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संसद कैंटीन में रियायती दर पर खाना को लेकर हो रहे विवाद के बावजूद कार्ड पर भोजन के मूल्य में वृद्धि का कोई प्रस्ताव नहीं है। संबंधित समिति का इस बारे में मानना है कि इस तरह के कदम से
कर्मचारी और मीडियाकर्मी प्रभावित होंगे। संसद के खाद्य प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ए पी जितेंदर रेड्डी ने कहा ‘‘एक खास टीवी चैनल द्वारा इसको लेकर ज्यादा हो हल्ला मचाया जा रहा है और खास कर
सांसदों को निशाना बनाया जा रहा है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि सांसद इसका सबसे कम उपयोग करते हैं।’’ रेड्डी ने इस मुद्दे पर हो रहे विवाद को खेद योग्य बताते हुए कहा कि आलोचक इस चीज को नजरंदाज
कर रहे हैं कि रियायती दर पर खाना कुछ कॉरपोरेट द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों को सुविधा देने के तहत ऐसा करती हैं। उन्होंने सुझाव दिया ‘‘अगर मामला
यही है तो केवल संसद के बारे में बात करना जरूरी तौर पर सांसदों के बारे में अच्छा संदेश नहीं देता।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने कल समिति की बैठक बुलाई है लेकिन साथ ही कहा कि दरों में परिवर्तन का
कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही इस मुद्दे पर हो होल्ला मच रहा हो लेकिन समिति की आंतरिक सर्वे में यह पता चलता है कि सत्र के दौरान 800 में से केवल 120 से 250 सांसद ही कैंटीन में
खाते हैं। सामान्य तौर पर एक वर्ष में 100 दिन से भी बहुत कम दिन सत्र चलता है।