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बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इन दिनों अपनी ही पार्टी के लोगों से नाखुश हैं। वे आए दिन सरकार के फैसला पर सवाल खड़े करते रहते हैं। सोमवार को स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए उत्तराखंड
में अपनी ही पार्टी के हाल पर नाराजगी जताई है। स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि मेरी ही पार्टी के कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में मेरे एक मामले के खिलाफ तर्क दायर करने के लिए एक ईसाई संगठन से पैसा
लिया है। स्वामी ने लिखा “वास्तव में भाजपा के नैतिक पतन को देखकर बहुत दुख होता है। कुछ लोगों ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में मेरे मंदिर मामले के खिलाफ तर्क दायर करने के लिए एक बैपटिस्ट ईसाई संगठन
से वित्तीय मदद ली है।” स्वामी द्वारा हाईकोर्ट में उत्तराखंड सरकार के चारधाम देवस्थानम एक्ट को निरस्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस मामले पर कोर्ट ने फैसला
सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई 29 जून से लगातार हो रही थी। स्वामी द्वारा दायर की गई याचिका के अनुसार यह एक्ट असवैधानिक है और संविधान के अनुछेद 25,26 और 32 के विरुद्ध है। याचिका में
मुख्यमंत्री समेत अन्य को बोर्ड में रखने का भी विरोध किया गया। याचिका में कहा गया है कि समिति में मुख्यमंत्री को भी सम्मिलित किया गया है। मुख्यमंत्री का कार्य तो सरकार चलाना है और वे
जनप्रतिनिधि हैं, उनको इस समिति में रखने का कोई औचित्य नहीं है। मन्दिर के प्रबंधन के लिए पहले से ही मन्दिर समिति का गठन हुआ है। [embedded content] सरकार ने स्वामी के जवाब में कहा कि राज्य
सरकार का एक्ट एकदम सही है और वह किसी की भी धार्मिक आज़ादी का उल्लंघन नहीं करता और उसके धार्मिक स्थलों से दूर नहीं करता। बता दें कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में उत्तराखंड सरकार ने बदरीनाथ,
केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के 51 मंदिरों का प्रबंधन हाथ में लेने के लिए चार धाम देवस्थानम एक्ट से एक बोर्ड, चार धाम देवस्थानम बोर्ड बनाया था। तीर्थ पुरोहित शुरु से ही इसका
विरोध कर रहे थे, बाद में उन्हें बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी साथ मिल गया।