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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Tue, 12 May 2015 07:00:23 (IST) --25 हजार करोड़ का है चिटफंड घोटाला, सीबीआई करेगी जांच --55 हजार करोड़ है झारखंड सरकार का सालाना बजट चिटफंड कंपनियों ने झारखंड
के लोगों की गाढ़ी कमाई पर जिस कदर डाका डाला है, उस पैसे से छह महीने तक झारखंड पटरी पर दौड़ता। जी हां, धोखेबाज चिटफंड कंपनियां पब्लिक के 25 हजार करोड़ रुपए लेकर गायब हो गई हैं, जबकि झारखंड
सरकार का 2015-16 का बजट लगभग 55 हजार करोड़ रुपए का है। राज्य की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई के 25 हजार करोड़ रुपए हड़पने वाली नन बैंकिंग कंपनियों द्वारा लेकर भागने के मामले की जांच अब सीबीआई
करेगी। हाईकोर्ट का ऑर्डर झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने चिटफंड घोटाले को गंभीरता से लेते हुए सोमवार को यह आदेश जारी किया है। अदालत ने
इसके तार दूसरे राज्यों और विदेशों से भी जुड़े होने की भी आशंका जताई है। अदालत ने ईडी, आयकर और राज्य सरकार को मामले की जांच में सीबीआई को सहयोग देने को कहा है। याचिका पर सुनवाई झारखंड अगेंस्ट
करप्शन की जनहित याचिका में कहा गया था कि पूर्वी सिंहभूम, कोडरमा, चाईबासा, हजारीबाग, साहिबगंज सहित कई जिलों में ऐसी कंपनियां नियमों की अनदेखी कर लोगों को अधिक ब्याज देने का लालच देकर धड़ल्ले
से पैसे जमा कर रही हैं और अंत में सारा कुछ लेकर भाग जा रही हैं। इस बाबत कई प्राथमिकियां दर्ज कराई गई पर अब तक कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव
कुमार ने कहा कि देवघर के एसपी ने डीजीपी को पत्र लिखकर आर्थिक मामलों की विशेषज्ञता होने से इंकार करते हुए मामले की सीबीआई जांच की आवश्यकता जताई थी। विदेशों से भी तार सुनवाई के दौरान सरकार की
ओर से भी सीबीआई जांच की जरूरत बताई गई थी। यह भी कहा गया कि इसमें सफेद कालर वाले प्रभावशाली लोगों के जुड़े होने की आशंका है। इसके तार विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं। ऐसे में राज्य सरकार
द्वारा सही तरीके से जांच किया जाना मुश्किल है। यह भी कहा गया था कि सिर्फ एक अलकेमिस्ट नामक कंपनी ने सोलह सौ करोड़ से अधिक राशि की उगाही की है। राज्य में ऐसी सैकड़ों कंपनियां काम कर रही हैं।
पूरा मामला करीब 25 हजार करोड़ से भी अधिक का हो सकता है। अदालत ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया और त्वरित जांच किए जाने की उम्मीद जताई है। अदालत ने इसके साथ ही याचिका निष्पादित करने का
आदेश दिया है। कौन-कौन कंपनियां हैं शामिल सुराहा माइक्रो फाइनांस, सनप्लांट एग्रो ग्रुप, प्रयाग इंफोटेक, साई प्रसाद प्रोपर्टीज, फेडरल एग्रो कॉमर्शियल, गुलशन निर्माण इंडिया, तिरु बालाजी,
अलेमिस्ट इंफ्रा, धनोल्टी डेवलपर्स, कोलकाता वीयर, संकप्ल ग्रुप, वीयर्ड इंफ्रा, रूफर्स मार्केटिंग, सनशाइन ग्लोबल एग्रो, रामल इंडस्ट्रीज, इनोमर्स इंडस्ट्रीज, एक्सेल इंफ्रास्ट्रक्चर, गीतांजलि
उद्योग, एमपीए एग्रो एनीमल, युगांतर रियल्टी, एटीएम ग्रुप, केयर विजन, मातृभूमि मैन्यूफैक्चरिंग, रोजवैली होटल्स, बर्धमान सुर्माग, अपना परिवार एग्रो और वारिस ग्रुप शामिल हैं।