एयर इंडिया विमान हादसा: क्या होता है टेबलटॉप एयरपोर्ट और क्यों यहां लैंडिंग होता है जोखिम भरा

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Hindi NewsIndia NewsAir India Express flight crash Why Landings Are Risky On Kozhikode Table Top Runway केरल के कोझिकोड में एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान के फिसलने के हादसे ने एक बार फिर से


टेबल टॉप (टेबलटॉप) एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठीक दस साल पहले इसी प्रकार का हादसा... Shankar Pandit लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSat, 8 Aug 2020 08:39 AM


Share Follow Us on __ केरल के कोझिकोड में एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान के फिसलने के हादसे ने एक बार फिर से टेबल टॉप (टेबलटॉप) एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठीक दस


साल पहले इसी प्रकार का हादसा मंगलूर एयरपोर्ट पर भी हुआ था जब एयर इंडिया का एक विमान फिसलकर खाई में जा गिरा था जिसमें काफी लोगों की मौत भी हो गई थी। शुक्रवार को हुए विमान हादसे में अब तक करीब


20 लोगों की मौत हुई है। बताया जा रहा है कि विमान में करीब 191 लोग सवार थे। उड्डयन क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि टेबल टॉप एयरपोर्ट एक पठारी या पहाड़ी जगह पर होता है। एयर पट्टी का आकार


सीमित होता है और जहां पट्टी खत्म होती है, उसके आगे खाई होती है। ऐसे मामले में लैंडिंग के लिए पाइलट की सूझबूझ की जरूरत होती है। यह चुनौती तब और गंभीर हो जाती है जब प्लेन बड़े आकार का हो


क्योंकि ऐसे प्लेन को लंबे रनवे की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में पायलट के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वह रनवे पर तय टचिंग प्वाइंट पर ही विमान का पहला टच करे। यदि वह थोड़ा भी आगे निकल जाए


तो विमान को एयर स्ट्रिप के आखिरी सिरे तक रोक पाने में मुश्किल होती है और ऐसी स्थिति में ही विमान फिसलने की आशंका रहती है। मंगलूर में ऐसा ही हुआ था। वहां पिछले साल भी ऐसा ही एक और हादसा


होते-होते बचा था। विशेषज्ञों के अनुसार यदि पायलट रनवे पर नियत स्थान से आगे जाकर टच होता है तो उसे निर्देश होते हैं कि वह विमान को लैंड करने की बजाय फिर से उड़ा ले। अक्सर ऐसा किया भी जाता है


जिससे हादसे टल जाते हैं। लेकिन कई बार इसमें चूक हो जाती है। कोझिकोड, मंगलूर, गोआ, पोर्ट ब्लेयर, लक्षदीप, लेह, लेंगपी (मिजोरम) समेत पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित तमाम एयरपोर्ट इसी श्रेणी में आते


हैं।  इस प्रकार के हादसों के मद्देनजर बड़े वायुयानों को इन स्थानों पर उतरने की रणनीति को लेकर सरकार को नये सिरे से पुनर्विचार करने की जरूरत पड़  सकती है।