ऑक्सीजन के नाम पर खेल, लगाए जा रहे खाली सिलेंडर

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BANDA NEWS - ऑक्सीजन के नाम पर खेल, लगाए जा रहे खाली सिलेंडर Newswrap हिन्दुस्तान, बांदाMon, 14 Sep 2020 10:34 PM Share Follow Us on __ कोरोना संक्रमण काल में आक्सीजन सिलेंडर में खेल हो रहा


है कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे आक्सीजन की मांग बढ़ी तो सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक संकट पैदा हो गया है। गंभीर मरीजों के लिए आसानी से आक्सीजन नहीं मिल पा रही।


जिला अस्पताल में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आक्सीजन सिलेंडर में जमकर खेल हो रहा है। भरे सिलेंडरों की जगह मरीजों को खाली सिलेंडर लगाये जा रहे हैं। जिम्मेदारों का कहना है


कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन सिलेंडर है। कोरोना मरीजों के अलावा अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है। संक्रमण के चलते आक्सीजन सिलेंडरों की मांग भी बढ़ी है। जिला अस्पताल में आक्सीजन


सिलेंडरों के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। बताया जाता है कि इन दिनों सिलेंडरों में आक्सीजन कम आ रही है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों को आक्सीजन सिलेंडर लगाते हैं और


कुछ ही देर में आक्सीजन खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में एक -एक मरीज को तीन-तीन सिलेंडर लगाये जाते हैं। ऐसे में गंभीर मरीजों की जान पर बन आती है। तीमारदार दोबारा स्वास्थ्य कर्मचारी को आक्सीजन


लगवाने के लिए बुलवाते हैं। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य कर्मचारी भी झुंझला उठते हैं। सबसे ज्यादा हालत तो वार्ड में भर्ती मरीजों की खराब रहती है। मरीज बताते हैं कि अगर उन्हें आक्सीजन की जरूरत पड़ी


तो स्वास्थ्य कर्मचारी आक्सीजन लगाने के बाद वहां से गायब हो जाते हैं। आक्सीजन सिलेंडर कुछ ही देर में बंद हो जाता है। ऐेसे में मरीज की शांस थमने लगती है। 22 मेगा सिलेंडर है मौजूद, पाइप लाइन


बंद बांदा। जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के पलंग पर ही आक्सीजन लगाये जाने के लिए आक्सीजन सेंटर बनाया गया है। यहां पर बड़े (मेगा) सिलेंडरों को लगाकर पाइप लाइन के जरिए मरीजों तक आक्सीजन पहुंचाई


जाती है। जब मरीजों को आवश्यकता पड़ती थी मरीज खुद ही अपने हांथ से आक्सीजन लगा लेता था। इन दिनों वह पाइप लाइन भी बंद पड़ी हुई है। मरीज छोटे सिलेंडर के भरोसे ही टिका रहता है। वेंटीलेटरों में लगे


हैं बड़े सिलेंडर बांदा। कोरोना काल के बाद जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में चार बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। आक्सीजन प्लान्ट में लगे मेगा सिलेंडरों को वहां से हटाकर वेंटीलेटरों में लगा


दिए गए हैं। जिससे मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चीफ फार्मासिस्ट औषधि जे एल राजपूत ने बताया कि अब उनके पास 22 बड़े सिलेंडर उपलब्ध हो गए हैं। गैस की किल्लत नहीं है। जिला


अस्पताल में 90 आक्सीजन सिलेंडर मौजूद हैं बांदा। चीफ फार्मासिस्ट औषधि भंडार जे एल राजपूत ने बताया कि उनके पास इन दिनों 90 आक्सीजन सिलेंडर छोटे मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि पहले वह कानपुर से


आक्सीजन भरवाते थे। लेकिन वह लापरवाही करता था। इन दिनों आक्सीजन नौगांव से आ रही है। किसी सिलेंडर में 140 क्यूसिक आक्सीजन आती है तो किसी सिलेंडर में 150 क्यूसिक आक्सीजन आती है। सिलेंडर में डेट


का लेबल भी लगा होता है। क्या कहते हैं जिम्मेदार बांदा। सीएमएस डॉक्टर सम्पूर्णानन्द मिश्र ने बताया कि आक्सीजन सिलेंडरों में आक्सीजन कम होने की बात उन्हें पता चली है। वह इस मामले को गंभीरता


से लेते हुए जांच करवा रहे हैं। आक्सीजन की कमी अस्पताल में नहीं है। आक्सीजन सिलेंडरों को नाप तौल के बिना नहीं लिया जायेगा। जब भी आक्सीजन सिलेंडर भरकर आयेगा उसमे उसकी तौल और मात्रा लिखी होगी।