Indore news: अपनों को खोने के दर्द पर संवेदनाओं का मरहम लगा रहे पोस्टकार्ड

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INDORE NEWS: शहर के मोहन अग्रवाल कई वर्षों से शोक संतप्त परिवारों को पत्राचार के जरिये संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। By SAMEER DESHPANDE Edited By: SAMEER DESHPANDE Publish Date: Wed, 21 Apr


2021 05:40:36 PM (IST) Updated Date: Wed, 21 Apr 2021 05:40:36 PM (IST) इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Indore News। वसुधैव कुटुम्बकम् का अर्थ होता है पूरी दुनिया को अपने परिवार की तरह मानना। कोई


इस वाक्य को अपनाकर किसी की मदद की राह चुनता है तो कोई इस मंत्र को अपनाकर अपने साथ औरों की तरक्की के रास्ते बनाता है। पर शहर में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसने इस वाक्य को अपनाकर दूसरों के दर्द


को बांटने का एक अनुठा तरीका अपनाया। फिर चाहे वह परिचित हो या अपरिचित। शहर के वरिष्ठ नागरिक मोहन अग्रवाल अपने इस प्रयास से दूसरों के दर्द पर संवेदनाओं का मरहम तो लगा ही रहे हैं साथ ही औरों को


अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश दे रहे हैं कि दुख बांटने से कम होता है और दुख बांटने के लिए जरूरी नहीं कि उस व्यक्ति पास जाना ही पड़े। गत वर्ष जब लाकडाउन लगा था तब मोहन अग्रवाल ने महसूस किया कि


जिन परिवारों में निधन हो रहा है उनका दुख बांटने के लिए उनके पास कोई नहीं जा पा रहा। फोन के जरिए जरूर लोग एक-दूसरे के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कर देते हैं लेकिन कई बार यह भी संभव नहीं हो पाता


क्योंकि जिसने अपने को खोया है वह हमेशा फोन पर बात कर पाए यह संभव नहीं होता। ऐसे में सांत्वना देने के लिए इन्होंने पत्राचार को अपनाया। समाचार पत्रों में प्रतिदिन आने वाले शोक संदेशों को आधार


बनाकर इन्होंने उन परिवारों को सांत्वना पत्र लिखना शुरू किया। जिन शोक संदेशों में संबंधित परिवार का पता नहीं होता उनका पता संदेश के साथ लिखे फोन नंबर से लेकर पत्राचार को आगे बढ़ाया। इस तरह


2020 के मार्च माह से लेकर अब तक श्री अग्रवाल पांच हजार पत्र लिख चुके हैं। पत्र व्यवहार के लिए यह पोस्टकार्ड चुनते हैं और उसपर खुद ही सांत्वना संदेश लिखते हैं। प्रतिदिन औसतन ये 15 पत्र भेजते


हैं। ऐसा नहीं कि यह पत्र केवल उन परिवारों को भेजे जाते हों जिन्हें ये व्यक्तिगत रूप से जानते हैं बल्कि अधिकांश पत्र तो उन परिवारों तक पहुंचते हैं जिनसे इन्होंने कभी बात तक नहीं हुई। यह पत्र


केवल इंदौर ही नहीं बल्कि अन्य शहरों में भी भेजे जाते हैं। मोहन अग्रवाल बताते हैं कि सुबह अखबार आने के बाद पहला काम यही रहता है कि उसमें प्रकाशित शोक संदेशों के आधार पर पोस्टकार्ड लिखना और


उसे पोस्ट करना। चूंकि पोस्टकार्ड आज भी अपनेपन का अहसास कराता है और उसे व्यक्ति बार-बार पढ़ भी सकता है।