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दिल्ली विश्वविद्यालय ने डिजिटल डिग्री जारी करने के लिए 750 रुपये शुल्क लेने का फैसला किया है. छात्रों द्वारा इस फैसले का विरोध किया जा रहा है. छात्र चाहते हैं कि डिग्री के बदले उनसे कोई
शुल्क न वसूला जाए. दिल्ली विश्वविद्यालय का कहना है कि वह डिग्री की हार्ड कॉपी निशुल्क प्रदान करेगा. हालांकि डिजिटल डिग्री के लिए छात्रों को तय राशि का भुगतान करना होगा. दिल्ली विश्वविद्यालय
से ग्रेजुएशन कर चुके जिन छात्रों को अभी डिग्री नहीं मिली, उनके लिए विश्वविद्यालय ने एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है. इसके जरिए छात्रों को डिजिटल डिग्री, सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं. इसके
साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने डिग्रियों की प्रिंटिंग का काम भी शुरू कर दिया है. Advertisment यह भी पढ़ें : कोरोना प्रोटोकॉल के साथ CBSE बोर्ड परीक्षा के PRACTICALS शुरू, 11 जून तक होंगे
छात्रों के मन में यह दुविधा भी है कि यदि डिजिटल डिग्री मिल गई तो प्रिंटेड डिग्री की डिग्री प्रति जो पूर्व में मिलती थी वह नहीं मिलेगी. इस बाबत डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रोफेसर डीएस रावत ने
कहा कि डिजिटल डिग्री जारी करना एक बड़ा प्रयास था. यह पूरी तरह से टीम वर्क था. इसे दीक्षांत समारोह के दिन छात्रों को दिया गया. दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक कई बार प्रिंटेड डिग्री जारी करने
में समय लग जाता है, इसलिए डीयू ने डिजिटल डिग्री जारी की है. यदि छात्र चाहें तो वह भुगतान करके डिग्री डाउनलोड कर सकते हैं. सभी छात्रों को डिग्री की हार्ड कॉपी भी दी जाएगी. उसके लिए किसी तरह
का शुल्क नहीं है. जिनको डिजिटल डिग्री मिल चुकी है उनको भी प्रिंटेड डिग्री मिलेगी. यह भी पढ़ें : चाणक्य नीति: खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं ये बातें नेशनल स्टूडेंट युनियन ऑफ
इंडिया (एनएसयूआई) दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल डिग्री के लिए 750 रुपये शुल्क लेने का विरोध कर रहा है. एनएसयूआई विश्वविद्यालय प्रशासन से तुरंत इस शुल्क को वापस लेने का अनुरोध किया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय इस वर्ष से छात्रों को डिजिटल डिग्री जारी कर रहा है. इसके तहत कोई भी छात्र अपनी डिग्री ऑनलाइन लिंक के जरिए प्राप्त कर सकता है. 2020-21 में ग्रेजुएट हुए छात्रों को डिजिटल
डिग्री डाउनलोड करने के लिए 750 रुपये का शुल्क देना होगा. एनएसयूआई के राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी मौहम्मद अली का कहना है कि इसके अलावा दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्रों की डिग्री में बहुत
बड़ी गलती सामने आयी है. छात्रों को तीन साल बाद ग्रेजुएट की डिग्री देने की जगह प्रशासन द्वारा 5 ईयर इंटीग्रेटेड प्रोग्राम की डिग्री दी गई है, जो 5 साल बाद मिलनी चाहिए थी. Source : News Nation
Bureau