कोरोना की आंच से किसानों को बचाने की तैयारी शुरू, खाते में सीधे राशि देने पर विचार 

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केंद्र सरकार किसानों को कोरना संकट से बचाने के लिए युद्ध स्तर पर रणनीति बना रही है। कोरोना के चलते फल, अनाज और चीनी जैसे उत्पादों का निर्यात बेहद धीमा हो गया है। ऐसे में किसानों के पास न


सिर्फ इसका... Drigraj Madheshia । सौरभ शुक्ल, नई दिल्लीFri, 20 March 2020 07:56 AM Share Follow Us on __ केंद्र सरकार किसानों को कोरना संकट से बचाने के लिए युद्ध स्तर पर रणनीति बना रही है।


कोरोना के चलते फल, अनाज और चीनी जैसे उत्पादों का निर्यात बेहद धीमा हो गया है। ऐसे में किसानों के पास न सिर्फ इसका भंडार बढ़ता जा रहा है बल्कि खपत घटने से आने वाले दिनों में मिलने वाले दाम भी


घटने का संकट खड़ा हो गया है। सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया है कि सरकार जल्द ही निर्यात के लिए अलग-अलग उत्पादों के लिए तय कोटा बढ़ा सकती है साथ ही किसानों को राहत देते हुए उनके खाते में


सीधे रकम ट्रांसफर करने की रणनीति पर भी विचार हो रहा है। चीनी का इस्तेमाल घटा इस संकट से सबसे ज्यादा और लंबे समय तक चीनी उद्योग प्रभावित हो रहा है। कोरोना के चलते देश में सामाजिक जमावड़े,


शादी, पार्टियां टलने और कुछ शहरों में मॉल मल्टीप्लेक्स बंद होने से मीठे पेय पदार्थों और चीनी का इस्तेमाल घटा है। इसका असर न सिर्फ घरेलू चीनी बाजार और दामों पर पड़ा है बल्कि एक्सपोर्ट भी


गिरना शुरू हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फरवरी महीने में 425 डॉलर प्रति टन निर्यात होने वाली चीनी अब 350 डॉलर प्रति टन के करीब पहुंच गई है। वहीं देश में मिल से निर्यात होने वाली चीनी


में भी 300-400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई है। आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ये गिरावट और गहरा सकती है। किसानों की बढ़ सकती है मुश्किल चीनी के अलावा सोयाबीन, फल,


मक्का, चावल, कपास और जूट का भी भारत बड़ा निर्यातक है। तमाम देशों की सीमाएं दूसरे देशों के लिए बंद हो जाने के चलते दुनिया के बाजारों में बिक्री घटने लगी है। आलम ये है कि पहले से दिए गए


कॉन्ट्रैक्ट की भी अब डिलिवरी टाली जा रही है। किसानों  और कृषि उत्पादों के कारोबारियों को आशंका है कि आने वाले दिनों में ये ऑर्डर रद्द हो जाएंगे जिससे ये माल घरेलू बाजार में बेचना पड़ेगा। ऐसा


होने पर सीधा असर किसानों की होने वाली कमाई पर पड़ना तय है। कृषि मामलों के जानकार दुर्गेश शर्मा के मुताबिक चीनी कारोबार में सुस्ती का असर लंबे समय तक चल सकता है। ऐसे में कंपनियों को नुकसान


हुआ तो उसका सीधा असर किसानों के उपर पड़ेगा। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे इस असर को कम किया जा सके। सरकार किसानों के खाते में सीधे सब्सिडी देकर या फिर कंपनियों को


इंसेंटिव देकर इस असर को कम कर सकती है। चीनी के कारोबारियों की चिंता इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएश यानी आईएसएमए के निदेशक जनरल अबिनाश वर्मा ने हिन्दुस्तान को बताया है कि देश में जनवरी और फरवरी


महीने में निर्यात अच्छा रहा है और कंपनियों को मुनाफा भी हुआ लेकिन मार्च महीने में दुनियाभर में कोरोना संकट के चलते एक्सपोर्ट 25 फीसदी गिर गया। उन्होंने ये भी बताया है कि इस संकट के चलते


कच्चा तेल भी सस्ता हुआ है और जो देश गन्ने का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने में करते थे वो अब ईंधन के लिए पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता बढ़ा सकते हैं और गन्ने से चीनी बनाएंगे जिससे भी आने वाले दिनों में


मुश्किल आ सकती है। ऐसे में आईएसएमए ने सरकार से मांग की है कि सरकार मार्च महीने के 21 लाख टन चीनी के निर्यात के कोटे को अगले महीने के लिए भी बढ़ा दे ताकि कंपनियां अपना निर्यात कर सकें। ऑर्डर


रद्द हुए तो आएगी मुश्किल फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक देश के तमाम निर्यात ऑर्डर जो काफी पहले से बुक कर दिए गए थे उन्हें अब फिलहाल रोक दिया गया है। ऐसे में आने वाले


दिनों में जरूरत न होने पर या फिर बाजार में नया माल आना शुरू हो जाने से पुराने ऑर्डर रद्द हो जाने की आशंका है। ऐसे में सरकार से जल्द उन कारोबारियों को राहत देने का ऐलान किए जाने की मांग हो


रही है।