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हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो इस बार शनिवार, 3 अगस्त यानी आज है। मां पार्वती के शिव से मिलन की स्मृति में यह त्योहार मनाया जाता है।उत्तरी भारत में
इसे... हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो इस बार शनिवार, 3 अगस्त यानी आज है। मां पार्वती के शिव से मिलन की स्मृति में यह त्योहार मनाया जाता है।उत्तरी
भारत में इसे हरियाली तीज, तो पूर्वी भारत में कज्जली तीज कहा जाता है। पंजाब और उत्तर प्रदेश की सुहागन स्त्रियां, खासकर नवविवाहिताएं इस व्रत को बहुत महत्व देती हैं। वे मेहंदी आदि लगाकर विशेष
शृंगार करके अपने मायके में शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा कर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं। सच तो यह है कि सनातन धर्म में हर त्योहार, व्रत जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान
से जुड़ा हुआ है। वैवाहिक जीवन में किसी कारणवश मनमुटाव हो गया हो, पति-पत्नी में एक-दूसरे के प्रति कटुता आ गई हो, तो उसे समाप्त करने के लिए उनमें आध्यात्मिकता पैदा करने के लिए ही ऐसे व्रत,
त्योहार का हमारे ऋषियों ने विधान किया है। इससे गृहस्थ आश्रम को मजबूती मिलती है। देखा जाए तो गृहस्थ आश्रम ही अन्य सभी आश्रमों- ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ और संन्यास का आधार है। गणेश, श्रीहरि,
ब्रह्मा, शिव, राम, कृष्ण, इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, सूर्य, कुबेर आदि देवों ने विवाह कर गृहस्थ आश्रम को महत्वपूर्ण घोषित किया है। शास्त्रों में वर्णन है कि पार्वती ने 107 जन्म लिए, लेकिन कठिन
तप करने के बावजूद वे भगवान शिव को पति रूप में पाने में असफल रहीं। पार्वती ने फिर अपने 108वें जन्म में जो दुष्कर तप किया, उससे प्रसन्न होकर शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार
किया। श्रावण प्रकृति में रचा-बसा त्योहार है। महिलाएं बड़े-बड़े वृक्षों पर झूला डाल कर सखियों सहित झूलती हैं और शिव-पार्वती से संबंधित लोकगीतों को गाती हैं। इसके साथ-साथ वृक्षों, हरी-भरी
फसलों, नदियों तथा पशु-पक्षियों को भी पूजा जाता है। कभी यह त्योहार तीन-तीन दिन मनाया जाता था। लेकिन अब समय की कमी के कारण, खासकर शहरों में लोग एक ही दिन मनाते हैं। श्रावण शुक्ल द्वितीया को
ही विवाहित ्त्रिरयां मायके जाती हैं, जहां उन्हें परिजन तीज का शगुन प्रदान करते हैं। इसमें शृंगार संबंधी सामग्री ही होती है, इसे सिंजारा कहा जाता है। जिस युवती का विवाह तय हो चुका होता है,
उसकी ससुराल से तीज का सामान भेजा जाता है। ध्यान रहे, जीवित देवी-देवता हमारे माता-पिता और सास-ससुर ही हैं, इसलिए इस दिन सास-ससुर को उपहार आदि देकर उनका आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।