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इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Satyakam Volunteer Indore। कोरोना के इस भयावह दौर में सबसे ज्यादा दिक्कतें बेटे-बहुओं से अलग रह रहे बुजुर्गों को ही आ रही है। रोज कमाने खाने वालों को तो भूखे मरने
की नौबत आ गई। मुश्किल के इस दौर में शहर के कुछ नौजवान फरिश्ते बन सामने आए और बुजुर्गों को न सिर्फ खाना खिला रहे बल्कि दवा भी समय-समय पर देते है। हिंदू-मुस्लिम का भेद भूल राजा इफ्तारी का
सामान भी देने जाते है।
पश्चिम-2 एएसपी डॉ. प्रशांत चौबे के मुताबिक कोरोना कर्फ्यू की शुरुआत होते ही थानावार सत्यकाम कोरोना वालिंटियर की टीम बनाई और उनके मोबाइल नंबर जारी कर दिए। जैसे जैसे कर्फ्यू बढ़ने लगा
बुजुर्गों के फोन आना शुरु हो गए। इनमें कुछ लोग एसे है जो वृद्ध पत्नी के साथ रहते है और ऑटो रिक्शा, ठेला या फिर दिये बेच कर गुजारा कर रहे थे। कोरोना के कारण उनका काम धंधा बंद हो गया और घर में
जमा राशन पानी भी खत्म हो गया। कॉल आते ही वालिंटियर्स उनके पास पहुंचे और न सिर्फ खाना मुहैया करवाया उन्हें जरुरत के हिसाब से दवा गोली भी दी। एएसपी के मुताबिक शुरुआत आठ-दस कॉल से हुई जो अब
100 से ज्याता पर पहुंच चुकी है। रोजाना टिफिन के साथ- साथ जरुरतमंदो को राशन के पैकेट भी पहुंचाते है उनके वालिंटियर।
बुजुर्गों का हाथ थाम कोरोना जांच करवाने ले गए युवा
एएसपी के मुताबिक वालिंटियर मनीष नायर, आशीष शर्मा, अमित सिकरवाल तो स्वास्थ्य खराब होने की खबर मिलते ही उनका हाथ थाम कई बुजुर्गों का कोरोना टेस्ट करवाने भी पहुंच जाते है। इतना नहीं उन्हें यह
भी पता है कि किस बुजुर्ग को शुगर की बीमारी है और दवा के पहले क्या खाना है। वो कब दवा लेंगे और कब खाना खाएंगे।