15 प्रतिशत समय तो... Cds अनिल चौहान ने बताया आतंक के खिलाफ चले 'ऑपरेशन सिंदूर' का सच

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Hindi NewsIndia NewsCDS Anil Chauhan told the truth about Operation Sindoor against terrorism 15 percent of the time was spent in fighting OPERATION SINDOOR UPDATE: सीडीएस अनिल चौहान ने


ऑपरेशन सिंदूर के बारे में नई जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि यह भविष्य के युद्ध का एक उदाहरण जैसा है। इस मिशन के दौरान 15 फीसदी समय तो फेक नैरेटिव का मुकाबला करने में गया था। Upendra Thapak


लाइव हिन्दुस्तानSat, 31 May 2025 01:07 PM Share Follow Us on __ Operation Sindoor:  पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकियों के कई ठिकानों को बर्बाद


कर दिया था। अब इस ऑपरेशन से जुड़ी कई जानकारियां सामने आ रही हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के मुताबिक यह एक नॉन कॉन्टेक्ट, मल्टी डोमेन मिशन था, जिसमें साइबर हमले और नैरेटिव के


खिलाफ अभियान, खुफिया क्षमताओं का प्रदर्शन जैसे पहलू शामिल थे। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारा 15 फीसदी समय केवल फेक नैरेटिव का मुकाबला करने में ही लग गया। सिंगापुर में शांगरी-ला


डायलॉग के दौरान बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा कि 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर में हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के युद्ध लड़ रहे थे। यह लड़ाई पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारी तरफ से


आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद शुरू हुई थी। यह लड़ाई भविष्य के युद्धों का एक उदाहरण है। सीडीएस चौहान ने सीमा पर भारतीय सेना के आधुनिकीकरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पाकिस्तान के पास


चीनी हथियार थे और उनके पास चीनी सैटेलाइट तस्वीरों का प्रयोग करने की स्वतंत्रता थी लेकिन इसके बाद भी वह भारत पर की गई कार्रवाई के अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं दे पाए.. क्योंकि वह ऐसा


करने में सफल हुए ही नहीं। वहीं दूसरी तरफ भारत ने आकाश जैसी स्वदेशी प्रणालियों पर भरोसा किया, प्रभावी सिस्टम नेटवर्किंग के माध्यम से सफलता प्राप्त की। हमारी घरेलू और विदेशी दोनों रडार सिस्टम


के बीच में एक बेहतर रक्षा संरचना बनी हुई थी, जिसका हमें लाभ भी मिला। हमने पाकिस्तान के ऊपर की गई अपनी कार्रवाई का सबूत सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए पेश किया। उन्होंने कहा, "वायु, भूमि और


समुद्र में आपकी सुरक्षा पंक्ति उतनी ही मजबूत होती है, जितनी की उन्हें जोड़ने वाला नेटवर्क मजबूत होता है।" सीडीएस चौहान ने कहा कि यह संघर्ष भविष्य के युद्धों को लेकर एक उदाहरण है। इस


ऑपरेशन के दौरान हमारा 15 फीसदी से ज्यादा समय फेक नैरेटिव का मुकाबला करने में लग गया। इससे एक बात साबित होती है कि ऐसे मिशनों के दौरान हमें फेक नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए भी तैयार रहना


होगा। इसके साथ ही जनरल चौहान ने आने वाले युद्धों में ऑटोमैटेड ड्रोन्स और रोबोटिक्स के नकारात्मक पक्ष और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब किसी युद्ध में


कम लोगों की जान खतरे में होती है तो नेतृत्व कर्ता आक्रामक तरीके से फैसले लेने लगते हैं।