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प्रकृति पूजा और आस्था का महापर्व 'छठ पूजा' नहाय-खाए से रविवार 11 नवंबर को शुरू होगा जो अगले चार दिनों तक चलेगा। सोमवार यानी 12 नवंबर को लोहंडा-खरना और मंगलवार 13 नवंबर की शाम सूर्य
भगवान को... लाइव हिन्दुस्तान टीम नई दिल्लीFri, 9 Nov 2018 11:55 PM Share Follow Us on __ प्रकृति पूजा और आस्था का महापर्व 'छठ पूजा' नहाय-खाए से रविवार 11 नवंबर को शुरू होगा जो
अगले चार दिनों तक चलेगा। सोमवार यानी 12 नवंबर को लोहंडा-खरना और मंगलवार 13 नवंबर की शाम सूर्य भगवान को पहला सायंकालीन अर्घ्य और बुधवार 14 नवंबर की सुबह प्रात:कालीन अर्घ्य प्रदान किया जाएगा।
बिहार अलावा अन्य राज्यों में मौजूद पूर्वी लोग गंगा के घाटों व पवित्र नदियों में लाखों की तादाद में व्रती अर्घ्य देंगे। छठ पर 36 घंटे का निर्जला व्रत- इस व्रत में 36 घंटे तक व्रती निर्जला
रहते हैं। बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में छठ पर्व पूरी आस्था व भक्ति के साथ मनायी जाती है। ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के अनुसार इस बार छठ महापर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान में
ग्रह-गोचरों का शुभ संयोगों बन रहा है। रविवार को नहाय-खाए पर सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं मंगलवार 13 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य पर अमृत योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है जबकि
प्रात:कालीन अर्घ्य पर बुधवार की सुबह छत्र योग का संयोग बन रहा है। सूर्य को अर्घ्य से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं ज्योतिषाचार्य डा.राजनाथ झा ने शास्त्रों के हवाले से बताया कि सूर्य को
अर्घ्य देने से व्यक्ति के इस जन्म के साथ किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। ध्यान रखें ये बातें- पीतल व ताम्बे के पात्रों से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए चांदी, स्टील, शीशा व
प्लास्टिक के पात्रों से भी अर्घ्य नहीं देना चाहिए। पीतल के पात्र से दूध का अर्घ्य देना चाहिए। ताम्बे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए। ज्योतिषी इंजीनियर प्रशांत के अनुसार छठ
महापर्व खासकर शरीर ,मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यता है कि नहाए-खाए से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं।