Ias दुर्गा शक्ति को वक्फ बोर्ड ने दी क्लीन चिट

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आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर मचे सियासी घमासान के बीच उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। बोर्ड ने दुर्गा शक्ति नागपाल की प्रशंसा की


है और जोर... आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर मचे सियासी घमासान के बीच उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। बोर्ड ने दुर्गा शक्ति नागपाल की


प्रशंसा की है और जोर देकर कहा है कि गौतम बुद्ध नगर में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। दनकौर इलाके के कादलपुर गांव का दौरा करने के बाद समिति ने पाया कि आईएएस


अधिकारी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया था और ग्रामीणों को सलाह दी थी कि मस्जिद के निर्माण में वे सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करें। समिति ने यह भी उल्लेख


किया कि दुर्गा ने ही अतिक्रमित वक्फ बोर्ड की भूमि को दोबारा पाने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके चलते वह रेत एवं भू माफियाओं के निशाने पर आ गईं। समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक रिपोर्ट भेजी है


और दुर्गा को फिर से बहाल करने का अनुरोध किया है। प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्धनगर सदर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को मस्जिद की दीवार ढहाने के आरोप में निलंबित कर दिया था। विपक्षी दलों की ओर


से इस कार्रवाई के पीछे खनन माफिया का हाथ होने का आरोप लगाये जाते ही हंगामा हो गया। ऐसे मामले में गौतमबुद्धनगर की एलआइयू ने पुलिस उपमहानिरीक्षक (इंटेलीजेन्स) को जो रिपोर्ट भेजी, उसकी शुरुआत


'विदित हुआ है' से की है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिमों ने रघुपुरा थाने के कादलपुर गांव में मस्जिद की निर्माण शुरू कराया था, जिसकी तीन तरफ की 10-10 फुट दीवार खड़ी हो गई थी। जिसे


सीओ, एसडीएम जेवर व थानाध्यक्ष रघुपुरा ने मौके पर जाकर गिरवा दिया। अब फिर एलआइयू ने लिखा है कि 'प्रशासन का कहना है,' 'मस्जिद' निर्माण की अनुमति नहीं होने पर यह कार्यवाही


की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गांव में चार हजार की आबादी है, जिसमें 70 फीसदी मुस्लिम और 30 फीसदी हिन्दू हैं। मस्जिद निर्माण के लिए तीन माह पहले सपा के घोषित प्रत्याशी नरेन्द्र


भाटी ने 51 हजार रुपए की आर्थिक मदद की थी। अब मुस्लिम समाज पंचायत कर आगे की कार्यवाही पर विचार कर रहा है। सवाल यह उठता है कि जब एलआइयू का मुख्य कार्य ही खुफिया जानकारी प्रशासन और सरकार तक


भेजना होता है, तो फिर उसने कतिपय, विदित हुआ है जैसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया? यानी रिपोर्ट तैयार करने से पहले एलआइयू के अधिकारियों ने मौका मुआयना ही नहीं किया। फिर रिपोर्ट तैयार करने से


पहले ग्राम प्रधान, सरकारी अधिकारियों के नाम, 10-10 फुट ऊंची दीवार गिराने में इस्तेमाल मशीन, उपकरणों का जिक्र क्यों नहीं किया?