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अगर आप केदारनाथ यात्रा पर जाने का मन बना रहे हैं या यात्रा के बारे में जानने के जिज्ञासु हैं तो आपके लिए यह खबर खास है। जून 2013 की भीषण आपदा के बाद यह पहला मौका होगा, जब केदारनाथ यात्रा के
लिए... अगर आप केदारनाथ यात्रा पर जाने का मन बना रहे हैं या यात्रा के बारे में जानने के जिज्ञासु हैं तो आपके लिए यह खबर खास है। जून 2013 की भीषण आपदा के बाद यह पहला मौका होगा, जब केदारनाथ
यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में बड़ा भारी उत्साह है। पहले दिन ही करीब डेढ़ हजार यात्री केदारनाथ पहुंच चुके हैं। खास बात यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कपाट खुलने पर केदारनाथ धाम पहुंच
रहे हैं। मंगलवार को ‘हिन्दुस्तान’ टीम ने गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक की 18 किमी पैदल यात्रा पूरी की। उनके यात्रा मार्ग के अनुभव हम यहां साझा कर रहे हैं... ‘हिन्दुस्तान’ टीम मंगलवार तड़के
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड के लिए गाड़ी से रवाना हुई। ढाई घंटे सफर के बाद टीम गौरीकुंड पहुंची। यहां खासी चहल-पहल नजर आई। पार्किंग पर गाड़ियों का जमावड़ा था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यात्रा
शुरू करने की तैयारी में जुटे थे। कोई घोड़े-खच्चर वालों से बात कर रहा था तो कोई अपना सामान लाद रहा था। कुछ डंडी-कंडी वाले भी यात्रियों को लादकर ले जाने की तैयारी में जुटे तो कुछ रवाना हो रहे
थे। दुकानों पर भीड़ थी, लोग खाने-पीने के साथ जरूरी सामान भी खरीद रहे थे। सुबह नौ बजे टीम के सदस्यों ने गौरीकुंड से पैदल यात्रा शुरू की। रास्ते चकाचक थे, कहीं कोई बाधा नहीं थी। हर दो से तीन
किमी के अंतराल में दुकानें आ रही थी। नूडल्स, चाय, बिस्कुट, बेकरी आइटम, नमकीन, पानी आदि खाने-पीने के सामने आसानी से मिल रहे थे। हर दुकान पर यात्रियों की भीड़ थी। यात्रियों को देखकर दुकानदारों
के चेहरों पर रौनक दिखी। श्रद्धालुओं में महिलाएं और बच्चे भी शामिल देशभर से श्रद्धालु यात्रा का हिस्सा बन रहे हैं। इनमें बच्चे और महिलाओं की संख्या कम नहीं थी। हर कोई जय बाबा केदार, बम-बम
भोले के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। बीच-बीच में घोड़ों के गले में बंधी घंटी की धुन लोगों का उत्साह बढ़ा रही थी। 2013 के जलप्रलय के बाद केदारनाथ नाथ यात्रा पर ब्रेक लग गया था। चार साल
बाद अब इस तबाह क्षेत्र में यात्रा फिर से चलने लायक बन गई है। कहीं भी पैदल मार्ग खराब नहीं है। चौड़े मार्ग पर आसानी से श्रद्धालु पैदल चल सकते हैं। घोड़े-खच्चरों के लिए किनारे से अलग रास्ता
निकाला गया है। कहीं बीच-बीच प्रतीक्षालय भी बनाए गए हैं। जहां आप अपनी थकान दूर कर सकते हैं। रास्तेभर पेयजल के इंतजाम भी अच्छे हैं। लिनचौली से केदारनाथ तक सीमेंडेट रास्ता गौरीकुंड से जंगलचट्टी
चार किलोमीटर है। उसके बाद रामबाड़ा जगह पड़ती है। फिर अगला पड़ाव पड़ता है लिनचौली। गौरीकुण्ड से यह जगह 11 किलोमीटर दूर है। लिनचौली से सात किलोमीटर की पैदल दूरी तय करके टीम शाम छह बजे केदारनाथ
धाम पहुंची। यहां उस समय हल्की बारिश हो रही थी। लिनचौली से केदारनाथ धाम के बीच नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने चार मीटर चौड़ा सीमेंटेड रास्ता बनाया है, ऐसे में श्रद्धालु अब आसानी से केदारनाथ धाम
पहुंच सकते हैं। उधर, धाम में पहुंचने पर सुखद अहसास हुआ, थकान के बीच श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शनों को उत्सुक नजर आए। धाम की व्यवस्थाएं भी चकाचक नजर आईं। सीएम ने केदारनाथ में व्यवस्थाओं को
देखा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केदारनाथ धाम में विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मुख्यमंत्री केदारनाथ में स्थापित किए गए चिकित्सा केंद्र में गए और वहां तैनात मेडिकल टीम से उपलब्ध
दवाइयों व आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की जानकारी ली। श्रद्धालुओं के लिए बनाए आवासीय परिसरों का भी जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने पेयजल, बिजली, भोजन आदि व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया। उन्होंने
केदारनाथ में आए श्रद्धालुओं से भी मुलाकात की और उनसे केदारनाथ में की गई व्यवस्थाओं के बारे में फीडबैक भी लिया। श्रद्धालुओं ने व्यवस्थाओं के प्रति संतोष प्रकट करते हुए कहा कि केदारनाथ धाम में
आकर आलौकिक अनुभूति होती है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केदारनाथ में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। श्रद्धालु अपने साथ अच्छी यादें लेकर
जाएं। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डा.धनसिंह रावत, आयुक्त गढ़वाल मंडल, जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। कैस पहुंचे केदारनाथ उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले में
केदारनाथ धाम स्थित है। हरिद्वार और ऋषिकेश चारधाम यात्रा का बेसकैम्प है। ऋषिकेश से गौरीकुण्ड की दूरी 211 किलोमीटर है। यहां से 18 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करके केदारनाथ के धाम पहुंच सकते हैं।