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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का यह दाखिला सत्र ‘प्रयोग सत्र’ के रूप में दर्ज किया गया। यह पहला मौका है जब डीयू में एक ओर पढ़ाई चल रही है तो दूसरी ओर उसी सत्र के लिए दाखिले हो रहे हैं। पहले के
फैसले पर डीयू के यू-टर्न लेने का खमियाजा अब नए छात्रों को भुगतना पड़ेगा, जो पढ़ाई शुरू होने के सवा महीने बाद कक्षा में पहुंचेंगे। ‘केवल पांच’ कटआॅफ जारी करने का डीयू का फैसला टांय-टांय फिस्स
साबित हुआ। सीटें खाली रहीं, इसके बाद मेरिट से दाखिले देने के लिए आवेदन मांगे गए। ‘मेरिट के जरिए कटआॅफ से छुटकारा’ वाला डीयू का नया प्रयोग कॉलेजों की सुस्ती की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन के
दावे पर खरा नहीं उतर पाया। कॉलेजों के रवैए ने डीयू के इस प्रयोग पर बट्टा लगा दिया। कई कॉलेजों ने समय पर अपने यहां बची सीटों का ब्योरा जारी नहीं किया। छात्रों की उलझन को देखते हुए
विश्वविद्यालय को दाखिले का समय बढ़ाने की घोषणा करनी पड़ी। यह प्रयोग दो बार हुआ और दो बार के आवेदनों के बाद भी सीटे नहीं भरीं। इसके बाद डीयू ने अपने पहले के फैसले को पलटते हुए यू-टर्न लिया और
नए कुलपति की टीम जो पिछले साल आई 12 कटआॅफ को शैक्षणिक सत्र के लिए अनुचित बता रही थी, दोबारा उसी पैटर्न पर लौटी। सनद रहे कि डीयू सात कटआॅफ जारी कर चुका है और सीटें अभी भी खाली हैं। एक ओर पढ़ाई
और दूसरी ओर दाखिले की प्रक्रिया चलाने से नए छात्रों के लिए पहला सेमेस्टर उलझन भरा सेमेस्टर बनने की ओर है। नए छात्रों के लिए अपने पूर्ववर्ती छात्रों से पाठ्यक्रम में कदम ताल मिलाना चुनौती
साबित होगा। इस मुद्दे पर विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का भी कहना है कि इस बार ‘एक्सपेरिमेंट’ ज्यादा रहा। उधर कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया के निपटान में लगे कर्मचारी ‘मेरिट प्रयोग’ से पशोपेश
में रहे। दबी जुबान से एक प्रोफेसर ने कहा कि ‘मेरिट के जरिए कटआॅफ से छुटकारा’ की सोच सही साबित नहीं हुई। इसने दाखिला प्रक्रिया को लंबा खींचा। अगर लगातार कटआॅफ निकालने वाली परंपरा को ही अपनाया
जाता तो कम से कम दो-तीन हफ्ते बचाए जा सकते थे। उन्होंने बताया कि बीते साल नौ कटआॅफ जारी कर विश्वविद्यालय ने 15 अगस्त के पहले दाखिले पूरे कर लिए थे। एक अन्य शिक्षक ने कहा कि कैलेंडर के हिसाब
से सारे सेमेस्टर समान होते हैं, लेकिन पहला सेमेस्टर कैंपस की गतिविधियों के हिसाब से बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। मसलन, छात्र नए होते हैं और इसी समय कॉलेजों में गैर-शैक्षणिक गतिविधियां ज्यादा
होती हैं। छात्र संघ चुनाव इसी सत्र में होता है। इसे लेकर करीब एक महीने तक पढ़ाई पर ब्रेक लगा रहता है। तमाम छुट्टियां भी इसी सेमेस्टर में पड़ती हैं। अकादमिक कैलेंडर का जिक्र करते हुए शिक्षकों
ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के नए सत्र को शुरू हुए सवा महीने से ज्यादा हो गए हैं। नए दाखिले वाले छात्रों की कक्षाएं छुटेंगी। पहले सेमेस्टर में अक्तूबर में ‘मिड सेमेस्टर ब्रेक’ के तहत
छुट्टी देने का प्रावधान अकादमिक कैलेंडर करता है। जहां तक कक्षाओं का सवाल है तो नवंबर के दूसरे हफ्ते तक ही कक्षाएं चलती हैं। डीयू में 13 नवंबर से परीक्षा की तैयारियों के लिए कक्षाएं स्थगित
करनी होती हैं। इसके बाद प्रायोगिक परीक्षा और थ्योरी की परीक्षाएं होने लगती हैं। इस बीच सरकारी व त्योहारी छुट्टियां आती हैं। दिसंबर में जाड़े की छुट्टियों के बाद कॉलेज आगले साल जनवरी में खुलते
हैं। इस लिहाज से पहला सेमेस्टर महत्त्वपूर्ण होता है। दिल्ली विश्वविद्यालय का मौजूदा सत्र करीब सवा महीने पीछे जा चुका है। केवल दाखिला ही नहीं बल्कि बीए प्रथम वर्ष और दूसरे वर्ष के छात्रों के
परीक्षा के नतीजे में भी देरी हुई। सात कटआॅफ के बाद भी खाली रही सीटों को भरने के लिए एक और कटआॅफ 29 अगस्त को आने वाली है। वहीं विश्वविद्यालय ‘मेरिट प्रयोग’ को प्रगतिशील निर्णय बता कर दावा कर
रहा था कि यह पारदर्शी फैसला है। इससे दाखिले की प्रक्रिया जो पिछले साल तक लंबी खिंच जाया करती थी, वो भी खत्म होगी। हालांकि हालात दावे से इतर साबित हुए। छात्रों और कॉलेजों में उलझनें बढ़ीं।
कॉलेजों का दखल बढ़ने से छात्र व अभिभावकों की सरदर्दी बढ़ी। कैंपस में यह भी चर्चा है कि इस सत्र में विश्वविद्यालय के कुछ फैसलों ने केंद्रीकृत दाखिले की संकल्पना पर बट्टा लगा दिया है।