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1998 में आई शाहरुख खान और मनीषा कोइराला की फिल्म 'दिल से' एक खूबसूरत फिल्म मानी जाती है। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप थी। लेकिन क्या आप जानते हैं प्रोड्यूसर इस फिल्म का अंत
कुछ अलग चाहते थे। Usha Shrivas लाइव हिन्दुस्तानMon, 2 June 2025 07:47 AM Share Follow Us on __ साल 1998 में आई शाहरुख खान और मनीषा कोइराला की फिल्म 'दिल से' एक बॉक्स ऑफिस फ्लॉप थी।
रिलीज के समय फिल्म को अच्छा रिस्पोंस नहीं मिला। लेकिन वक्त के साथ 'दिल से' हिंदी सिनेमा की एक खास फिल्म बन गई। लेकिन क्या आप जानते हैं इस फिल्म के अंत में जहां शाहरुख खान और मनीषा
कोइराला का किरदार मर जाता है, वो सीन प्रोड्यूसर भारत शाह की पसंद का नहीं था। वो सीन के अंत में शाहरुख को ऐसे मरते नहीं दिखाना चाहते थे। ऐसा होना था ‘दिल से’ का अंत इंडिया टीवी से बातचीत के
दौरान फिल्म के को-प्रोड्यूसर राम गोपाल वर्मा ने बताया कि फिल्म 'दिल से' के ट्रैजिक क्लाइमेक्स से प्रोड्यूसर भरत शाह खुश नहीं थे। उन्होंने क्लाइमेक्स बदलने का सुझाव दिया था जिसे
डायरेक्टर मणिरत्नम गंभीरता से नहीं लिया। राम गोपाल वर्मा ने कहा, “जब दिल से रिलीज हुई और इस पर काफी नकारात्मक चर्चा हुई, तो शुरू में भरत शाह ने कहा कि लोगों को शाहरुख का मरना पसंद नहीं आया।
उन्होंने इसे ट्रेजेडी नहीं बनाने के लिए कहा। फिल्म रिलीज के बाद, उन्होंने मुझसे कहा कि हमें बम ब्लास्ट वाला सीन काट देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस समय शाहरुख और मनीषा एक दूसरे को गले लगाते
हैं, हमें ‘छैया छैया’ गाना लगा देना चाहिए।” शाहरुख को मरता नहीं दिखाना चाहते थे राम गोपाल वर्मा ने कहा कि जब वो भरत शाह के सुझाव को मणिरत्नम के पास ले गए,तो डायरेक्टर इस सुझाव से खुश नहीं
थे। उन्होंने कहा, “मणि ने मुझसे कहा, ‘क्या वह पागल हो गया है या क्या? शाहरुख, मनीषा को गले लगाते हैं और अगले ही पल मलाइका अरोड़ा को कैसे सोच सकता है।’ भरत का इरादा था कि जब लोग लीड किरदारों
के गले लगने के बाद फिर से हिट गाना देखेंगे, तो उन्हें लगेगा कि यह एक प्रेम कहानी है और इसका सुखद अंत है।” तो प्रोड्यूसर फिल्म में शाहरुख को मरता नहीं दिखाना चाहते थे।