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BY: INEXTLIVE | Updated Date: Thu, 18 Oct 2012 13:18:10 (IST) दस कदम पर आपको बियर-शराब आपको इस खबर पर यकीन न हो, तो एक बार यह देखने के लिए शहर का कोई भी एरिया घूम लीजिए। हर दस कदम पर आपको
बियर-शराब तो मिल जाएगा, पर मिल्क पार्लर के लिए आपको इधर-उधर करना पड़ जाएगा। दूध छोड़ो, शराब जब चाहो तब शराब जब चाहो, तब मिल जाएगी। पर, दूध की टाइमिंग फिक्स है। सुबह-शाम के अलावा दिन में शायद
ही कहीं दूध का दर्शन हो। इसमें भी महीने में एक-दो दिन कोई न कोई कारण से पार्लर से दूध गायब ही रहता है। दूध की चार वेरायटी मिलेगी, तो लिकर की दर्जनों। हर कैटेगरी, हर टाइप और हर प्राइस का
शराब मौजूद है मार्केट में। देसी-विदेशी से लेकर रम व व्हिस्की तक। कहने को रात 10 बजे बाद शराब की दुकानें बंद हो जानी चाहिए, पर रात 12 बजे भी आराम से मिल जाएगा, वो भी जंक्शन जैसे इलाकों में।
'गवर्नमेंट की नजर में इसमें है प्रोटीन' स्टेट गवर्नमेंट की नजर में शराब में प्रोटीन होता है। शायद इसलिए हर चौक-चौराहे पर इसकी दुकानें खुल गई हैं। गवर्नमेंट ने बड़ी संख्या में शराब
दुकान के लिए लाइसेंस जारी किया है। बाकी जगह की बात तो छोडि़ए, स्कूल और मंदिरों के पास भी शराब की दुकानें खुल गई हैं। हालांकि ये दुकानें एडमिनिस्ट्रेशन को नहीं दिखती हैं। पाटलिपुत्रा में
लोयला हाईस्कूल, शास्त्रीनगर गल्र्स स्कूल के बाउंड्री के पास, हनुमान मंदिर, जंक्शन सहित शहर के हर इलाके में शराब की दुकानें खुली हुई हैं। इसके लिए गवर्नमेंट ने रूल बनाए हैं, पर शराब माफिया उन
रूल्स को भी ठेंगा दिखा देते हैं। गवर्नमेंट की ओर से मंदिर और स्कूल के पास निश्चित दूरी तक लिकर की दुकान नहीं खोलने का रूल बना हुआ है, पर ये लोग हर नियम का काट निकाल लेते हैं। सड़क को
घुमावदार दिखाकर इस दूरी को पूरा कर देते हैं। इस कारण स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स भी शराब की चपेट में आने लगे हैं। REAL FACTS पटना में 85 मिल्क पार्लर हैं, जबकि शराब के 128 शॉप्स हैं। मिल्क
पार्लर का आंकड़ा सुधा बूथ का है, वहीं शराब दुकान की संख्या डिपार्टमेंट से लिया गया है। आंकड़ों के मुताबिक पटनाइट्स डेली 150 लाख लीटर दूध पीते हैं, जबकि हर महीने 418000 एलपी लीटर शराब