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अमेरिका की International Trade Court ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘Liberation Day’ टैरिफ्स को रोक दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने अपने संवैधानिक अधिकारों का
अतिक्रमण किया है और इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत उन्हें असीमित टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है. Advertisment व्यापार नीति पर काम करेगा संसद ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया
था कि वे IEEPA का प्रयोग “असामान्य और असाधारण संकट” की स्थिति में कर सकते हैं, और इसी आधार पर उन्होंने व्यापार घाटे वाले देशों पर व्यापक शुल्क लागू किए. लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह
कानून राष्ट्रपति को असीमित शक्ति नहीं देता, और व्यापार नीति तय करना संसद का अधिकार है. अदालत ने कहा, “यह निर्णय इस बात पर नहीं है कि टैरिफ्स समझदारी भरे हैं या नहीं, बल्कि इस पर है कि क्या
राष्ट्रपति के पास वैधानिक रूप से यह अधिकार है.” इस फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने तुरंत अपील दर्ज की है. भारत-पाक संघर्ष से जोड़ा गया मामला ट्रंप सरकार ने कोर्ट में यह भी दावा किया कि इन
टैरिफ्स के जरिए उन्होंने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात में ‘संघर्षविराम’ कराया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद दोनों परमाणु
संपन्न देश तनाव में थे, जिसे व्यापारिक दबाव से नियंत्रित किया गया. व्यापार सौदों पर असर अधिकारियों के अनुसार कई देशों से टैरिफ पर बातचीत जारी है और 7 जुलाई तक अंतिम समझौता तय करना है. लेकिन
इस कानूनी झटके से अमेरिका-चीन के बीच चल रही ‘असमान व्यापार संधि’ भी प्रभावित हो सकती है. जारी हैं कई मुकदमे यह फैसला दो मुकदमों में आया—एक गैर-राजनीतिक संस्था ‘लिबर्टी जस्टिस सेंटर’ ने छोटे
व्यवसायों की ओर से, और दूसरा 13 अमेरिकी राज्यों की ओर से दायर किया गया था. इसके अलावा, टैरिफ्स के खिलाफ पांच और केस अदालतों में लंबित हैं. व्हाइट हाउस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया
नहीं आई, लेकिन ट्रंप के प्रमुख सलाहकार स्टीफन मिलर ने इसे “न्यायिक तख्तापलट” बताया. ये भी पढ़ें- ‘GOLDEN DOME' के सपने पर पानी फेरेगा कनाडा, क्या करेंगे प्रेसिडेंट ट्रंप?