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-30 हजार असम राइफल्स के पूर्व सैनिक प्रदेश में असम राइफल्स के 30 हजार से अधिक पूर्व सैनिकों ने चार सूत्रीय मांगों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे। केंद्रीय स्तर की
मांगों के लिए पूर्व सैनिक पहले चरण में प्रदेश के पांच लोकसभा सांसदों से मुलाकात करेंगे। असम राइफल्स के पूर्व सैनिकों को उपनल में नौकरी की मांग पर राज्य स्तर पर आंदोलन छेड़ने की तैयारी कर ली
है। उत्तराखंड में असम राइफल्स के करीब 30 हजार से अधिक पूर्व सैनिक हैं। मगर इनके लिए उपनल में नौकरी की व्यवस्था नहीं है। केंद्र सरकार ने भी अब तक असम राइफल्स के कार्यरत और पूर्व सैनिकों को
सीजीएचएस (केंद्रीय कर्मचारी स्वास्थ्य योजना) से बाहर रखा है। इस कारण सेवारत और रिटायर्ड को सेहत संबंधित मामलों में काफी दिक्कत आती है। ऑल इंडिया असम राइफल्स एक्स सर्विसमेन वेलफेयर एसोसिएशन
सचिव सूबेदार अशोक नेगी रिटायर्ड ने बताया कि 2004 के बाद भर्ती हुए जवानों को पेंशन नहीं दी जा रही है। असम राइफल्स पूर्वोत्तर की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है। सेवा तो सेना की तरह ली जा रही
हैं, लेकिन सुविधाएं अर्द्ध सैनिक बलों की मिल रही हैं। इसे देखते हुए संगठन ने देशभर में सांसदों के जरिए अपनी आवाज संसद तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की है। उत्तराखंड में भी सांसदों के जरिए मांगों
को संसद तक पहुंचाने का कार्यक्रम है। चुनाव से पहले जुटेंगे पूर्व सैनिक प्रदेश में असम राइफल्स के करीब 30 हजार पूर्व सैनिक और करीब आठ हजार से अधिक कार्यरत सैनिक हैं। मगर केंद्र और राज्य
सरकार की उपेक्षा से संगठन 2019 के चुनाव से पहले मांगों को लेकर मुखर होने लगा है। संगठन से जुड़े सदस्यों के मुताबिक 138 साल पुरानी सैन्य संगठन की उपेक्षा का मुद्दा 2019 से पहले सुलझाया जाए।
प्रमुख मांगें - असम राइफल्स को रक्षा मंत्रालय के अधीन किया जाए। - 2004 के बाद भर्ती जवानों की पेंशन बहाल की जाए। - सीजीएचएस का लाभ सेवारत व रिटायर्ड कर्मियों को मिले। - असम राइफल्स को देशभर
में तैनाती दी जाए। - उत्तराखंड में उपनल में नौकरी का अधिकार मिले।