एक्सीडेंटल केसेज में पुलिस को कमीशन देकर लूट

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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Sat, 22 Apr 2017 07:40:42 (IST) मेडिकल हब का काला सच पार्ट-2 -एक्सीडेंट के बाद घायल व्यक्ति को पुलिस जिला अस्पताल के बजाय भेजती है निजी हास्पिटल्स में फिर चलता


है लूट का धंधा थर्सडे को एसएसपी के पास पहुंच एक मामला,एसएपी ने फोन किया तो अस्पताल ने रिलीव कर दिया। मेडिकल हब का काला सच पार्ट-ख् -एक्सीडेंट के बाद घायल व्यक्ति को पुलिस जिला अस्पताल के


बजाय भेजती है निजी हास्पिटल्स में फिर चलता है लूट का धंधा थर्सडे को एसएसपी के पास पहुंच एक मामला,एसएपी ने फोन किया तो अस्पताल ने रिलीव कर दिया। BAREILLY BAREILLY: बरेली में ब्00 से अधिक निजी


अस्पतालों में मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के साथ ही उनकी जेब पर भी डाका डाला जा रहा है। चौकाने वाला तथ्य यह है कि निजी हास्पिटल सड़क हादसों में घायल मरीजों तक को लूटने से बाज नहीं आते।


पुलिस से सैटिंग कर हाइवे पर एक्सीडेंट केसेज को निजी एंबुलेंस के जरिए हास्पिटल संचालक अपने यहां बुलाते हैं और फिर उन्हें मामूली चोट पर भी गंभीर बता मोटी रकम वसूल करते हैं। पेर में मामूली


फ्रेक्चर का ख्भ् हजार रुपए बिल थमा देने पर फ्राईडे को एक घायल मरीज के परिजन एसएसपी कार्यालय में पहुंचे तो लूट के इस खेल की पोल खुल गई। एसएसपी ने निजी अस्पताल के डॉक्टर को फोन कर चेतावनी


दी,तब जाकर मरीज को डिस्चार्ज किया गया। लगवा लिया था अंगूठा भमोरा थाना के गांव चम्पतपुर निवासी राजेश ने बताया कि उसके पिता चेतराम काक्8 अप्रैल को बल्लिया में साइकिल से एक्सीडेंट हो गया था।


बल्लिया चौकी से पुलिस ने एक निजी एंबुलेंस से चेतराम को बरेली रवाना किया। निजी एंबुलेंस ने उसे रामपुर गार्डन में पुराने पीएफ ऑफिस के पास स्थित निजी हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। पिता के


एक्सीडेंट की सूचना पर बेटा राजेश हॉस्पिटल पहुंचा। पिता से मिलवाने से पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने पेपर्स पर उसका अंगूठा लगवाकर ख्भ् हजार रुपए का बिल थमा दिया। रुपए देने में असमर्थता जताने पर


मरीज को डिस्चार्ज करने से इनकार कर दिया। एसएसपी ऑफिस से फोन पर डिस्चार्ज पिता को डिस्चार्ज नहीं करने पर राजेश अपनी मां के साथ फ्राईडे सुबह एसएसपी ऑफिस पहुंचा। एसएसपी ने पूरा मामला सुना तो वे


भी हैरान रह गए। अपने ऑफिस स्टॉफ को अस्पताल प्रबंधन से बात करने के निर्देश दिए। तब हॉस्पिटल प्रबंधन ने फ्भ् सौ रुपए लेकर चेतराम को डिस्चार्ज किया। पुलिस का फ्0 प्रतिशत कमीशन - बरेली में


एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति को तुरंत उपचार के लिए ़क्08 एंबूलेंस के बजाय निजी एंबुलेंस में रवाना करती है। शहर के निजी अस्पतालों ने नेशनल और स्टेट हाइवेज पर जगह जगह अपनी एंबुलेंस खड़ी कर रखी


है। ये एंबुलेंस चालक मरीजों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बजाय निजी अस्पतालों में भेजते हैं। निजी अस्पताल वाले मामूली चोट पर आईसीयू और बेड चार्ज के नाम पर एक ही दिन में मोटा बिल बनाकर घायलों के


परिजनों से वसूली करते हैं। चर्चा है कि इस वसूली में से फ्0 प्रतिशत कमीशन दुर्घटना स्थल वाले एरिया के पुलिस थाने अथवा चौकी के स्टाफ को मिलता है। मरीज लेकर फार्मला वन स्टाइल में रेस: हाईवे


किनारे घात लगाए खड़े अस्पतालों की एंबुलेंस वालों में मरीज की जान बचाने की नहीं वरन लूटने की होड़ मचती है। क्08 पर कॉल चले जाने की स्थिति में घायल मरीज को निजी अस्पताल पहुंचाने की जल्दी में


हादसे तक हो जाते हैं। एंबुलेंस चालक और मरीज दोनों सीरियस- दिल्ली हाइवे पर फतेहगंज पश्चिमी के पास सात दिन पहले मरीज लेकर दौड़ रही एंबुलेंस काएक्सीडेंट हो गया। घायल मरीज और सीरियस हो गया। साथ


ही एबुलेंस का चालक अभी भी उस निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है,जिसके लिए वह मरीजों को लूटने में शामिल था। हर हाईवे पर खड़ी है लूट की एंबुलेंस- पीडि़ता मां बेटा ऑफिस आए थे।


मामूली चोट का ख्भ् हजार बिल बनाने की शिकायत की थी। इस पर निजी अस्पताल को फोन कर मरीज को डिस्चार्ज करने को कहा गया। दुर्घटना में घायल मरीज को जिला अस्पताल भेजना चाहिए। निजी एंबुलेंस में निजी


अस्पताले ले जाने के पीछे सांठगांठ हो सकती है,पूरे मामले की जांच कराई जाएंगी। जोगेन्द्र कुमार,एसएसपी बरेली