कावेरी जल:जानें सौ साल से भी लंबे चले विवाद की पूरी पड़ताल

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कावेरी नदी के पानी को लेकर पहला समझौता मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच 1892 में हुआ और दूसरा 1924 में। 1924 में हुआ दूसरा समझौता 1974 में समाप्त हुआ। मई 1990: उच्चतम न्यायालय ने


केन्द्र को... एजेंसी नई दिल्लीFri, 16 Feb 2018 04:32 PM Share Follow Us on __ कावेरी नदी के पानी को लेकर पहला समझौता मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच 1892 में हुआ और दूसरा 1924 में।


1924 में हुआ दूसरा समझौता 1974 में समाप्त हुआ। मई 1990: उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र को कावेरी जल विवाद पंचाट गठित करने का आदेश दिया। तमिलनाडु 1970 से ही इसकी मांग कर रहा था। दो जून 1990 को


केन्द्र ने कावेरी जल विवाद पंचाट के गठन की अधिसूचना जारी की।           जनवरी 1991: कावेरी जल विवाद पंचाट ने अंतरिम राहत संबंधी तमिलनाडु की अर्जी खारिज की; तमिलनाडु इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय


पहुंचा।           अप्रैल 1991: उच्चतम न्यायालय ने कावेरी जल विवाद पंचाट को निर्देश दिया कि वह अंतरिम राहत के लिए तमिलनाडु की अर्जी पर विचार करे।           जून 1991: कावेरी जल विवाद पंचाट ने


अंतरिम फैसला सुनाया। कर्नाटक को 205 टीएमसीफुट पानी छोड़ने का आदेश। कर्नाटक ने आदेश रद्द करने के लिए अध्यादेश जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप किया, कर्नाटक के अध्यादेश को रद्द किया


और कावेरी जल विवाद पंचाट का अंतरिम आदेश बरकरार रखा। कर्नाटक ने इसे मानने से इनकार किया।           11 दिसंबर 1991: अंतरिम फैसला भारत सरकार के गजट में प्रकाशित हुआ।           अगस्त 1998:


केन्द्र ने कावेरी नदी प्राधिकरण का गठन किया, ताकि कावेरी जल विवाद पंचाट का अंतरिम फैसला लागू करना सुनिश्चित हो सके।           आठ सितंबर 2002: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की


अध्यक्षता वाले कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए 9,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया।           पांच फरवरी 2007: कावेरी जल विवाद पंचाट ने 17 साल बाद अंतिम फैसला


सुनाया। पंचाट ने तमिलनाडु के पानी देने के संबंध में मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच 1892 और 1924 में हुए दोनों समझौतों को वैध बताया।           19 सितंबर 2012: सातवें कावेरी नदी


प्राधिकरण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कर्नाटक को निर्देश दिया कि वह बिलिगुंडलु बांध के लिए तमिलनाडु को 9,000 क्यूसेक पानी छोड़े।           28 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने कावेरी नदी


प्राधिकरण में प्रधानमंत्री का निर्देश नहीं मानने पर कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई।           19 मार्च 2013: तमिलनाडु ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह जल संसाधन मंत्रालसय को कावेरी


प्रबंधन बोर्ड के गठन का निर्देश दे।           10 मई: उच्चतम न्यायालय ने कावेरी का पानी छोड़े जाने की निगरानी के लिए केन्द्र से पैनल गठित करने को कहा।           28 मई: तमिलनाडु उच्चतम


न्यायालय पहुंचा, कावेरी जल विवाद पंचाट का आदेश पालन नहीं करने के लिए कर्नाटक से 2,480 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा।           12 जून: कावेरी निगरानी समिति ने कावेरी जल विवाद पंचाट के


आदेशानुसार कर्नाटक को कावेरी का पानी छोड़े जाने का निर्देश देने के लिये तमिलनाडु की अर्जी के बारे में कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है।            14 जून: तमिलनाडु ने कावेरी निगरानी समिति पर


कर्नाटक के रूख को लेकर तमिलनाडु ने अवमानना का मुकदमा करने का फैसला किया।           26 जून: कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग लेकर तमिलनाडु उच्च्तम न्यायालय पहुंचा।           28 जून:


तमिलनाडु ने उच्चतम न्यायालय में कर्नाटक के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की।           18 नवंबर 2015: कर्नाटक ने कावेरी का पानी छोड़े जाने संबंधी तमिलनाडु की अर्जी का विरोध किया।           दो


सितंबर 2016: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक से कहा कि वह तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने के संबंध में विचार करे। पांच सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को आदेश दिया, अगले 10 दिनों तक रोजाना


तमिलनाडु को 15,000 क्यूसेक पानी छोड़े।           सात सितंबर 2016: उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कर्नाटक ने तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ना शुरू किया।           11 सितंबर 2016: कर्नाटक ने


तमिलनाडु को पानी देने वाले आदेश में संशोधन का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में अर्जी दी।           12 सितंबर 2016: उच्च्तम न्यायालय ने पांच सितंबर के आदेश को खत्म करने संबंधी कर्नाटक की


याचिका रद्द की। हालांकि, रोजाना छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा 15,000 क्यूसेक से घटाकर 12,000 क्यूसेक करने को कहा।           19 सितंबर 2016: कावेरी निगरानी समिति ने कर्नाटक को महीने के बकाया


दिनों में रोजाना 3,000 क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा।           14 जुलाई 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह दोनों राज्यों के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मामले पर संतुलित तरीके से


विचार करेगा। कर्नाटक ने अनुरोध किया तमिलनाडु को 192 टीएमसीफुट के स्थान पर 132 टीएमसीफुट पानी दिया जाये।           20 सितंबर 2017: उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा।           16 फरवरी


2018: उच्चतम न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाया। कर्नाटक को प्रतिवर्ष तमिलनाडु के लिए 404.25 टीएमसीफुट पानी छोड़ने को कहा। कावेरी जल विवाद पंचाट ने पहले तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट पानी देने को


कहा था। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कावेरी जल पर उसका फैसला अगले 15 साल तक प्रभावी रहेगा।