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सीबीगंज के सिल्वा साल जंगल में फिल्म वृक्ष की शूटिंग में तेंदुआ विलेए बने हुए हैं। वन अफसरों का कहना है, जंगल में शूटिंग के दौरान अगर जानवर हमला कर दे तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। फतेहगंज
पश्चिमी... सीबीगंज के सिल्वा साल जंगल में फिल्म वृक्ष की शूटिंग में तेंदुआ विलेए बने हुए हैं। वन अफसरों का कहना है, जंगल में शूटिंग के दौरान अगर जानवर हमला कर दे तो उसके लिए जिम्मेदार कौन
होगा। फतेहगंज पश्चिमी और मीरगंज के आसपास वैसे ही तेंदुए अक्सर दिखे जा रहे हैं। सीबीगंज और फतेहगंज पश्चिमी की सीमा से मिला हुआ है। बिना अनुमति वन विभाग शूटिंग कैसे करा दें। शूटिंग की परमीशन
के लिए तीन जनवरी को अपर प्रमुख वन संरक्षक कानपुर के थॉमस को एप्लीकेशन मेल की गई है। कानपुर में अनुमति संबंध पत्र लटका है। वहां से अनुमति मिलने पर वन विभाग जंगल में शूटिंग करने देगा। मुख्य वन
संरक्षक राम प्रकाश वर्मा (साल) क्षेत्र का कहना है, फिल्म निर्माता तो शूटिंग अनुमति की औपचारिकताएं ही पूरी नहीं करना चाहते हैं। बिना अनुमति के साल के जंगल में सीन शूट करना चाहते हैं, जो संभव
नहीं है। दो लाख रुपए किसने मांगे हैं। उसका कोई साक्ष्य आकर दें। मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। कहां से हो गए पंद्रह दिन, तीन जनवरी को हुई मेल वन अधिकारियों का कहना है, वशिष्ट फिल्मस
के वैनर तले फिल्म वृक्ष बनाई जा रही है। प्रोड्यूसर संजय सिंह 27 दिसंबर 2019 को फिल्म वृक्ष की शूटिंग के संबंध में आकर मिले थे। उनको बताया गया था कि शूटिंग करने की अनुमति कानपुर आफिस से
मिलेगी। इसके लिए आपको प्रार्थना पत्र देना होगा। उस प्रार्थना पत्र को बरेली वन विभाग फारवर्ड करेगा। वही हुआ तीन जनवरी 2020 को मुख्य वन संरक्षक राम प्रकाश वर्मा ने प्रार्थना पत्र कानपुर आफिस
को मेल कर दिया, जो पेंडिंग में है। 11 दिन ही हुए हैं। कम से कम पांच-छह लगते हैं। एक दिन में शूटिंग को लेकर अनुमति की औपचारिकताएं पूरी नहीं जाती हैं। जंगल है, पब्लिक प्लेस नहीं वन अधिकारी
कहते हैं, जंगल में किसी फिल्म की शूटिंग को अनुमति देना कभी-कभी मुसीबत बन जाता है। जंगल में जंगली सुअर, तेंदुआ, जंगली बिल्लिया, नील गाय, सियार, लकड़बग्गा जैसे कई घातक जानवर होते हैं, जो भीड़
देखकर हमलावर हो जाते हैं। जंगल में जब भी शूटिंग होती है, उसकी अनुमति वन विभाग के अलावा जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन भी देता है। शूटिंग के दौरान पुलिस और वन विभाग की डयूटी लगाती है। जिससे कोई
घटना-दुघर्टना न हो। इसलिए अब जंगल में शूटिंग की प्रक्रिया लंबी होती है। मुख्यालय स्तर से अनुमति मिलती है। मुझसे मांगे दो लाख, मुख्यमंत्री से मिलेंगे प्रोड्यूसर संजय सिंह का कहना है, वन
अधिकारियों के कहने पर ही मैं 20-25 सदस्सीय टीम के साथ शूटिंग करने को 31 दिसंबर को ही बरेली आ गए थे। एक जनवरी को जब शूटिंग करने पहुंचे तो वन अधिकारी बसंत पांडेय ने ही मुख्य वन संरक्षक से
मिलवाया था। बसंत पांडेय ने ही दो लाख रुपए मांगे। दस दिन तक टहलाया गया। कानपुर जो प्रार्थना पत्र भेजा गया है। मेरी ही एल्पीकेशन भेज दी गई, लेकिन मुख्य वन संरक्षक राम प्रकाश वर्मा को उसे मार्क
करके भेजा चाहिए था। हम इस मामले में मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। जब दो लाख रुपए नहीं दिए तो शूटिंग सेट को हटवा दिया गया।