हिंदुओं के लिए गर्व का पल है। इसे सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि उनकी राम में आस्था है। वह


रामलला का आर्शीवाद लेने अयोध्या अवश्य जाएंगे। इसके साथ ही जगन्नाथपुरी, महाकाल, तिरूपति नाथ और द्वारिका जैसे ऐतिहासिक मंदिरों के भी दर्शन करेंगे। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह कांग्रेस के


कर्मठ कार्यकता हैं। कांग्रेस की विचारधारा उनकी विचारधारा है। कांग्रेस ने देश को बांटने वाली सांप्रदायिक ताकतों का विरोध किया है और आगे भी करती रहेगी। वर्ष 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव


गांधी ने रामलला के मंदिर का ताला तोड़ने का निर्णय लिया था। हमें भाजपा और आरएएस से हिंदू होने का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। विक्रमादित्य सिंह ने आगे कहा कि हिमाचल देवभूमि है। हिंदू


होने के नाते हमारा दायित्व है कि हम अपनी देव संस्कृति को बचाकर रखें। उनके स्वर्गीय पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह देश में सबसे पहले धर्मांतरण का कानून हिमाचल प्रदेश में लेकर आए थे।


बता दें कि विक्रमादित्य सिंह पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के सुपुत्र हैं। विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और लोकसभा सांसद हैं। विक्रमादित्य सिंह और प्रतिभा


सिंह को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता मिला है। विक्रमादित्य सिंह ने आठ जनवरी को कहा था कि वह रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे।