महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करना चाहते हैं राज ठाकरे : शिवसेना (यूबीटी) नेता का बयान

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महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करना चाहते हैं राज ठाकरे : शिवसेना (यूबीटी) नेता का बयान


मुंबई, 4 जून (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं। चर्चा है कि आगामी चुनाव के लिए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर साथ आ सकते हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के


नेता सचिन अहीर ने बुधवार को कहा कि राज ठाकरे महाराष्ट्र के हित के लिए काम करना चाहते हैं।


नगर निगम चुनावों में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने की संभावना पर सचिन अहीर ने कहा, महाराष्ट्र के साथ अन्याय हो रहा है। महानगरपालिकाओं में लूट मची है और राज्य की प्रगति को जानबूझकर रोका


जा रहा है। ऐसे में यदि कोई भी दल हमारे साथ खड़ा होकर अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहता है, तो विपक्ष में होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम साथ आएं। राज ठाकरे ने अपने एक इंटरव्यू में


महाराष्ट्र के हित में काम करने की इच्छा जताई थी। वहीं से यह पहल शुरू हुई। अगर मनसे के साथ समाजवादी पार्टी भी जुड़ना चाहती है, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हम साफ कहना चाहते हैं, गठबंधन


में दलों की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए। दोहरी भूमिका नहीं चलेगी। हमारा पक्ष भी गठबंधन को लेकर सकारात्मक है। लेकिन इस पर अनावश्यक राजनीतिक ट्विस्ट न दिया जाए।


महाराष्ट्र में औवसी की पार्टी एआईएमआईएम और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में भी गठबंधन की चर्चा चल रही है। इस पर सचिन अहीर ने कहा, अगर ओवैसी महाराष्ट्र के हित में बात करते हैं, तो हम उस पर


विचार कर सकते हैं। समाजवादी पार्टी को हमने पहले समर्थन दिया था, लेकिन जब उनके एक नेता ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, तब हमने विरोध भी किया। दुर्भाग्यवश, उस पर कोई ठोस


कार्रवाई नहीं हुई, और वही नेता अब मुख्यमंत्री के साथ बैठकर चाय पी रहे हैं। यह दोहरा मापदंड है।


शिवसेना नेता कहा कि, सरकार का काम यह तय करना नहीं है कि कौन सा त्योहार कैसे मनाया जाए। परंपराएं वर्षों से चल रही हैं। कोविड के समय जब प्रतिबंध लगे, तब सभी समाजों ने सहयोग किया – चाहे वह


हिंदू समाज हो या मुस्लिम। लेकिन अब सरकार जानबूझकर धार्मिक मामलों में राजनीति कर रही है, द्वेष फैलाने का काम कर रही है।


गणपति पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध को लेकर सचिन अहीर ने कहा, विधानभवन में हम यह सवाल उठाने वाले हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नाम पर पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध क्यों थोप रही है?


और फिर यह भी कह रही है कि इसे ‘सख्ती से लागू’ किया जाएगा। यह सरासर अन्याय है। हम इसका कड़ा विरोध करेंगे और सरकार से जवाब मांगेंगे।