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VAIVASVATA SAPTAMI 2022 VAIVASVATA MANU: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को वैवस्वत सूर्य की पूजा का विधान है. ये दिन सूर्य देव के पुत्र वैवस्वत मनु को
समर्पित है. मान्यता है कि सूर्य सप्तमी के दिन वैवस्वत मनु की पूजा और व्रत करने से आरोग्य, धन में वृद्धि और दुश्मनों पर जीत पाने का वरदान मिलता है. इस बार 6 जुलाई 2022 शुक्रवार को है सूर्य
सप्तमी. इस दिन सूर्य देव के वरूण रूप की पूजा करने की भी परंपरा है. आइए जानते हैं कौन थे वैवस्वत मनु और पूजा विधि. Advertisment यह भी पढ़ें: LIZARD FALLING ON BODY PARTS MEANING: छिपकली का
गिरना देता है शुभ और अशुभ संकेत, नौकरी में होता है प्रमोशन और धन की होती है हानि कौन थे वैवस्वत मनु (WHO IS VIVASVAT MANU) पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता अदिति के गर्भ से सूर्य देव ने जन्म
लिया था. ग्रंथों के मुताबिक भगवान सूर्य को विवस्वान और मार्तण्ड के नाम से भी जाना जाता है. वैवस्वत मनु सूर्य देव यानी विवस्वान और देवी संज्ञा के पुत्र थे. वैवस्वत मनु को श्राद्धदेव और
सत्यव्रत भी कहा जाता है. वैवस्वत मनु से ही संसार का विकास हुआ. कहा जाता है कि भक्ति भाव से इस दिन इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. वैवस्वत पूजा 2022 शुभ मुहूर्त (VIVASVAT
SURYA 2022 SHUBH MUHURAT) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि प्रारंभ - 5 जुलाई शाम 7 बजकर 28 मिनट से शुरू आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त- 6 जुलाई शाम 7 बजकर 48 मिनट तक
उदया तिथि के कारण वैवस्वत पूजा 6 जुलाई को की जाएगी. यह भी पढ़ें: DEVSHAYANI EKADASHI 2022 AVOID THESE THINGS: देवशयनी एकादशी के बाद इन कामों न करने में ही है आपका भला, भगवान विष्णु होंगे
प्रसन्न और दूर होगी हर बला कैसे करें सूर्यदेव की पूजा (VIVASVAT SURYA 2022 SURYA DEV PUJA VIDHI) इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें
लाल चन्दन, चावल, लाल फूल डालकर सूर्य निकले के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें. जल चढ़ाते समय सूर्य के वरूण रूप को प्रणाम करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने
से सूर्य देव मनोवांछित फल देते हैं. इसके बाद दीप से सूर्य देव का पूजन करें. सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें. ऐसा करना शुभ
माना जाता है. श्रद्धानुसार इन में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद एक समय फलाहार करें.