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Hindi NewsUP Newsddu professor kamlesh kumar gupta allegation on vice chancellor prof rajesh singh fake mail id naac assessment DDU के VC प्रो.राजेश सिंह पर विश्वविद्यालय के निलंबित प्रो
कमलेश कुमार गुप्त ने गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि नैक मूल्यांकन में अच्छे ग्रेड के लिए हजारों विद्यार्थियों की फर्जी ईमेल आईडी बनवाई है। Ajay Singh हिन्दुस्तान, गोरखपुरSat, 10 Dec 2022
11:40 AM Share Follow Us on __ दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के कुलपति प्रो.राजेश सिंह पर विश्वविद्यालय के निलंबित प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
आरोप है कि नैक मूल्यांकन में अच्छे ग्रेड के लिए हजारों विद्यार्थियों की फर्जी ईमेल आईडी तैयार करवाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि मेरा आरोप गलत प्रमाणित होता है तो मैं हर सजा भुगतने को तैयार
हूं। इस सम्बंध में कुलपति का पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका। हिन्दी विभाग के प्रो. कमलेश गुप्त ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट में कई गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रो. कमलेश
गुप्त ने इस पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर पुष्टि की कि उन्होंने ही यह पोस्ट किया है। इस पोस्ट में कुछ भी गलत हो तो वे उसकी सजा भुगतने को तैयार हैं। प्रो. कमलेश गुप्त के पोस्ट के मुताबिक,
कुलपति ने नैक मूल्यांकन के लिए दाखिल की गई एसएसआर में अच्छा ग्रेड पाने के लिए ढेर सारे झूठे दावे किए हैं। असत्य और भ्रमपूर्ण तथ्य शामिल करवाए हैं। संभव है, ऐसा कुछ अन्य जगहों पर भी हुआ हो
लेकिन हमारे कुलपति जैसा काम किसी और कुलपति ने नहीं किया होगा। हमारे कुलपति को इस बात की आशंका थी कि विद्यार्थी संतुष्टि सर्वेक्षण में कहीं सच न बोल दें, क्योंकि सच से दावों का पता चल सकता
है। इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों की वास्तविक ईमेल आईडी देने की जगह उनकी फर्जी ईमेल आईडी तैयार करवा के भिजवा दी है। विद्यार्थियों को उस ईमेल आईडी के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है, जिससे वह
उसका पासवर्ड बदल कर अपने नियंत्रण में उसका इस्तेमाल कर सकें। इस पोस्ट के मुताबिक उस पर नैक की ओर से ईमेल आए होंगे, जिनका संतोषजनक जवाब विद्यार्थियों की जगह कुलपति द्वारा इस काम के लिए
नियुक्त लोगों ने दिए होंगे। विद्यार्थियों को इसकी भनक भी नहीं लगी होगी। कहीं यह सारी जालसाजी और धोखाधड़ी उजागर न हो जाए इसलिए विवि की वेबसाइट पर अब तक एसएसआर को अपलोड नहीं करवाया गया है।
जबकि एसएसआर अपनी उपलब्धियों का विवरण है, नैक मूल्यांकन करवाने वाली शैक्षणिक संस्थाएं अपनी वेबसाइट पर एसएसआर अपलोड करवाती ही हैं। यह कोई छिपाने वाली चीज नहीं है। यदि वेबसाइट पर एसएसआर तत्काल
उपलब्ध करवा दें तो मेरे आरोपों की पांच मिनट में पुष्टि हो सकती है। विश्वविद्यालय प्रशासन का नहीं मिला पक्ष डीडीयू के कुलपति प्रो. राजेश सिंह और मीडिया सेल को उनके आधिकारिक ईमेल और वाट्सएप पर
प्रो. कमलेश गुप्त के फेसबुक पोस्ट का लिंक भेजकर दो बार उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनका पक्ष नहीं मिल सका। उनका पक्ष मिलने पर उसे प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।