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फेदेरिका और बाली दो युवा व्यवसायी हैं जो इटली के बेरोना में कपड़े का व्यापार करते हैं। जिन्होंने भारत में कपड़े की एक फैक्टरी खोली है। उनका समर्पण संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक विश्व पत्र
"लौदातो सी" के सिद्धांत की याद दिलाता है। वे राजस्थान के कई परिवारों को प्रतिष्ठित रोजगार और वेतन प्रदान करते हैं। उषा मनोरमा तिरकी-वाटकिन सिटी सिविकज एक ऐसी परियोजना है जो टिकाऊ
कपड़ा प्रदान करता है। इसकी शुरूआत 2013 में बेरोना में हुई। यह भारत के युवा बाली पातवालिया एवं इटली की फेदेरिका ख्रिस्तोफोरी के दिमाग की ऊपज है। उन दोनों की मुलाकात काम के सिलसिले में पेरिस
में हुई थी। 2016 में जिन्होंने शादी कर ली और वेरोना में कपड़ा का एक दुकान खोला, साथ ही भारत में कपड़े की एक फैक्री भी खोली जिसके द्वारा कई परिवारों को प्रतिष्ठित रोजगार और वेतन मिल जाता है।
सांगानेर में फैक्टरी फेदेरिका ने बतलाया, शुरू में, हम भारत से कपड़े खरीदते थे जो प्राकृतिक फाइबर और रंजक प्रयोग करते थे किन्तु हमें उससे, समय पर अच्छे कपड़े उपलब्ध कराने में बहुधा समस्या
होती थी।" तब दम्पति ने राजस्थान की राजधानी जयपुर के निकट सांगानेर में खुद की फैक्टरी खोलने का निश्चय किया और कपड़े छपाई एवं सिलाई की फैक्टरी को बाली के भाई निंदर के जिम्मे में सौंपा।
सांगानेर में छपाई कम्पनी पारिस्थितिक कोठरी : हम अपने कपड़ों से भी सृष्टि की देखभाल कर सकते हैं बाली ने बताया, "हमने एक छोटे गाँव में जमीन खरीदा और कपड़े छपाई की एक फैक्टरी का निर्माण
किया। उस क्षेत्र में पानी का अभाव था। हमने एक कुँआ खोदा और हमारी कमाई से एक पम्प लगाया ताकि सभी लोग वहाँ से मुफ्त में पानी ले सकें। हमने गाँव के कई लोगों को रोजगार दिया है, फैक्टरी में और घर
में भी। वास्तव में कई महिलाएँ घर में काम की मांग करती हैं। जो लोग उत्पादन में सहायता देते हैं उन्हें कई तरह से नियमित वेतन दी जाती है। कुछ लोगों को महीने में वेतन दी जाती है जबकि कुछ लोग हर
काम के पीछे पैसे की मांग करते हैं। कोई भी जब किसी चीज का उत्पादन करता है तो उसके पहले हम उनसे मिलते एवं भुगतान पर सहमति करते हैं। वे ही निर्णय करते हैं। हम उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते
हैं।" कई प्रकार के काम के कारण विभिन्न तरह के लोगों को रोजगार मिलता है जो प्रतिष्ठित जीवन जी सकते हैं। बदले में वे सार्वजनिक भलाई को पुष्ट करते हैं और इसे स्थानीय समुदाय अनुभव करता है।
लौदातो सी के साथ संबंध यद्यपि फेदेरिका एवं बाली अलग-अलग संस्कृति एवं विश्वास से आते हैं, दोनों लौदातो सी के कई दृष्टिकोणों को साझा करते हैं। 2015 में लिखे इस प्रेरितिक पत्र में संत पापा
फ्राँसिस ने विश्वासियों और गैर विश्वासियों को जोर दिया है कि पृथ्वी एक साझा सम्पति है जिसका फल सभी के लिए है। (परिच्छेद 93) इस कारण से और साथ ही परिवारवालों के साथ संबंध के कारण इन दोनों
युवाओं ने भारत के छोटे गाँव में कुछ महीनों के लिए काम करते हुए बीताने का निर्णय किया। इस तरह वे लोगों के साथ काम करते हुए उनके दैनिक जीवन में सहभागी हुए और सार्वजनिक भलाई को मजबूत करने के
लिए अपना योगदान दिया। बाली ने बतलाया, "हम बहुधा फैक्टरी में काम करनेवाले मजदूरों के साथ खाना खाते थे। हम उनके साथ भोजन और जो कुछ हमारे पास था उसे बांटकर खाते थे। कोविड-19 के पहले
फैक्टरी में 32 लोग काम कर रहे थे। बाद में कुछ लोगों ने काम छोड़कर घर लौटने का निर्णय किया। उन्होंने उसी तरह से अपनी सुरक्षा महसूस की और हमने उन्हें चुनने की आजादी दी जैसा कि हम विभिन्न
प्रकार के त्योहारों में उन्हें भाग लेने देते हैं। हमें मानव शक्ति की बहुत आवश्यकता है किन्तु हम लोगों को पकड़कर रखना नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वे इस महत्वपूर्ण समय को अपने परिवारवालों
के साथ व्यतीत करें।" काम और व्यवसाय का यह विचार व्यक्ति और उनकी आवश्यकताओं को केंद्र में रखता है। पुनः यह लौदातो सी की भावना के साथ गौदियुम एत स्पेस को सुदृढ़ करता है, "व्यक्ति,
सभी आर्थिक एवं सामाजिक जीवन का स्रोत, केंद्र और लक्ष्य है।" (परिच्छेद 127) सांगानेर में छपाई कम्पनी पुनर्नवीनीकृत कपड़े के साथ कांथा रजाई बनाना कांथा रजाई, कंबल या कालीन है जो एक साथ
पुनर्नवीनीकृत कपड़ों के विभिन्न टुकड़ों को सिलाई करके बनाई जाती हैं। उनमें से कई सूती या सिल्क हैं। फेदेरिका बतलाती हैं, "जब भारतीय महिलाएँ अपने कपड़ों से ऊब जाती हैं, तब उन्हें फेंकने
के बदले वे उनका पुनर्नवीनीकरण करती हैं। उससे कंबल या कालीन बनती है जिसमें लोग अपने घरों में बैठते हैं। प्रयोग नहीं की जानेवाली चीज को नया रूप देना भारत में बहुत आम बात है। यह हमारा भी तरीका
है जिसके द्वारा हम आमघर की देखभाल को योगदान दे रहे हैं। यह भी लौदातो सी के अनुकूल है जो "पुन: उपयोग, पुन: सुधार और पुनर्चक्रण के बुद्धिमान और लाभदायक तरीके" के प्रयोग का सुझाव देता
है। (परिच्छेद 192) इसने दो युवा उद्यमियों को कपड़ों के उत्पादन व्यवसाय से बचे हुए अपने स्वयं के कांथा रजाई का बाजार करने के लिए भी प्रेरित किया है। इस जोड़ी की दूसरी विशेषता है कि वे कपड़े
में हाथ से बने पेंटिंग को बनाये रखना चाहते हैं। अधिक तेज एवं उत्पादकता वाले व्यावसायी प्रणाली को अपनाने की अपेक्षा उन्होंने कपड़े को हाथ से पेंट करना पसंद किया है। फेदेरिका ने कहा, "मैं
इटली में ब्लॉक डिजाईन बनाती हूँ। उन्हें भारत के नक्काशीकार के पास भेजा जाता है जो वफादारी से उनका पुनर्निर्माण करते हैं। वे हाथ से प्रींट करने के आदी हैं। हम मुद्रण, मानव और हाथ से तैयार
किए गए स्पर्श में अनियमितता पसंद करते हैं। हमारे लिए पूर्णता कुछ सटीक और यथार्थ नहीं है, लेकिन यह अपने तरीके से विशेष है। इस दृष्टिकोण से हाथ से बना हुआ ब्लॉक प्रींट उत्तम होता है।"