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गौतम बुद्ध एक दिन कहीं जा रहे थे। इसी दौरान उन्हें कुछ गांववालों ने देखा। बुद्ध की वेशभूषा देखकर वहां पर उपस्थित लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। काफी देर तक उपहास उड़ाने के बाद भी बुद्ध के चेहरे
पर कोई... __ गौतम बुद्ध एक दिन कहीं जा रहे थे। इसी दौरान उन्हें कुछ गांववालों ने देखा। बुद्ध की वेशभूषा देखकर वहां पर उपस्थित लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। काफी देर तक उपहास उड़ाने के बाद भी
बुद्ध के चेहरे पर कोई शिकन नहीं आई और वे जरा सा भी दुखी नहीं हुए। उन्होंने गांववालों से कहा कि अगर आपकी बात पूरी हो गई हो तो क्या मैं यहां से जा सकता हूं। मुझे कहीं और भी जाना है। बुद्ध की
ये बात सुनकर गांववाले काफी हतप्रभ हो गए। उन्होंने बुद्ध से कहा कि बुद्ध जी, हम लोगों ने आपकी वेशभूषा का इतना मजाक उड़ाया लेकिन इसके बावजूद भी आप दुखी नहीं हुए। ऐसा कैसे संभव है कि किसी
व्यक्ति का इतना अपमान उड़ाया जाए और वह बिल्कुल भी दुखी न हो। गांववालों की बातें सुनकर गौतम बुद्ध ने कुछ देर बात कहा, 'आप लोगों ने मेरा इतना अपमान किया। लेकिन मैं दुखी नहीं हूं, ऐसा
इसलिए हुआ क्योंकि मैं किसी द्वारा उड़ाए गए मजाक से दुखी नहीं होता हूं।' उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ ही कोई मेरी कितनी भी प्रशंसा करे, मैं खुश भी नहीं होता हूं।' बुद्ध की बात सुनकर
सभी गांववाले काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने तय कि आगे से वे किसी सही व्यक्ति का अपमान व आलोचना नहीं करेंगे। नोट: यह प्रेरक प्रसंग सोशल मीडिया से लिया गया है