इंटरव्यू: बाबा रामदेव- मोदी भी हैं योगी, बस भगवा नहीं पहना

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भले ही आज उत्तर प्रदेश की प्रजा और राजा दोनों ‘योगी’ हों। लेकिन प्रजा और राजा को योगपथ पर ला भगवा का अलख जगाने में योग गुरु रामदेव की अपनी भूमिका रही है। कभी कनखल की गलियों से शुुरुआत करने


वाले रामदेव ने जो योग-क्रांति शुरू की उसका असर हम पिछले चुनावों में जीती मोदी सरकार और अभी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के रूप में देख सकते हैं। रामदेव ने योग और अध्यात्म को किसी वर्ग, जाति,


मजहब और क्षेत्र में नहीं बांधा और वैश्विक व समावेशी शब्दावलियों का ही इस्तेमाल किया। कट्टर और एकांगी सोच से परहेज कर कर्मकांड को छोड़ सेहत पर ऐसा जोर दिया कि हर पार्क में अनुलोम-विलोम करते और


फुर्सत के समय दोनों हाथों से नाखून घिसते लोग नजर आने लगे। महानगरों से लेकर गांवों की गलियों तक पतंजलि के विक्रय केंद्र हैं जिनकी बिक्री बढ़ाने के लिए अमिताभ बच्चन की जरूरत नहीं पड़ती। योग,


अध्यात्म, समाज, राजनीति, कारोबार को अपने तरीके से प्रभावित करने वाले बाबा रामदेव के साथ जनसत्ता के कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज ने बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश। सवाल : योग गुरु बाबा


रामदेव आज एक वैश्विक ब्रांड हैं। अध्यात्म के साथ कारोबारी शब्दावली के जुड़ाव को आप कैसे परिभाषित करेंगे। जवाब : मेरा ब्रांड बहुराष्ट्रीय ब्रांड से बिल्कुल अलग है। मैंने अपने प्रति सम्मान और


भरोसा अर्जित किया है। इसके पहले सब विदेशी कंपनियों, उनकी गुणवत्ता, उनके उत्पाद, विज्ञापन और प्रतिभा की बात किया करते थे। हमने कहा कि विदेशी कंपनियों के संचालक भारतीय हैं, उनके उत्पादन से


लेकर पैकेजिंग तक सब भारतीय कर रहे हैं। तो भारतीयों का भारतीयों द्वारा ही ब्रांड क्यों न हो? विदेशी क्यों? मैंने भारतवासियों के बीच स्वाभिमान का भाव पैदा किया। इसके नतीजे में एक देसी ब्रांड


खड़ा हुआ। पतंजलि उसी की पराकाष्ठा है। सवाल : वर्ग, जाति और मजहब से परे ले जाकर आपने भगवा को एक नई पहचान दी। खुद भी एक ब्रांड की तरह ही जनमानस में प्रतिष्ठित हो गए। आज की भगवा सरकार की बुनियाद


में कहीं आप भी दिखाई देते हैं? जवाब : भगवा तो युगों से ब्रांड है। दरअसल जो भगवा वस्त्र पहन रहे थे, उन्होंने भगवा को संकीर्णता के दायरे में बांध दिया। संन्यास के व्यापक रूप में अपने लिए कुछ


नहीं है। लेकिन देश के कल्याण, समाज विस्तार और जीव जगत के लिए इसमें असीम संदेश है। मैंने तो भगवा को दायरों की संकीर्णता से निकाला। सवाल : आपने भगवा के माध्यम से नेतृत्व खड़ा किया और आज उत्तर


प्रदेश का राज-पाट एक योगी संभाल रहे हैं। जवाब : यह तो मेरा सपना था। सच तो यह है कि देश का प्रधानमंत्री भी योगी है। बस भगवा ही नहीं पहना। मैं तो चाहता हूं कि योग का ऐसा जलवा छाए कि


प्रधानमंत्री, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, डॉक्टर, मैनेजर, कला, साहित्य, विधायिका, न्यायपालिका और खबरपालिका सब योगी हों। सवाल : आपने योग और अध्यात्म को पार्क से लेकर सावर्जनिक बस और दफ्तर की


मेज तक पहुंचा दिया। इसे लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बनाने का श्रेय आपको ही दिया जाता है। जवाब : इससे पहले योग, योगियों और भारतीयों को अप्रासंगिक बना दिया गया था। हमने कहा कि इसी में रस है।


यही शाश्वत सच व शाश्वत सफलता है। पहले यह मानते थे कि संन्यास का मतलब जीवन में असफलता है। और कुछ नहीं बन सकते तो बाबा बन जाओ। किसी काम का नहीं तो बाबा बन जाओ। और अब आमूल-चूल परिवर्तन है।


