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सुहाग की रक्षा के लिए सुहागन और नवविवाहित महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री की पूजा कीं। सुबह से ही हाथों में मेहंदी रचाए महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना कीं और वट वृक्ष के नीचे सावित्री
और सत्यवान... __ सुहाग की रक्षा के लिए सुहागन और नवविवाहित महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री की पूजा कीं। सुबह से ही हाथों में मेहंदी रचाए महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना कीं और वट वृक्ष
के नीचे सावित्री और सत्यवान की कथा सुनीं। इसके साथ ही वट के तने पर कच्चा सूत लपेटकर 108 बार परिक्रमा भी कीं। भागलपुर के कोतवाली पेश्ववर नाथ धाम मंदिर और उर्दू बाजार बजरंगबली मंदिर समेत
विभिन्न स्थानों पर वट वृक्ष की पूजा के लिए सुहागन महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी। कोतवाली चौक स्थित बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी विजयानंद शास्त्री ने बताया कि वट सावित्री की पूजा के दिन
सोमावती अमावस्या का भी विशेष संयोग बना है। इस दिन का व्रत अधिक पुण्यदायी होता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को वट वृक्ष की न्यूनतम सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि
सावित्री ने अपने पति को वापस पाने के लिए इस व्रत की शुरुआत की थी।