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महाशिवरात्रि 2018 पूजा विधि: महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है, हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन विशेष
रुद्राभिषेक का महत्व माना जाता है और इस दिन भगवान शिव के पूजन से सभी रोग और शारीरिक दोष समाप्त हो जाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये पर्व जनवरी या फरवरी के माह में मनाया जाता है, इस
वर्ष 14 फरवरी 2018 को महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के प्रदोषकाल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था। प्रदोष काल में
महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था। शास्त्रनुसार सर्वप्रथम ब्रह्मा व विष्णु ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन किया था और सृष्टि की कल्पना की थी।
महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। शिवलिंग के साथ भगवान शिव की मूर्ति का भी अभिषेक किया जाता है। शिव अभिषेक में दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, चीनी और
पानी जैसी विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पर जलाभिषेक के बाद बेल पत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। भगवान शिव का सबसे प्रिय धतूरा होता है, इसे अर्पित करना लाभदायक माना
जाता है। शिवपुराण के अनुसार शिव का अभिषेक गंगाजल या दूध, बेलपत्र आदि से किया जाता है
भगवान शिव का पूजन करने से पहले शुद्ध आसन पर बैठकर जल से आचमन किया जाता है। इसके बाद जनेऊ धारण करके शरीर को शुद्ध किया जाता है। धूप और दीपक प्रज्जवलित कर पूजन की तैयारी की जाती है।
महाशिवरात्रि के पूजन में स्वस्ति का पाठ किया जाता है।‘स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदाः, स्वस्ति न स्तारक्ष्यों अरिष्टनेमि, स्वस्ति नो बृहस्पति दर्धातु’
महाशिवरात्रि 2018 पूजा शुभ मुहूर्त: महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरु होकर 14 फरवरी तक रहेगा। इस दिन भगवान शिव का पूजन सुबह 7 बजकर 30 मिनट से शुरु होकर दोपहर 3 बजकर 20
मिनट तक किया जाएगा।
भगवान गणेश और गौरी माता के पूजन का संकल्प लेकर पूजन शुरु किया जाता है। रुद्राभिषेक करने वाले भक्त को नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का पूजन पहले करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग को बिल्वपत्र और चावल
अर्पित करें। बिल्वपत्र अर्पित करने से पहले उन पर ऊं नमः शिवाय मंत्र लिखें। इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान करवाएं। इसके बाद सुगंध और शुद्ध जल से स्नान करवाया जाता है। इसके बाद भगवान
शिव को जनेऊ अर्पित करें। इसके बा इत्र, अक्षत, फूल माला, बिल्वपत्र, धतूरा और भांग अर्पित किया जाता है। इसके बाद भगवान शिव की आरती की जाती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु एक अटल सत्य है। मृत्यु से पहले व्यक्ति को अपने कर्मों का चलचित्र दिखाई देता है, अजीब परछाइयाँ दिखती हैं, स्वर्गीय आत्माएँ और यमदूतों के दर्शन होते हैं। पितरों
से जुड़े सपने भी आते हैं। ये सभी मृत्यु के संकेत हैं, जो व्यक्ति को उसके अंत के करीब होने का एहसास कराते हैं।