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केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 100 दिनों से भी ज्यादा समय से जारी है। पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई किसानों का धरना-प्रदर्शन
सिंघु, टीकरी, शाहजहांपर और गाजीपुर बॉर्डर पर जारी है। ऐसे में अब गर्मी आने वाली है और इसको ध्यान में रखते हुए किसानों ने स्थाई शेल्टर बनाना शुरू कर दिये हैं।
किसानों ने टिकरी बॉर्डर पर 25 से ज्यादा स्थाई शेल्टर बनाए हैं। आंदोलनकारियों के लिए रैन बसेरे की तर्ज पर कमरे बनाए जा रहे हैं। चारों ओर से मोटी दीवार और ऊपर पराली की छत बनाने की तैयारी है।
इस निर्माण को लेकर किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक का कहना है कि यहां पर निर्मित घर पक्के तौर पर मजबूती के साथ बनाए गए हैं, जैसे कि प्रदर्शनकारी किसानों के हौसले हैं।
अनिल मलिक ने बताया है कि टीकरी बॉर्डर पर अब तक 25 पक्के घर बना दिए गए हैं। 1000-2000 तक और घर इसी तरह बनाए जाएंगे। किसान आंदोलन की शुरुआत में वो ट्रैक्टरों से जुड़ी ट्रॉलियों में रहे रहे थे।
बाद में दिल्ली कड़कड़ाती ठंड में उन्होंने टेंट में रहने का सहारा लिया। किसानों का कहना है कि लेकिन दिल्ली की इस गर्मी और धूप हमारे टेंट के तिरपालों को भी पिघला देगी। ऐसे में हमने ईंट के घर
बनाने शुरू कर दिए हैं। जो किसानों का पक्का रैन बसेरा होगा।
इससे पहले सोनीपत में जीटी रोड पर पक्का निर्माण किया गया था। जीटी रोड पर भी पंजाब की किसान जत्थेबंदी के नेता मनजीत राय भी स्वीकार किया है कि उनकी जत्थेबंदी यहां पर पक्का निर्माण करा रही है।
मनजीत ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि किसी में हिम्मत है तो इसे रोककर दिखाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनजीत राय ने तो यहां तक कहा है कि तीनों नए कृषि कानूनों से जितना हमारा नुकसान होगा, उसकी भरपाई यहीं से करके जाएंगे। हमारा जितना नुकसान होगा, उतना हम यहां कब्जा
करके बैठ जाएंगे और प्लॉट भी काटेंगे।
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपने ट्वीट पर कहा, "लोग कहते रहते हैं, 'आप ऐसे प्रतिनिधिमंडल में क्या कर रहे हैं जिसमें भाजपा के लोग हैं। आप वहां क्या कर रहे हैं?' हम यहां क्या कर रहे हैं? हम
यहां वही कर रहे हैं जो देश के लिए जरूरी है।'