कामयाब हो गया तो बाबा बन गया। बाबा ही सबसे काम का है। सवाल : बाबा रामदेव खुद को किस रूप में परिभाषित करते हैं? जवाब : मैं लोगों की सोच बदलने के लिए जाना गया। मैंने योग को, योगी रूप को और


संन्यास को जिया है। लोग यह न देखें कि योग और योगी के बारे में किताबों में क्या लिखा है। मैंने इसे केंद्रित किया। आचरण और महिमा का मेल बिठाया। और, इसकी कोख से जो निकला वह अपराजेय था। उसे


पराकाष्ठा पर ले गया। सवाल : आपकी इस कोशिश की पराकाष्ठा कहीं हिंदू राष्ट्र तो नहीं? जवाब : आध्यात्मिक जीवन, वैश्विक आध्यात्मिक भारत और आध्यात्मिक विश्व ही इसकी पराकाष्ठा होगी। सवाल : इस चेहरे


के साथ क्या हम वैश्विक मंच पर मुकाबला कर सकेंगे? जवाब : हम वैश्विक नागरिक तैयार करेंगे। उत्पाद और पैसा साधन मात्र है। लक्ष्य नहीं। लक्ष्य विश्व मानव खड़ा करने का है। कोई विवाद नहीं, कोई छिपा


एजंडा नहीं । इसके अलावा कोई मकसद नहीं जिंदगी जीने का। सवाल : और फिर हिंदुत्व? जवाब : लोगों ने इसे संकीर्णता में बांध दिया है। अब यह अपने विराट रूप में सबके सामने आएगा। हिंदुत्व कोई धर्म


मात्र या पूजा-पाठ की पद्धति नहीं, आधुनिक शब्द है वैदिक कल्चर एंड सिविलाइजेशन। इसमें विज्ञान, तकनीक, शांति, भाईचारा, सौहार्द, खुशी और सेहतमंद जिंदगी का अनुभव है। यह विश्व बंधुत्व है। सवाल :


तो मुसलमानों को लेकर दुर्भाव क्यों? जवाब : बिलकुल भी नहीं। वेद क्या कहता है। पूरी सृष्टि में सच्चिदानंद परमात्मा को देखें। हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई भगवान से ही उत्पन्न हुई उसी की संतानें


हैं। अगर कोई हिंदुत्व के नाम पर गलत बोल रहा है तो वह हिंदू नहीं कोई हैवान या शैतान बोल रहा है। सवाल : लेकिन पिछली 11 मार्च को उत्तर प्रदेश में चुनावी नतीजों के बाद अल्पसंख्यकों को लेकर काफी


निराशाजनक बातें सुनने को आर्इं। खास समुदाय में एक खौफ का माहौल दिखा? जवाब : उत्तर प्रदेश में कोई ऐसी बातें बोल रहा है क्या? ऐसा नहीं है। मुसलमान के खिलाफ कोई नहीं बोल रहा। योगी आदित्यनाथ ने


क्या कुछ बोला मुसलमानों के खिलाफ? न वे ऐसा बोले हैं और न बोलेंगे। चुनाव जीतने के लिए अलग मंत्र होते हैं और देश, धर्म, अध्यात्म जिनसे चलता है उसके अलग सूत्र होते हैं। सवाल : केंद्र से लेकर


उत्तर प्रदेश तक भगवा सरकार की जीत में आपकी जो भूमिका रही है क्या उसे लेकर सरकार को मुखर होना चाहिए? भारतीय राजनीति का चेहरा बदल देने के लिए क्या शीर्ष स्तर से आपका उल्लेख नहीं होना चाहिए,


आपको सम्मान नहीं मिलना चाहिए? जवाब : सरकार का सम्मान उन लोगों के लिए जरूरी होता है जिनकी अपेक्षाकृत कम पहचान होती है। सरकार उन्हें गौरव देना चाहती है। मुझे तो बच्चा-बच्चा जानता है। मैं


सम्मान का क्या करूंगा? सम्मान लोगों को प्रोत्साहन देने के लिए होता है। मैं तो खुद दूसरों को प्रोत्साहन देता हूं। मुझे मोटिवेशन के लिए पुरस्कार की जरूरत नहीं। सवाल : केंद्र से लेकर उत्तर


प्रदेश तक में क्या भगवा सरकार सबका साथ, सबका विकास अपने शाब्दिक अर्थ में सामने लाएगी? जवाब : सरकार सबको एक साथ रखेगी। यह देश सबका है। आखिकार, यह देश भगवान का देश है। किसी राजा-रानी ने देश


नहीं बनाया। यह भगवान की रचना है। यहां प्रभुत्व भी भागवत शक्तियों का रहा है। ईश्वरीय शक्तियों का रहा है। सवाल : और संवैधानिक रूप से गठित सरकार पर संविधान से इतर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ जैसी


शक्ति के असर को आप कैसे देखेंगे? जवाब : मैंने तो ऐसा कुछ देखा नहीं। मैंने तो ऐसा कुछ अनुभव नहीं किया कि संविधान से ऊपर देश में कोई संस्था है। न ऐसा देखता हूं। न कोई संस्था ऐसा आचरण करती है।


सवाल : तो फिलहाल जो विभाजनकारी भाषा गूंज रही है, उस पर कैसे काबू पाया जा सकता है जवाब : नहीं, विभाजित कुछ नहीं है। हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई सबके सब भारतवासी हैं। सब ईश्वर की संतानें हैं।


ऋषियों की संतानें हैं। हमारे पूर्वज एक, हमारी मूल संस्कृति एक, हमारी सभ्यता एक। सवाल : यह आप मुसलिमों के संदर्भ में भी कह रहे हैं… जवाब : सबके संदर्भ में कह रहा हूं। मानव के संदर्भ में। आप


सोचो न। ये संप्रदाय वक्त के साथ पैदा हुए। जिसे हम भारतीय संस्कृति कहते हैं वही इसका मूल है। सवाल : आपसे अक्सर पूछा जानेवाला सवाल मैं भी पूछ लूं। राजनीति में आने का विचार? जवाब : नहीं, कभी


नहीं (जोर देकर) राजनीति में कभी नहीं आऊंगा… लेकिन जब भी मेरे देश पर, मेरे राष्ट्र को लेकर कोई संकट आएगा तो मैं लोक धर्म के साथ अपना राष्ट्र धर्म निभाऊंगा। बिना किसी लालच के। सवाल : यह धर्म


किसी खास पार्टी के लिए…? जवाब : पार्टी कोई भी हो। मैंने कहा न कि मैं सर्वदलीय और निर्दलीय हूं। सवाल : आपने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया। उसका असर भी दिखा। फिर…? जवाब : वो आपद


धर्म था। सवाल : क्या केंद्र और भाजपा शासित अन्य सरकारें भ्रष्टाचार पर काबू पाने में कामयाब होंगी? आपका तो सारा अभियान ही भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ था। जवाब : जरूर होंगी। उसमें


(भ्रष्टाचार की दिशा में) वो अखंड, प्रचंड पुरुषार्थ कर रही है। सवाल : क्या इसमें कभी कामयाबी मिली? जवाब : यह एक सतत यात्रा है। सवाल : दो साल रह गए। 2019 में तो जवाब देने होंगे? जवाब : (शांति)


सवाल : राम मंदिर बनेगा? जवाब : राम कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं। राम राष्ट्र की अस्मिता है। सवाल : क्या देश इस समय विपरीत गति में है? कभी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण होता था अब बहुसंख्यक तुष्टीकरण है।


जवाब : हम सब भारतीय हैं। कानून सबके लिए समान है। हम सब एक समान हैं। कानून सबके लिए, इंसाफ सबके लिए समान है। यह ‘कॉमन सिविल कोड’ की बात नहीं। न्याय सबके लिए समान है। सवाल : और राष्टÑीय


स्वयंसेवक संघ…? जवाब : किसी संस्था का आचरण संविधान से परे नहीं। सवाल : आंदोलन की कोख से एक पार्टी निकली। उस आंदोलन को आपका भी समर्थन था। आज कहां है आम आदमी पार्टी…? जवाब : मैं समझता हूं कि


राजनीति एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया है। कुछ चीजें होती रहेंगी। पार्टी विशेष को लेकर न आशान्वित हूं और न ही निराश। राष्ट्र की आवश्यकता के अनुसार परिपक्व हो रहे हैं (अरविंद केजरीवाल)। चीजें होती


रहेंगी। सवाल : कालेधन पर अब तक जो हुआ क्या आप उससे संतुष्ट हैं? जवाब : कालेधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत, नीति और नेतृत्व साफ है। सब ठीक हो जाएगा, पूरी आशा है। सवाल : अभी कमी है?


जवाब : मैंने ऐसा कुछ नहीं बोला। सवाल : मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का चयन? जवाब : भारतीय राजनीति में एक शुभ शुरुआत है। जिसे कुछ नहीं चाहिए वही कुछ करने का माद्दा रखता है। सवाल :


क्या आपको विश्वास है कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे? जवाब : जी, सौ फीसद। मुझे पूरा विश्वास है कि वे सबको साथ लेकर चलेंगे। सबकी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। आध्यात्मिक व आर्थिक दोनों विकास को लेकर


आगे बढ़ेंगे। सवाल : आगे की आपकी रणनीति 2019 का चुनाव है…? जवाब : मेरा भारत महान। सवाल : फिर भी…? जवाब : जब छोटे थे तब पढ़ा करते थे मेरा भारत महान।