
- Select a language for the TTS:
- Hindi Female
- Hindi Male
- Tamil Female
- Tamil Male
- Language selected: (auto detect) - HI
Play all audios:
छठ महापर्व सृजन का विशिष्ट पर्व है। सृजन के लिए अवसान अनिवार्य शर्त है। बिना अवसान आरंभ का प्रश्न ही नहीं। तभी तो कि इस अति प्राचीन लोक पर्व पर पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और
उसके बाद... Yogesh Yadav वाराणसी प्रमुख संवाददाता, Sat, 2 Nov 2019 12:11 AM Share Follow Us on __ छठ महापर्व सृजन का विशिष्ट पर्व है। सृजन के लिए अवसान अनिवार्य शर्त है। बिना अवसान आरंभ का
प्रश्न ही नहीं। तभी तो कि इस अति प्राचीन लोक पर्व पर पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद नवसृजन की कामना से रश्मिरथी की अर्चना की जाती है। इस सृजनात्मक वातावरण का प्रभाव जब
सात समंदर पार रहने वालों तक पहुंच गया है तो धर्म नगरी काशी में रहते हुए मैं भला इससे अछूता कैसे रह सकता हूं। यह कहना है पद्मभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का। उन्होंने शुक्रवार को हिन्दुस्तान से
विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘खेले मसाने में होली दिगंबर’ और ‘काशी नगरी के महिमा अपार है, शिव का दरबार है ना’जैसी कृतियों के क्रम में एक सोपान और चढ़ने का प्रयास अपनी नई रचना के माध्यम से
किया है। इसके जरिए छठी माता-सूर्य नारायण की महिमा, माता गंगा की अनिवार्यता और छठ पर्व के विश्वव्यापी विस्तार को इंगित करने का प्रयास किया गया है। छठ पर्व के अवसर पर अपनी यह कृति सबसे पहले
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के सुधि पाठकों के साथ साझा कर रहा हूं। इसकी बानगी कुछ यूं है... छठी मइया की महिमा अपार है सूर्य का त्योहार है ना गंगा मइया की धार करे सबका बेड़ा पार सभी भक्तों की यही
पुकार है सूर्य का त्योहार है ना सात सागर के पार बहे अरध की धार ऐही पूजा का बहुतै प्रचार है सूर्य का त्योहार है ना...। उन्होंने कहा कि इस कृति की अन्य पंक्तियों में मैंने छठ महापर्व की आस्था
के अलग-अलग दृश्यों के शब्दचित्र बनाने का प्रयास किया है। छठ की महिमा के वर्णन पर आधारित इस शब्दकृति का शृ़ंगार में राग-रागिनियों से करुंगा। इसे संगीतबद्ध करने की परिकल्पना भी तैयार कर ली है।
मेरे मन-मस्तिष्क में शाम से सुबह के बीच गाए जाने वाले रागों के स्वरूप कौंध रहे हैं। छठ लोक आस्था का महानतम पर्व है इसलिए मैंने यह भी तय किया है कि शास्त्रीय रागों से सजने वाली अपनी इस कृति
को मैं लोकसंगीत की चुनरी भी धारण कराऊंगा। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद मेरी कोशिश है कि मैं जल्द इसका सांगीतिक रूप अपने चाहने वालों के सामने रखूं। मेरी इच्छा यह है कि इस की प्रथम सांगीतिक
प्रस्तुति मैं पीएम नरेंद्र मोदी ही नहीं बल्कि उनकी पूरी टीम के सामने देश की संसद में करुं। ऐसा करने से मेरा गौरव तो बढ़ेगा ही छठ को संसद में भी मान मिलेगा।