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जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में आए खंडित जनादेश के बाद राज्य में सरकार गठन को लेकर संशय बुधवार को भी बरकरार रहा, जबकि सबसे बड़े दल पीडीपी और दूसरे सबसे बड़े दल भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले।
भाजपा ने सभी विकल्प खुले रखते हुए वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के नेतृत्व में दो सदस्यीय दल को जम्मू कश्मीर में पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों से बात करने और सरकार गठन की संभावना पर विचार करने के
लिए भेजने का निर्णय किया है। जेटली के नेतृत्व में यह दल विधानसभा में विधायक दल के नेता के चुनाव का निरीक्षण भी करेगा। पार्टी की सर्वोच्च निर्णय करने वाली संस्था भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक
में यह निर्णय किया गया जिसमें जम्मू कश्मीर और झारखंड के चुनाव परिणामों पर चर्चा हुई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। भाजपा
संसदीय बोर्ड ने झारखंड और जम्मू कश्मीर में पार्टी विधायक दल का नेता चुनने के लिए दो-दो पर्यवेक्षक नियुक्त किए। अरुण जेटली और अरुण सिंह जम्मू कश्मीर के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए जबकि जेपी
नड्डा और विनय सहस्रबुद्धि झारखंड के पर्यवेक्षक बनाए गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और पार्टी महासचिव जे पी नड्डा ने संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि जेटली और पार्टी के राष्ट्रीय
सचिव अरुण सिंह जम्मू कश्मीर में भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाएंगे जिसमें नेता को चुना जाएगा। इसी तरह से जेपी नड्डा और पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धि झारखंड में पार्टी विधायक दल के नेता के
चुनाव की देखरेख करेंगे। उन्होंने हालांकि इन बैठकों के आयोजन के समय के बारे में कोई संकेत नहीं दिया जो राज्य में पार्टी के नेताओं से विचार विमर्श के बाद आयोजित की जाएंगी। केंद्रीय पर्यवेक्षक
संबंधित राज्यों का दौरा तीन-चार दिनों में करेंगे और इस वर्ष के अंत तक अगली सरकार बन जाएगी। नड्डा ने कहा कि भाजपा संसदीय बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और झारखंड में चुनाव परिणामों के बारे में चर्चा
की और संतोष व्यक्त किया। जम्मू कश्मीर में खंडित जनादेश के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी ने सभी विकल्प खुले रखे हैं। सरकार गठन के बारे में अन्य दलों से विचार विमर्श
करेंगे, साथ ही यह संकेत भी दिया कि भाजपा सरकार में शामिल होने के लिए भी तैयार है। गौरतलब है कि 87 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीडीपी को 28 सीटें मिली हैं जबकि भाजपा को 25 सीट, नेशनल
कांफ्रेंस व सहयोगियों को 17 और कांग्रेस को 12 सीट मिली है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। नड्डा ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पार्टी को मिले वोट प्रतिशत से स्पष्ट होता है
कि राज्य के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजंडे का समर्थन किया। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता अमित शाह ने की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मौजूद थे। बैठक में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, वेंकैया नायडू के अलावा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। उधर
भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर दिक्कतें और दुविधाओं को देखते हुए पीडीपी ने फिलहाल अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है। पार्टी का कोई भी नेता मीडिया से बात नहीं कर रहा। उसके मुख्य
प्रवक्ता नईम अख्तर भी मीडिया से दूरी बनाये हुए हैं। पीडीपी की भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर दुविधा उसकी इस आशंका के चलते हैं कि इस तरह साथ साथ आने से दीर्घकालिक अवधि में उसके क्या नतीजे
निकलेंगे। यह आशंकाएं हिंदुत्व के मुद्दे पर संघ परिवार के अधिक मुखर होने और इसका राज्य विशेषकर घाटी की राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव की पृष्ठभूमि में उभरी हैं। पीडीपी के पास एक अन्य विकल्प
कांगे्रस के साथ जाने का है क्योंकि छह साल पहले दोनों दलों ने गठबंधन सरकार चलाई थी। कांगे्रस ने भी अभी तक अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है। सईद के निवास से निकले पीडीपी के एक कार्यकर्ता ने
अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया, ‘हमने पार्टी नेताओं से कहा कि हमें अगली सरकार का नेतृत्व करना चाहिए भले ही इसका अर्थ भाजपा से हाथ मिलाना ही क्यों न हो। कश्मीर में जनादेश साफ तौर पर
पीडीपी के और जम्मू में भाजपा के पक्ष में आया है।’ मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नेशनल कांफे्रंस की पराजय के बाद बुधवार को इस्तीफा दे दिया और यह स्पष्ट किया कि वह ‘देखो व प्रतीक्षा करो’ की
नीति अपनाएंगे।