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किस्सा एक 1982 में मुफ्त में लिखा गीत आज भी बेहद लोकप्रिय जावेद अख्तर ने एक मशहूर गाने से जुड़ा किस्सा साझा किया तो लोग हैरान रह गए। वे बोले, ‘मैंने दो-चार गाने 10 मिनट से कम वक्त में लिखे
हैं। क्या था कि सिलसिला फिल्म के बाद यश चोपड़ा का एक असिस्टेंट रमन कुमार मेरे पास आया और बोला कि सर, मैं एक छोटी सी फिल्म बना रहा हूं। पैसे दे नहीं पाऊंगा, लेकिन आप मेरे लिए गाने लिख दें।’
जावेद अख्तर मुफ्त में गाने लिखने को तैयार हो गए। उन्होंने सभी गाने लिख दिए, लेकिन एक आखिरी गाना लिखना बाकी था। तब रमन कुमार, जावेद अख्तर से रोज शाम को मिलने आते थे। खाते-पीते हुए रात हो
जाती। जावेद अख्तर हर बार उनसे अगले दिन गाना लिखकर देने की बात करते रहे। गीतकार ने आखिरकार एक रात को रमन कुमार की फरियाद पर ध्यान दिया और बोले, ‘पेपर और पेन लाओ, अभी लिखते हैं। वह गाना मैंने
9 मिनट में लिखा, क्योंकि उन्हें अपनी आखिरी ट्रेन पकड़नी थी।’ वह 1982 में आई फिल्म ‘साथ—साथ’ का नगमा था। बोल हैं— ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’। इसे जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने गाया है।
किस्सा दो डर और शर्म से निकला ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ जावेद ने उन हालातों को याद किया जिसमें उन्होंने फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ का रोमांटिक गीत ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ लिखा था।
आमतौर पर कद्रदान इस गीत को 90 के दशक का सबसे रोमांटिक गीत मानते हैं, लेकिन जावेद के लिए इस गाने की प्रेरणा का स्रोत ‘डर और शर्म’ था। जावेद ने बताया, ‘फिल्म के दृश्यों पर बात हो रही थी तभी
निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा को मैंने सुझाव दिया कि यहां एक अच्छा गाना हो सकता है। डायरेक्टर ने कहा- नहीं, यह सही जगह नहीं है। लड़का और लड़की अभी मिले भी नहीं हैं। उसने तो बस उसकी एक झलक देखी
है और उसे यह भी नहीं पता कि वह यहीं रहती है, वह अभी भी उसे ढूंढ रहा है, हम यहां गाना कहां फिट करेंगे? और वैसे भी थोड़ी देर में रोमांटिक गाना आएगा तो यहां गाने का क्या मतलब है?’ लेकिन जावेद
की मांग पर विधु विनोद तैयार हुए और बोले, ‘चार दिन बाद शाम चार बजे मीटिंग करेंगे और उसमें गाना लिखकर लाना।’ मुलाकात के दिन दो घंटे पहले जावेद को अहसास हुआ कि उन्होंने तो गाना लिखा ही नहीं।
उन्होंने सुनाया, ‘मैं इतना शर्मिंदा था कि उन्हें क्या बताऊंगा? जब मैं गाड़ी चलाकर उनसे मिलने जा रहा था तो बहुत घबराया हुआ और शर्मिंदा था। सोच रहा था उन्हें क्या बताऊंगा?’ लेकिन तभी जावेद
अख्तर को एक विचार आया। पूरे आत्मविश्वास के साथ मीटिंग में पहुंचे और एक पंक्ति बोली- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा। यह लाइन उन्होंने रास्ते में गाड़ी चलाते हुए सोची थी। जावेद अख्तर बताते हैं,
