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उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी और शो विंडो कहा जाने वाला नोएडा का इलाका अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है और यहां तैनात रहे अनेक अधिकारी जहां वर्तमान में जेल में हैं, वहीं अनेक अफसरों के खिलाफ
सीबीआई,... उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी और शो विंडो कहा जाने वाला नोएडा का इलाका अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है और यहां तैनात रहे अनेक अधिकारी जहां वर्तमान में जेल में हैं, वहीं अनेक
अफसरों के खिलाफ सीबीआई, ईडी, विजिलेंस और अन्य जांच एजेंसियों से जांच चल रही है। नोएडा में एसएसपी के पद पर रहे अजय पाल शर्मा के खिलाफ विजिलेंस द्वारा मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद फिर से यह
चर्चा में आ गया है। जिस गोपनीय रिपोर्ट पर यह मुकदमा दर्ज हुआ है, उसे भी यहीं पर एसएसपी के पद पर तैनात रहे वैभप कृष्ण ने तैयार किया था। वह भी इस रिपोर्ट के मामले के तूल पकड़ने के बाद सस्पेंड
हो गए, जबकि यमुना प्राधिकरण में हुए भूमि घोटाले के मामले में आईएएस पी.सी. गुप्ता लंबे समय से जेल में हैं। नोएडा जमीन आवंटन घोटाले में जेल जाने वाले राजीव कुमार प्रदेश के दूसरे ऐसे अधिकारी
हैं, जिन्हें जेल जाने के बाद सस्पेंड किया गया। नोएडा भूमि आवंटन घोटाले के मामले में राजीव कुमार के साथ ही प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को भी दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया गया था।
नोएडा प्राधिकरण के ही पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह गलत तरीके से फार्म हाउस देने में जांच में फंस चुके हैं। वहीं, पूर्व प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राकेश बहादुर और आईएएस संजीव सरन पर भी नोएडा में
तैनाती के दौरान 2006 में किसानों की जमीन को औने-पौने दाम पर बिल्डरों को बेचने के आरोप लगे थे। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में भर्ती घोटाला ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में 2002 में हुई
सभी भर्तियों की जांच चल रही है। आरोप है कि उस दौरान यहां पर योग्यता को नजरअंदाज कर भर्तियां की गई थीं। 2003 से इसकी जांच चल रही है। हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच हो रही है, जिसमें 58
नियुक्तियों को गलत माना गया था। इस मामले में 15 से अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है। यमुना विकास प्राधिकरण में हुआ 126 करोड़ का भूमि घोटाला यमुना विकास प्राधिकरण में हुए इस
घोटाले के मामले में सीबीआई वर्तमान में जांच कर रही है। इस प्रकरण में आईएएस और पीसीएस स्तर के पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से अनुमति भी मांगी गई है, जबकि आईएएस अधिकारी पी.सी.
गुप्ता इस मामले में 23 जून 2018 से जेल में हैं। इस प्रकरण में 20 से अधिक अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। यादव सिंह प्रकरण : नोएडा प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह पर 954 करोड़ के
टेंडर घोटाले के आरोप हैं और उनकी सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स आदि विभागों द्वारा जांच की जा रही है। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी उंगली उठती रही है। बाइक
बोट प्रकरण : बाइक बोट घोटाला मामले को नोएडा के इतिहास का अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है, जिसमें देशभर में जांच चल रही हैं और बाइक बोट के संचालक के साथ दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों
के फोटो वायरल हो चुके हैं और उनको लेकर भी अनेक बार सवाल उठे हैं। शाहबेरी प्रकरण : शाहबेरी में दो अवैध इमारतों के गिरने के कारण नौ लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में शासन ने 2007 से लेकर
2014 तक जिले में तैनात रहे प्राधिकरण और पुलिस के अधिकारियों की सूची मांगी थी, जिसमें पुलिस की ओर से 22 थानेदारों के नाम शासन को भेजे गए थे। प्राधिरण की ओर से भी अधिकारियों की सूची शासन को
भेजी जा चुकी है और इस प्रकरण में कार्रवाई लंबित है।