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ऑपरेशन ब्लू स्टार, आंतरिक सुरक्षा को लेकर भारतीय सेना का अब तक का सबसे बड़ा अभियान। 6 जून को इसकी 35वीं बरसी है लेकिन जून के पहले हफ्ते में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर
अमृतसर में हुई सेना की कार्रवाई को आज भी जो सुनता है एक फिल्मी सीन का सामने गुजर जाता है। सेना का यह ऑपरेशन मुख्य तौर पर 3 से 8 जून 1984 तक चला. आपको बता दें कि 1984 में जून की तारीख जिस दिन
मैडम इंदिरा ने सेना को ये आदेश दिया था, स्वर्ण मंदिर पर 3 साल से सिख अलगावादी संगठन कब्जा करके बैठा था। इसी के मद्देनजर उन्होंने खालिस्तान के प्रबल समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले को समाप्त
करने और सिखों की आस्था के पवित्रतम स्थल स्वर्ण मंदिर को उग्रवादियों से मुक्त करने के लिए यह अभियान चलाया था। स्वर्ण मंदिर खाली करा लिया गया लेकिन मैडम इंदिरा की हत्या उन्हीं के सिख बॉडीगार्ड
ने कर दी। आइए सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं स्वर्णमंदिर पर आतंकी कब्जे से लेकर इंदिरा के अंत तक की कहानी: * 1981 तक आतंकवादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अपना सुरक्षित पनाहगार बना लिया
था। बड़ी तादात में असलहे वहां जमा हो चुके थे। भारतीय खुफिया एजेंसी को सूचना मिली थी कि बड़ी संख्या में इन आतंकवादियों में ऐसे थे जिन्होंने पाकिस्तान में रहकर सेना के साथ हथियार चलाने की
ट्रेनिंग ली थी। पाकिस्तान ने भी भारत सरकार के खिलाफ शुरू हुए इस आंतरिक विद्रोह को मौका समझकर इन अलगाववादियों की खूब मदद की। * 1983: इस बीच जरनैल सिंह भिंडरेवाला आतंकियों का धर्मगुरु पूरी तरह
स्वर्ण मंदिर को अपने कब्जे में ले चुका था। उसी के संरक्षण में सरकार से लड़ाई की पूरी रणनीति चल रही थी। भिंडरावाले ने हरमंदिर साहब को पूरी तरह अपना अड्डा बना लिया. * फरवरी 1984: स्पेशल ग्रुप
के सदस्य श्रद्धालुओं और पत्रकारों के वेश में स्वर्ण मंदिर में घुसकर आसपास का सारा नक्शा देख आए. * अप्रैल 1984: खुफिया तंत्र से सूचना के बाद इंदिरा गांधी ने पंजाब और असम में आतंकवादियों से
मुकाबला के लिए गुप्त रूप से स्पेशल ग्रुप या एसजी नाम की एक यूनिट तैयार की। सेना के छह जांबाज अधिकारियों को इजरायली कमांडो फोर्स सायरत मतकल के खुफिया अड्डे पर पहुंचाया गया। तेलअवीव के पास
स्थित इस अड्डे पर इन सैनिक अधिकारियों की सड़कों, इमारतों और गाडिय़ों के बड़ी सावधानी से बनाए गए मॉडलों के बीच आतंक से लड़ने की 22 दिन तक ट्रेनिंग चली। * ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले सेना ने
प्रोजेक्ट सनरे की तैयारी की थी। इसके तहत सेना के ब्लैक कमांडोज़ सूरज ढ़लने के बाद खुफिया तरीके से स्वर्ण मंदिर में घुसकर वहां आतंकियों का खात्मा कर देते। हेलिकॉप्टर में सवार कमांडोज को
स्वर्ण मंदिर के पास गुरु नानक निवास गेस्ट हाउस में उतारने की योजना थी। उसके बाद वहां से भिंडरावाले को उठा ले जाते। पर इंदिरा गांधी ने उस दौरान इस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद शुरू
हुई ऑपरेशन ब्लू स्टार की तैयारी। * 1 जून, 1984: सीआरपीएफ और बीएसएफ ने गुरु रामदास लंगर परिसर पर घुसकर फायरिंग शुरू कर दी। सेना के आदेश पर हुई इस फायरिंग में 8 लोग मारे गए। * 2 जून, 1984:
इंडियन आर्मी ने सभी अंतरराष्ट्रीय सीमा सील कर दी. पंजाब के गांवों में सेना के 7 बटालियन को तैनात कर दिया गया। मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी गई। पंजाब में रेल, रोड और हवाई सेवाएं ठप हो गईं। पानी
और बिजली की सप्लाई तक रोक दी गई। किसी के भी बाहर जाने या अंदर आने की पाबंदी थी। * 3 जून, 1984: पूरे पंजाब में कर्फ्यू था। सेना और पैरामिलिट्री गश्त बढ़ाने लगी। मंदिर परिसर से लगे सभी रास्ते
सील हो गए थे। * 4 जून, 1984: सेना ने एतिहासिक रामगढिया बंगा पर बमबारी शुरू की। इस दौरान 100 से ज्यादा लोग मारे गए। एसजीपीसी के पूर्व प्रमुख गुरुचरण सिंह तोहड़ा को भिंडरवाले से बातचीत के लिए
भेजा गया। बातचीत नाकाम रही और फायरिंग फिर शुरू हुई। * 5 जून, 1984: सुबह होते ही हरमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर परिसर के भीतर गोलीबारी शुरू हो गई। सेना की 9वीं डिविजन ने अकाल तख्त पर सामने
से हमला किया। इंतजार सूरज ढलने का था। रात साढ़े दस बजे के बाद 20 ब्लैक कमांडोज चुपचाप स्वर्ण मंदिर में दाखिल हुए। उन्होंने नाइट विजन चश्मे, एम-1 स्टील हेल्मेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहनी थीं।
सभी के पास एमपी-5 सबमशीनगन और एके-47 राइफल थीं। * हर कमांडो शार्पशूटर, गोताखोर और पैराशूट के जरिए विमान से छलांग लगाने में माहिर था और 40 किलोमीटर की रफ्तार से मार्च कर सकता था। उनमें से कुछ
ने गैस मास्क पहन रखे थे और योजना आंसू गैस, सीएक्स गैस के गोले छोड़ने की थीं। ताकि कम से कम नुकसान में इस ऑपरेशन को खत्म किया जा सके। * 6 जून, 1984: सुबह चार बजे तीन विकर-विजयंत टैंक को भी
तैनात कर दिया गया। उन्होंने 105 मिलिमीटर के गोले दागकर अकाल तख्त की दीवारें उड़ा दीं। फिर कमांडो और पैदल सैनिक धरपकड़ के लिए घुस गए। सुबह छह बजे रक्षा राज्यमंत्री के.पी. सिंहदेव ने आर.के. धवन
के निवास पर फोन किया। उन्होंने इंदिरा गांधी तक यह संदेश पहुंचाने को कहा कि ऑपरेशन कामयाब रहा, लेकिन बड़ी संख्या में सैनिक और असैनिक मारे गए। * 7 जून, 1984: सेना ने हरमंदिर साहिब परिसर यानी
स्वर्ण मंदिर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया। * 10 जून, 1984: दोपहर तक पूरा ऑपरेशन सेना खत्म कर चुकी थी। * 31 अक्टूबर, 1984: देशभर में सिखों के अंदर विद्रोह की आग लग चुकी थी। इंदिरा गांधी की उनके
दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद सिख विरोधी दंगे देशभर में हुए।