‘मैंने कहा कि मेरे पास यह पंक्ति है, और इसके बाद उपमाएं दी जाएंगी। अगर आपको आइडिया पसंद आया तो मैं गाना लिखूंगा।’ मशहूर संगीतकार आरडी बर्मन को जावेद की लाइन पसंद आई और उन्होंने उन्हें कुछ
पंक्तियां लिखने के लिए कहा। जावेद तुरंत काम पर लग गए। उन्होंने बताया, ‘मैं कोने में बैठ गया और चार—छह लाइन लिखीं। इसे पढ़ते ही आरडी ने धुन बना दीं और गाना बन गया।’ जावेद हंसते हुए कहते हैं,
‘मैंने कई महिलाओं से कहा है कि वे इस गाने के लिए उनकी प्रेरणा हैं, लेकिन इस गाने की प्रेरणा का स्रोत डर और शर्म थी।’ किस्सा तीन डमी शब्दों से निकला ‘एक दो तीन…’ तराना जावेद ने बताया, ‘तेजाब
फिल्म के एक गाने के बोल बन नहीं पा रह थे। मैं एक दिन संगीतकार प्यारेलालजी के पास गया तो उनके असिस्टेंट सुधीर ने कहा कि पास के गणपति मंदिर में गए हैं। अभी 15 मिनट में आएंगे। वे आए तो उन्होंने
बताया कि अभी रास्ते में बैंजों पर एक धुन बज रही थी। उससे मुझे एक धुन याद आ रही है। उन्होंने धुन सुनाई, मुझे ठीक लगी। उन दिनों धुन के साथ डमी शब्द लिखकर गीतकार को दिए जाते थे। प्यारेलालजी को
समझ नहीं आया तो उन्होंने डमी शब्द लिखे— एक, दो, तीन, चार, पांच करके उन्होंने टयून बनाने के लिए तेरह तक लिख दिया। मैंने उन्हें कहा— आप ये तेरह तक तो ऐसे ही रहने दें। इसे आगे मैं गाना लिखता
हूं।’ जावेद बताते हैं, ‘प्यारेलालजी बहुत गोरे थे, मगर ऐसा कहने के बाद वे और भी सफेद हो गए। कहने लगे— क्या कर रहा है…! एक दो तीन आज मौसम है रंगीन, एक—दो—तीन—चार मुझको हो गया है प्यार, तक तो
ठीक है, लेकिन ये तेरह तक कैसे होगा। लोग हंसेंगे। मैंने कहा, आगे जो गाना मैं लिखूंगा उसमें जस्टीफाय करुंगा कि यह तेरह क्यों है?’ जावेद ने बताया, ‘हमारे यहां एक परंपरा होती है— बारहमासा। इसमें
एक विरहन बारह महीने अपने पति से दूर रहती है और हर मास का वर्णन करती हैं। मैंने इसे ही आधार बनाकर पूरा गीत लिखा।’ जावेद ने यह गाना खुद गुनगुनाकर भी सुनाया। किस्सा चार शर्ट की जेब पर लिखे
‘मुंबासा’ शब्द से सजा हवा हवाई गीत जावेद बताते हैं, ‘बोनी कपूर की मिस्टर इंडिया मूवी के लिए हवा—हवाई गाना लिख दिया था। बाद में पता चला कि एक डिस्ट्रीब्यूटर ने बोनी को कहा कि जावेद अख्तर से
गाने मत लिखवाना, वह गानों में कविता लिख देता है। बोनी ने कहा— गाने तो वह लिख चुके हैं। मगर मुझे लगा कि अब गाने के आगे कुछ दो लाइन की जिबरिश (बेमतलब का शब्दजाल) लिखता हूं। एक लाइन लिख दी और
दूसरी लाइन समझ ही नहीं आ रही थी। गाना रिकॉर्ड होने वाला था और कविता कृष्णमूर्ति पहुंच चुकी थी, मगर मेरा पास एक लाइन अटकी हुई थी। तभी बोनी कपूर से मिलने के लिए प्रोड्यूसर अशोक चक्रिया आए। वे
मुझसे भी हाथ मिलाने आ गए। उनकी शर्ट की जेब पर एक शब्द लिखा था— मुंबासा। मुझे इसी शब्द की तलाश थी। मैंने तत्काल वह लाइन बनाई और गाना बन गया। गाने की शुरू की दो लाइनों में इसी शब्द का कमाल
है।’