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CORONAVIRUS IN INDIA: पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के योगदान की गणना करने से पता चलता है कि देश में उत्पादित वस्तुओं और
सेवाओं में लगभग 60-70 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘एक महीने में जीडीपी का औसतन 8-9 फीसदी उत्पादन होता है। हमारी सालाना जीडीपी लगभग 210 लाख करोड़ रुपए हैं। ऐसे में जीडीपी का एक महीने का
नुकसान 17.50 लाख करोड़ रुपए बैठता है। इस तरह 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान उत्पादन में आई दो तिहाई के कमी के साथ देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पादन में चार फीसदी की कमी आई है। इससे लगभग आठ
करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।’ वहीं ब्रिटिश ब्रोकरेज बार्कलेज का अनुमान है कि कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन के कारण ये नुकसान 9 लाख करोड़ रुपए तक हो सकता है। इसने भारत की जीडीपी विकासदर
के पूर्वानुमान को इस वर्ष संशोधित कर 5.2 से 3.5 फीसदी तक कर दिया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महासचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि लॉकडाउन के पहले 15 दिनों के दौरान ट्रक चालकों का
संचित घाटा लगभग 35,200 करोड़ रुपए रहा। इसमें प्रति ट्रक को औसतन 2,200 रुपए का नुकसान हुआ। इसी तरह नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (रियाल्टरों की एक बॉडी) ने अपने सेक्टर में एक लाख करोड़
रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया है। CORONAVIRUS IN INDIA LIVE UPDATES लॉकडाउन में लाखों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। भारत की आर्थिक विकास पर विश्व बैंक का पूर्वानुमान है कि ये वित्त
वर्ष 2020-21 में 1.5 से 2.8 फीसदी तक गिर सकती है। विकास दर पिछले तीन दशकों में सबसे कमजोर रह सकती है। इसके अलावा अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने भी इस वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी विकासदर के
पूर्वानुमान में कटौती की है। गोल्डमैन सैक्स का पूर्वानुमान है कि भारत की जीडीपी विकासदर में 1.6 फीसदी तक की कमी आएगी। फिच रेटिंग्स का पूर्वानुमान है कि विकास दर दो फीसदी पर आ सकती है।
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संक्रमण से बचाएं | क्या गर्मी बढ़ते ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस? हालांकि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान बेशक देश की अर्थव्यवस्था को लाखों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मगर इस लॉकडाउन ने
कोरोना के खिलाफ लड़ाई को आसान बनाया है। चेन्नई स्थित गणितीय विज्ञान संस्थान (IMS) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध के मुताबिक पिछले सप्ताह देश में कोरोना वायरस के मरीज ने औसतन 1.53 लोगों में
संक्रमण फैलाया था जबकि पिछले महीने में यह आंकड़ा 1.83 व्यक्ति था। मामले में IMS के भौतिक शास्त्री सीताभरा सिन्हा (Sitabhra Sinha) कहते हैं कि कोरोना फैलने में मामूली गिरावट लॉकडाउन का असर हो
सकता है। सिन्हा कहते हैं कि अगर हम पिछले सात दिनों से जारी रुझान को देखते हैं और लॉकडाउन से वास्तविक प्रतिक्रिया मिलती है तो उम्मीद है कि 20 अप्रैल को कोरोना के मामलों की संख्या 20 हजार से
थोड़ी कम या सबसे खराब स्थिति में 30,000 के आसपास होगी। [embedded content]