कांग्रेस ने लगाया ‘धौलपुर महल’ हड़पने का आरोप, भाजपा ने दुष्यंत की निजी संपत्ति बताया

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ललित मोदी की मदद के विवादों से घिरी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर कांग्रेस ने सोमवार को धौलपुर के सरकारी महल को हड़पने का आरोप लगाया। राजस्थान भाजपा ने इसे खारिज करते हुए कांग्रेस पर राजे की


छवि खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया। भाजपा ने सरकार, अदालत और नगर पालिका के दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि यह संपत्ति दुष्यंत सिंह की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को नई


दिल्ली में वसुंधरा सरकार पर धौलपुर के सरकारी महल को हड़पने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजे से अलग रह रहे उनके पति हेमंत सिंह ने अदालत में स्वीकार किया था कि यह महल राजस्थान सरकार की संपत्ति थी।


रमेश ने दावा किया कि 1954 और 2010 के बीच के राजस्व विभाग के कई दस्तावेज यह दर्शाते हैं कि यह महल सरकार की संपत्ति थी। लेकिन राजे और ललित मोदी की कंपनी ने इसे एक आलीशान होटल में तब्दील कर


दिया है और राज्य सरकार की बिना किसी भूमिका के सौ करोड़ रुपए का निवेश किया। उन्होंने कहा कि संयोग से यह सब 2009 के बाद हुआ जब राज्य में कांग्रेस का शासन था। READ ALSO: विवादों से घिरा एक महल


रमेश ने कहा कि राजे ने 2013 के विधानसभा चुनाव के अपने हलफनामे में अपने सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह और पुत्रवधू निहारिका सिंह और ललित मोदी के साथ नियंत हेरिटेज होटल्स प्राइवेट लिमिटेड में अपने


शेयर होने की बात स्वीकार की थी। उन्होंने कहा- चुनावी हलफनामा यह दिखाता है कि राजे के पास 3280 शेयर, उनके पुत्र के पास करीब 3225 और पुत्रवधू के पास भी करीब इतने ही शेयर हंै और ललित मोदी की


कंपनी आनंद हेरिटेज होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास भी 815 शेयर हैं। यह दोनों के बीच वित्तीय साझेदारी को स्थापित करता है। रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि ललित मोदी ने कंपनी में निवेश के लिए मारीशस


के रास्ते का इस्तेमाल किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए ललित मोदी प्रकरण पर लगातार चुप्पी साधे रखने के लिए उन्हें स्वामी मौनेंद्र बाबा करार दिया। इस आरोप के बाद जयपुर में


प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी और संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ सक्रिय हो गए। इन दोनों ने सोमवार शाम को एक बार फिर कांग्रेस के आरोपों को निराधार करार दिया। कांग्रेस को आड़े हाथ लेते


हुए परनामी ने कहा कि तथ्यों की जानकारी के बिना जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री राजे और उनके परिवार के खिलाफ धौलपुर पैलेस के बारे में आधारहीन आरोप लगा दिए जो कि उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का है।


उन्होंने कहा कि हमारे पास सभी सबूत और कानूनी कागजात हैं जो यह साबित करते हैं कि राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का धौलपुर पैलेस पर मालिकाना हक है। परनामी ने कहा कि भारत सरकार के सामान्य प्रशासन


के दिसंबर 1956 की अधिसूचना और बाद में केंद्रीय गृह विभाग के आदेश में महाराजा राणा हेमंत सिंह (दुष्यंत सिंह के पिता) को पैलेस का कानूनी वारिस घोषित किया गया था। बाद में 2007 में भरतपुर की एक


त्वरित अदालत ने धौलपुर पैलेस पर दुष्यंत सिंह और हेमंत सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया था। परनामी ने धौलपुर पैलेस के संबंध में मीडिया के समक्ष कई कानूनी दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि भरतपुर के नगर


पालिका (नगरपालिका परिषद) के रिकॉर्ड के अनुसार दुष्यंत सिंह का नाम वहां कानूनी दस्तावेज में उल्लेखित है। इसके साथ ही सिटी पैलेस धौलपुर को 2010 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 1.97 करोड़


रुपए से ज्यादाका मुआवजा दिया था जो कि उसकी एक जमीन अधिग्रहण के लिए दिया गया था। उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अगर मुआवजा दुष्यंत


को दिया था, तो पैलेस पर किसका कानूनी अधिकार है। रमेश को यह जानना चाहिए। रमेश के इस आरोप पर कि धौलपुर पैलेस ‘गैर मुमकिन अबादी’ क्षेत्र में है, राठौड़ ने कहा कि आधा जयपुर ऐसे क्षेत्र पर बना है।


इसका यह मतलब नहीं कि पैलेस अवैध जमीन पर बना हुआ है। राठौड़ ने आवेश में यह तक कहा कि आरोप साबित हो गए तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सोमवार को


सरकारी आवास से ही कामकाज देखा और वहीं पर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक की। राजे ने सोमवार को ही उदयपुर संभाग के सांसदों और विधायकों से भी मुलाकात की। ल को लेकर तकरार