चाणक्य नीति: जन्म से ही होते हैं ये 4 गुण, जिन्हें विश्व में कोई नहीं सिखा सकता

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CHANAKYA NEETI: कहते हैं कि सीखने के लिए पूरी जिंदगी कम पड़ जाती है। सीखने की ना कोई उम्र होती है ना कोई सीमा। सबको सबकुछ आ जाये ऐसा संभव नहीं। सब अपने अपने विषय के ज्ञानी होते हैं। लेकिन


चाणक्य कहते हैं कि कुछ गुण ऐसे होते हैं जिन्हें कभी नहीं सीखा जा सकता है। क्योंकि ये गुण जन्म से होते हैं यानी भगवान उन गुणों को देकर भेजता है। ये वो 4 गुण हैं जिनके होने पर इंसान का जीवन


सफल हो जाता है। दान: दान किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण है। ये जन्म से ही व्यक्ति के साथ आता है। इसे चहाकर भी आस दूसरों से सीख नहीं सकते। दान की भावना उस व्यक्ति के मन में होती है जो


दूसरों के लिए दया की भावना रखता है। जो दूसरों को देखकर दुखी होता है और व्याकुल हो जाता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। ऐसे लोगों के चाहने वाले भी बहुत होते


हैं। निर्णय लेना: जीवन में हमे छोटे-बड़े कई प्रकार के निर्णय लेने पड़ते हैं। कुछ निर्णय सही तो कुछ गलत भी हो जाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हम किसी निर्णय पर पहुंच ही नहीं पाते। चाणक्य


कहते हैं कि निर्णय लेने की क्षमता जन्म से होती है। किसी भी फैसले का सही समय क्या है, उसका ज्ञान इंसान को चैतन्य में समाहित होता है। अत: सही समय पर सही निर्णय लेने की कला कोई नहीं सिखा सकता


है। धैर्य: कहा जाता है कि धैर्य रखने वाला इंसान ही अपने जीवन में आगे बढ़ता है। क्योंकि ये गुण होने पर इंसान किसी बात से ज्यादा परेशान नहीं होता और वह अपने सही समय के आने का इंतजार करता है।


इंसान कितना धैर्यवान है ये उसके जन्म के साथ ही तय हो जाता है। मधुर वाणी: जग जाहिर है कि मधुर बोलकर मिर्ची बेची जा सकती है, लेकिन कड़वा बोलकर कोई मिठाई खरीदने के लिए भी तैयार नहीं होता है।


अच्छी बुरी किसी भी स्थिति में मधुर बोलने वाला ही आगे बढ़ता है। ये ऐसा गुण है जिसे कहीं सिखा नहीं जा सकता ये तो ईश्वर के द्वारा दिया गया गुण है।