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गाना तुरंत तैयार करना था। साजिंदे हड़ताल पर थे। बिना उनके गाना कैसे बनाएं? यह सवाल था संगीतकार रवि के सामने। वाकया था राज खोसला की 1966 की फिल्म ‘दो बदन’ का। रवि ने एक मंजीरा बजाने वाले को
पकड़ा और उसके कहा कि तबले पर ठेका दे। वह थोड़ा-बहुत तबला बजा लेता था इसलिए तैयार हो गया। एक बंदे को पकड़ का पियानो पर धुन की नोटेशन समझाई। किसी तरह ठोंकने-पीटने के बाद गाना तैयार कर लिया गया।
‘दो बदन’ रिलीज हुई तो यह गाना बाकी दूसरे गानोें की तरह ही खूब पसंद किया गया। शकील बदायूंनी के लिखे इस गाने के बोल थे, ‘नसीब में जिसके जो लिखा था वो तेरी महफिल में काम आया…’ इसे मोहम्मद रफी
ने गाया था। फिल्म इंडस्ट्री में नसीब पर खूब यकीन किया जाता है। और यह नसीब की बात थी रवि के गाने लिखने वाले गीतकार और गाने वाले गायकों को तो खूब पुरस्कार मिले मगर रवि की उपेक्षा हुई। रवि की
‘चौदहवीं का चांद’ के लिए गायक रफी और गीतकार शकील बदायूंनी को, ‘गुमराह’ के लिए गीतकार साहिर और गायक महेंद्र कपूर को और ‘निकाह’ के लिए गायिका सलमा आगा और गीतकार हसन कमाल को फिल्म फेयर पुरस्कार
मिले। मगर रवि के नसीब में पुरस्कार मिलना नहीं लिखा था। बहुत कम वाद्य यंत्रों से किसी गाने को सुरीला बनाने का हुनर संगीतकार रवि के गानों में साफ दिखाई देता है। जिस तरह देव आनंद की कंपनी की
फिल्मों की सफलता में एसडी बर्मन का संगीत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उसी तरह बीआर चोपड़ा की फिल्मों में संगीतकार रवि निखर कर आते हैं और महेंद्र कपूर जैसे गायक को भी निखार देते हैं। यह अलग
बात है कि चोपड़ा रफी को हाशिये पर डालना चाहते थे इसलिए वे महेंद्र कपूर को आगे बढ़ा रहे थे। बीआर के साथ रवि ने ‘गुमराह’, ‘वक्त’, ‘हमराज’, ‘निकाह’, ‘तवायफ’ जैसी हिट फिल्में दीं। [embedded
content] बीआर चोपड़ा की एक फिल्म थी ‘धुंध’। अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास ‘द अनएक्सपेक्टेड गेस्ट’ पर बनी ‘धुंध’ सस्पेंस फिल्म थी जिसमें गानों के लिए जगह नहीं निकल रही थी। किसी तरह से तीन गाने
(उलझन सुलझे ना…. संसार की हर शय का…जो यहां था) साहिर लुधियानवी से लिखवाए। जब बीआर चोपड़ा को लगा कि फिल्म में संगीत का हिस्सा बहुत कम है और फिल्म में रुखापन आ रहा है, तो उन्होंने रवि को एक
गाना बनाने को कहा। रवि ने अपना लिखा गाना ‘जुबना से चुनरिया खिसक गई रे…’ चोपड़ा को दिया और कहा कि यह साहिर ने लिखा है। गाना रिकॉर्ड हो गया। फिल्म को भी बॉक्स आॅफिस पर अच्छी सफलता मिली। मगर यह
राज जल्दी ही सामने आ गया कि ‘जुबना से चुनरिया…’ साहिर ने नहीं बल्कि रवि ने लिखा था। दरअसल हुआ यह कि जब फिल्म की संगीत कंपनी ने गीतकार के साथ अनुबंध तैयार कर साहिर के पास भिजवाया तो साहिर ने
तीन गानों की बात कही और बताया कि चौथा गीत उन्होंने नहीं लिखा है। तब यह राज खुला कि गाना साहिर ने नहीं रवि ने लिखा है।