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डॉ. आयुष प्रकाश एक अनुभवी और समर्पित होम्योपैथिक चिकित्सक है, जो मुख्यतः पेट, लिवर और गैस्ट्रो संबंधी रोगों का इलाज करते हैं। Brand PostSat, 31 May 2025 04:14 PM Share Follow Us on आज की तेज
रफ्तार जिन्दगी और अनियमित जीवनशैली के कारण पेट और लिवर से जुड़ी समस्याएं आम हो गई है। गैस, अपच, एसिडिटी से लेकर सिरोसिस इन लिवर जैसी गंभीर बीमारियां भी अब पहले से अधिक देखने को मिल रही है।
ऐसे में पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ होमियोपैथी एक कारगर, सुरक्षित और साइड इफेक्ट रहित विकल्प बनकर उभर रही है। होम्योपैथी का मूल सिद्धांत है-रोग की जड़ को ठीक करना, न कि केवल लक्षणों को
दबाना। खासकर पेट और लिवर से जुड़ी समस्याओं में होम्योपैथिक चिकित्सा बेहद प्रभावशाली साबित हो रही है। इसी दिशा में समर्पित सेवा दे रहे है डॉ. आयुष प्रकाश, जो एक अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक है
और जिनकी तीन पीढ़ियों से चली आ रही चिकित्सा परंपरा, आज भी लोगों की सेहत की रक्षा कर रही है। वे पेट और लिवर की समस्याओं को मूल से समझकर उसका उपचार करते है, जिससे मरीजों को स्थायी राहत मिलती
है। उनके पिता डॉ. ओम प्रकाश डी.एच.एम.एस. (बी.यू.) भी क्लीनिक में अपनी सेवाएं दे रहे है। डॉ. आयुष और डॉ. ओम प्रकाश के नेतृत्व में चल रहा एम्पायर होमियो हॉल 89 वर्षों से लोगों के भरोसे पर खरा
है। इसकी शुरुआत डॉ. आयुष के दादा जी ने वर्ष 1936 में की थी। डॉ. आयुष प्रकाश एक अनुभवी और समर्पित होम्योपैथिक चिकित्सक है, जो मुख्यतः पेट, लिवर और गैस्ट्रो संबंधी रोगों का इलाज करते हैं। उनकी
चिकित्सकीय यात्रा एक समृद्ध विरासत से जुड़ी हुई है, जिसकी शुरुआत उनके दादा जी ने वर्ष 1936 में की थी। उनके दादा जी ने अपनी डी.एच.एम.एस. की डिग्री कोलकाता से प्राप्त की थी और इसी क्लीनिक की
नींव रखी थी। वर्तमान में यह क्लीनिक तीन पीढ़ियों की सेवा भावना का प्रतीक है, जिसे अब डॉ. आयुष प्रकाश आगे बढ़ा रहे हैं। डॉ. आयुष प्रकाश ने अपनी शिक्षा जी.डी. मेमोरियल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना
से पूरी की है। उनके पिताजी, जो स्वयं एक योग्य होम्योपैथ हैं, ने अपनी पढ़ाई मुजफ्फरपुर, बिहार से की थी और वर्षों से इस क्लीनिक का संचालन कर रहे हैं। विशेषज्ञता और उपचार की विधि डॉ. आयुष के
पास जो मरीज आते है, उनमें अधिकतर की गैस, लिवर, पेट दर्द, पाचन समस्या, बाल झड़ना, और जुड़ी समस्याएं होती है। उनका मानना है कि इन समस्याओं की जड़ अक्सर पेट में होती है। जब पेट सही तरीके से काम
नहीं करता, तब शरीर में अन्य कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेती है। इसलिए होम्योपैथी में सबसे पहले पेट की स्थिति को ठीक करने पर ध्यान दिया जाता है। सिरोसिस इन लिवर एक गंभीर लेकिन रोकी जा सकने
वाली बीमारी डॉ. आयुष प्रकाश बताते है कि सिरोसिस इन लिवर एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली गंभीर बीमारी है, जिसमें लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती है और उसकी कार्यक्षमता कम होती जाती है। समय के साथ यह
स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि पेट में पानी भरने लगता है, ब्लड क्लॉटिंग प्रभावित हो जाती है और शरीर में कई अन्य परेशानियां उभरने लगती है। हालांकि यह बीमारी गंभीर है, लेकिन अगर समय पर पहचान हो
जाए और उचित इलाज शुरू किया जाए, खासकर होम्योपैथिक नियंत्रित किया जा सकता है बल्कि चिकित्सा द्वारा, तो इसे न केवल शुरुआती अवस्था में रोका भी जा सकता है। माइल्ड सिरोसिस इन लिवर का होमियोपैथी
दवा से नियंत्रण संभव डॉ. आयुष के अनुसार, यदि सिरोसिस इन लिवर की स्थिति प्रारंभिक यानी माइल्ड स्टेज पर हो, तो इसे होम्योपैथिक दवाओं से प्रभावी ढंग से नियंत्रित और रोका जा सकता है। होमियोपैथी
का सिद्धांत है रोग की जड़ तक पहुंचकर उपचार करना, न कि केवल लक्षणों को दबाना। शुरुआती अवस्था में जब लिवर की कोशिकाएं पूरी तरह नष्ट नहीं हुई होती, तब होमियोपैथिक चिकित्सा लिवर की कार्यक्षमता
को धीरे-धीरे पुनः सक्रिय करने में मदद करती है। यह इलाज शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और लिवर में हो रहे डैमेज को रोकने की कोशिश करता है। सिरोसिस इन लिवर के मुख्य कारण है...
