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राजस्थान के बीजेपी सांसदों एवं विधायकों का प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के साथ टकराव बढ़ता ही जा रहा है। बीजेपी सांसदों और विधायकों का कहना है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी सरकार के इशारे पर काम
कर... Shankar Pandit Pebble Team, जयपुरThu, 27 Aug 2020 02:08 PM Share Follow Us on __ राजस्थान के बीजेपी सांसदों एवं विधायकों का प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के साथ टकराव बढ़ता ही जा रहा है।
बीजेपी सांसदों और विधायकों का कहना है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी सरकार के इशारे पर काम कर रही है। ताजा मामला पाली के सांसद पीपी चौधरी द्वारा मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के खिलाफ मोर्चा खोलने का
है। चौधरी ने मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति के समक्ष ले जाने की चेतावनी दी है। ब्यूरोक्रेसी की ओर से प्रोटोकॉल की अवहेलना से नाराज मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के सांसद जिला कलक्टर्स से
लेकर पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। बीजेपी सांसदों का आरोप है कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी सत्तारूढ़ दल के इशारे पर काम करते हुए अपनी मनमानी कर रही है। इससे पूर्व भी केंद्रीय जल
शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर के अधिकारियों द्वारा उनका फोन नहीं उठाने की बात कह चुके हैं। वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल भी ब्यूरोक्रेसी को संसद की विशेषाधिकार समिति तक घसीट चुके
हैं। कोरोना के बीच अब 7 सितंबर से राजस्थान में खुल सकेंगे सभी धार्मिक स्थल गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार बदलते ही ब्यूरोक्रेसी के भी बदलने की पुरानी परिपाटी रही है। ऐसे में ब्यूरोक्रेसी पर
सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं। वसुंधरा सरकार में मुख्य पदों पर लगे अधिकारियों को अशोक गहलोत सरकार ने आते ही उन्हें हटाकर ठंडी पोस्ट पर लगा दिया था। उल्लेखनीय है कि
राजस्थान में लोकसभा की 25 में से 24 सीटों पर बीजेपी और एक सीट नागौर में बीजेपी की सहयोगी पार्टी आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल सांसद हैं। प्रोटोकॉल नहीं देने पर बढ़ा विवाद बीजेपी सांसदों
का कहना है कि आईएएस से लेकर एसपी तक फोन रिसीव नहीं करते। वहीं बीजेपी विधायकों ने भी आरोप लगाया है कि कॉन्स्टेबल तक का कर्मचारी उनकी नहीं सुनता। डीओपीटी मंत्रालय की स्पष्ट गाइडलाइन होने के
बावजूद ब्यूरोक्रेट्स सांसदों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं और उनके साथ दोयम दर्जे का बर्ताव करते हैं। इतना ही नहीं, ब्यूरोक्रेसी द्वारा शिलान्यास-उद्घाटन समारोह में छपने वाले बैनर
पोस्टर और शिलालेखों से सांसदों के नाम गायब किए जा रहे हैं, जहां नाम लिखा जा रहा है उसमें वरीयता क्रम का उल्लंघन करते हुए सांसदों का नाम नीचे लिख दिया जाता है। इन सांसदों का यह भी आरोप है कि
अधिकारी खुद की फोटो और नाम छपवाने में आगे हैं।