अनियमित और असंतुलित खानपान आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जंक फूड, अत्यधिक तले-भुने या प्रोसेस्ड खाने का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है। लंबे समय तक इस तरह की आदतें लिवर को धीरे-धीरे कमजोर
कर देती हैं। शराब का अत्यधिक सेवन करीब 70% मामलों में लिवर सिरोसिस का सबसे बड़ा कारण शराब है। शराब लिवर की कोशिकाओं को नष्ट करती है और लिवर फाइब्रोसिस (scarring) का कारण बनती है, जो आगे चलकर
सिरोसिस में बदल जाती है। हेपेटाइटिस संक्रमण (Hepatitis B और C) ये वायरल संक्रमण लिवर को सीधे प्रभावित करते है और यदि इनका समय पर इलाज न किया जाए तो ये सिरोसिस में बदल सकते हैं। इस बीमारी के
कुछ प्रमुख लक्षण है। - नाक से खून आना - पेशाब में खून - पैरों में सूजन - पेट में पानी भरना (Ascites) - त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना (Jaundice) - थकान और कमजोरी - वजन में कमी और भूख न
लगना - पेट में भारीपन या बेचैनी - त्वचा पर खुजली और लाल चकते - मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी, भ्रम होना - मूत्र का रंग गहरा होना नींद की समस्या और चिड़चिड़ापन माइग्रेन एक गंभीर सिरदर्द की
समस्या है। - माइग्रेन आमतौर पर सिर के आधे हिस्से में होती है। यह सिरदर्द 3-4 घंटे तक अपनी निरंतरता बनाए रखती है। - माइग्रॅम का मूल कारण साइनोसाइटिस होता है जो कि नाक में एक दाने के बराबर की
विकृत संरचना है। उचित चिकित्सा ना लेने पर यही समस्या धीरे-धीरे माइग्रेन में परिवर्तित हो जाती है। माइग्रेन के मूल लक्षण हैः- 1. हाथों में कंपन होना। 2. सिर के आधे हिस्से में दर्द। 3. तनाव की
समस्या । 4. स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना। 5. धूप में तेज सिरदर्द होना। नोटः माइग्रेन की समस्या से ग्रसित लोगों की अंधेरे में, ठंडे मौसम में, खुले वातावरण में आराम महसूस होता है। प्रभावशाली
केस स्टडी डॉ. आयुष प्रकाश के अनुभवों में हाल ही का एक मामला विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो न सिर्फ उनकी चिकित्सकीय दक्षता को दर्शाता है, बल्कि होमियोपैथिक चिकित्सा की प्रभावशीलता पर भी प्रकाश
डालता है। एक मरीज उनके क्लीनिक पहुंचा। उसकी रिपोर्ट्स में क्रिएटिनिन स्तर काफी अधिक था और लिवर की कार्यक्षमता कमजोर हो चुकी थी। इस तरह की स्थिति आम तौर पर मरीज और उनके परिजनों के लिए काफी
चिंताजनक होती है, क्योंकि इसका सीधा संबंध किडनी फेलियर और लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से होता है। डॉ. आयुष ने पहले सटीक डायग्नोसिस किया और फिर मरीज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे
व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित होमियोपैथिक उपचार दिया। कुछ ही समय में मरीज की स्थिति में अच्छा सुधार देखा गया। क्रिएटिनिन स्तर धीरे-धीरे सामान्य होने लगा और लिवर से संबंधित लक्षणों में भी राहत
मिलती गई। होम्योपैथिक उपचार की विशेषताएं : - रोग की जड़ पर कार्यः होम्योपैथी लक्षणों को दबाने के बजाय रोग के मूल कारण को ठीक करने पर जोर देती है। इससे लिवर की अंदरूनी सूजन और कोशिकाओं के
डैमेज को धीमा करने में मदद मिलती है। - इम्यून सिस्टम को मजबूत बनानाः होम्योपैथिक दवाएं शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर लिवर की मरम्मत प्रक्रिया को तेज करती है। - कोई साइड
इफेक्ट नहींः यह उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक है, जिससे शरीर पर कोई अतिरिक्त दबाव या दुष्प्रभाव नहीं पड़ता- विशेष रूप से लिवर और किडनी के रोगियों के लिए यह बहुत जरूरी है। - व्यक्तिगत उपचार
पद्धतिः हर मरीज के शारीरिक और मानसिक लक्षणों को ध्यान में रखकर व्यक्तिगत दवाएं दी जाती है, जिससे उपचार अधिक प्रभावी होता है। संदेश... होमियोपैथी की खास बात यह है कि यह न केवल लक्षणों का इलाज
करती है, बल्कि शरीर के अंदर से उसकी प्राकृतिक क्षमता को बढ़ाकर रोग की जड़ को समाप्त करने में मदद करती है। अतः कोई भी लक्षण नजर आए, तो तुरंत योग्य चिकित्सक से संपर्क करें क्योंकि समय पर
उठाया गया एक कदम भविष्य की कई समस्याओं से बचा सकता है। - डॉ. आयुष प्रकाश, बी.एच.एम.एस (बिहार यूनिवर्सिटी) संक्षिप्त जीवन परिचय नाम डॉ. आयुष प्रकाश डिग्री : बी.एच.एम.एस (बिहार यूनिवर्सिटी)
जीवन का लक्ष्य : होम्योपैथी चिकित्सा के माध्यम से लोगों को रोगमुक्त जीवन देना पिता : डॉ. ओम प्रकाश डी.एच.एम.एस. (बी.यू.) पता :- एम्पायर होमियो हॉल, टेकारी रोड, गया मो :- 9931350159 सुबह 10
बजे से दोपहर 2 बजे तक, शाम 5 बजे से 7 बजे तक रविवार दोपहर 2 बजे तक (अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है)