राजनीतिक सरगर्मियां फिर हुईं तेज, उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण 10 को

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा में दस मई को शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दिया है। उसी दिन बर्खास्त मुख्यमंत्री हरीश रावत विश्वास मत हासिल करेंगे। इस दौरान हाई कोर्ट की इजाजत मिलने पर


कांग्रेस के नौ बर्खास्त विधायक भी मतदान कर सकेंगे। सर्वोच्च अदालत के एक पीठ ने शुक्रवार को शक्तिपरीक्षण की रूपरेखा तय की। अदालत ने कहा कि सदन की कार्यवाही 11 बजे से एक बजे तक चलेगी। इस दौरान


राष्ट्रपति शासन नहीं होगा। इसके अगले दिन विधानसभा कार्यवाही का वीडियो रिकार्डिंग, परिणाम और अन्य दस्तावेज एक सीलबंद लिफाफे में उसके सामने पेश किए जाएं। अदालत ने कहा है कि कांग्रेस के नौ


विधायकों जिन्होंने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी है, वे शक्ति परीक्षण में शामिल नहीं होंगे ‘अगर शक्ति परीक्षण के दौरान तक उनकी यही स्थिति बनी रहती है।’


न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह के पीठ ने आदेश दिया कि दो घंटे के दौरान जब विश्वास मत पर मतदान होगा तब तक राष्ट्रपति शासन लागू नहीं रहेगा और राज्यपाल राज्य के प्रभारी


होंगे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि विधानसभा के प्रधान सचिव परिणाम और पूरी कार्यवाही के वीडियो सहित पूरे दस्तावेज 11 मई को सीलबंद लिफाफे में इसके समक्ष पेश करें। अदालत ने उत्तराखंड के


मुख्य सचिव और डीजीपी को आदेश दिया कि वे देखें कि सभी योग्य सदस्य इसमें हिस्सा लें और कार्यवाही में शिरकत करें। कोई भी इसमें किसी तरह की बाधा न डाले। अदालत ने किसी बाहरी व्यक्ति को शक्ति


परीक्षण में पर्यवेक्षक के तौर पर जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुझाव दिया था कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर्यवेक्षक हो सकते हैं। पीठ ने स्पष्ट किया कि


रावत के लिए विश्वास मत के उक्त एजंडा के अलावा विधानसभा में किसी और बात पर चर्चा नहीं होगी। अदालत ने विश्वास जताया कि कार्यवाही शांतिपूर्ण और बिना किसी बाधा के होगी। पीठ ने कहा कि विधानसभा के


सभी अधिकारी प्रक्रिया का पूरी तरह पालन करेंगे। किसी भी तरह की कोताही को गंभीरता से लिया जाएगा। अदालत ने उत्तराखंड की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल मनिंदर सिंह को कहा कि वो अदालत के


आदेश से मुख्य सचिव और डीजीपी को तुरंत अवगत कराएं। पीठ ने आदेश में कहा, ‘सदन में विभाजन होगा और जो लोग प्रस्ताव का समर्थन करेंगे वे एक तरफ बैठेंगे जबकि प्रस्ताव का विरोध करने वाले दूसरी तरफ


बैठेंगे।’ इसने कहा, ‘विधानसभा के प्रधान सचिव (जिला न्यायाधीश के रैंक के अधिकारी) देखेंगे कि मतदान शांतिपूर्ण हो और इसकी रिकॉर्डिंग हो। प्रस्ताव के समर्थन में वोट करने वाले सदस्य एक-एक कर हाथ


उठाएंगे और विधानसभा के प्रधान सचिव उनकी गिनती करेंगे।’ इसने कहा, ‘प्रस्ताव का विरोध करने वाले सदस्यों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।’ पीठ ने निर्देश दिया,‘पूरी कार्यवाही की


वीडियोग्राफी होगी ताकि जरूरत पड़ने पर अदालत उसे देख सके।’ वीडियोग्राफी विधानसभा के प्रधान सचिव की निगरानी में होगी। कांग्रेस के नौ विधायक जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दिया, के बारे


में पीठ ने कहा, यह कहने की जरूरत नहीं है कि वर्तमान में हमारे फैसले से अयोग्य विधायकों के मामले में पक्षपात न हो जो वर्तमान में उत्तराखंड हाई कोर्ट के पास विचाराधीन है।’ पीठ ने स्पष्ट किया


कि शक्ति परीक्षण के लिए यह विशेष व्यवस्था है। अदालत ने कहा, ‘इसी के मुताबिक हम निर्देश देते हैं कि हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा राष्ट्रपति शासन को रद्द करने का फैसला सुबह 11 बजे से दोपहर एक


बजे तक लागू होगा।’ पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘संविधान के अनुच्छेद 356 के मुताबिक आपातकाल की घोषणा दस मई को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक होगी। उस दौरान राज्यपाल प्रभारी होंगे।’ इसने यह भी


कहा कि दोपहर एक बजे के बाद राष्ट्रपति शासन फिर से बहाल होगा और 11 मई को विधानसभा के प्रधान सचिव जब पूरे दस्तावेजों के साथ आएंगे तो मामले पर गौर किया जाएगा। इसमें परिणाम और कार्यवाही का


वीडियो बंद लिफाफे में लाना शामिल है। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा, ‘आपके सुझाव के मुताबिक हम इस पर गौर करेंगे और आपकी निगरानी में शक्ति परीक्षण हो सकता है।’ हलफनामे पर गौर करने के बाद पीठ ने


शक्ति परीक्षण कराने के तौर तरीके पर चर्चा की। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी और राजीव धवन ने एजी के सुझाव पर कहा कि उनकी एकमात्र आपत्ति है कि कोई पर्यवेक्षक होना चाहिए जैसे पूर्व


मुख्य चुनाव आयुक्त या पूर्व न्यायाधीश। उन्होंने कहा कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को पर्यवेक्षक के तौर पर अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि इससे विधानसभा की स्वायत्ता प्रभावित होगी जिसका सम्मान किया


जाना चाहिए। वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम कांग्रेस के बागी विधायकों की तरफ से पेश हुए, जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य करार दिया है, कहा कि उन्हें विश्वास मत पर मतदान करने की अनुमति दी जानी


चाहिए और उनके वोट को बंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए। इस पर रावत के वकीलों ने आपत्ति जताते हुए कहा, ‘नौ बागी विधायक ‘अवांछित व्यक्ति’ हैं और वे विधानसभा के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते।’ सिंघवी ने


हलफनामा दिया कि अयोग्य विधायकों का मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जो संविधान के अनुच्छेद 356 से संबंधित है। वे पूरी न्यायिक प्रक्रिया को टाल नहीं सकते। पीठ ने यह भी कहा, ‘अभी तक गलत या सही


आप (बागी विधायक) अयोग्य हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत आदेश पारित करते हुए आपको अयोग्य करार दिया जो न्यायिक समीक्षा के तहत है।’ पीठ ने कहा, ‘वे वोट देने के हकदार


नहीं हैं क्योंकि वे अयोग्य करार दिए गए हैं। यह तब तक रहेगा जब तक वे अयोग्य रहेंगे।’ इसने आगे कहा कि वह केवल शक्ति परीक्षण के मुद्दे को देख रही है क्योंकि एजी ने बताया है कि केंद्र ने इस बारे


में सुझाव को स्वीकार किया है। केंद्र ने चार मई को शीर्ष अदालत से कहा था कि उत्तराखंड विधानसभा में इसकी निगरानी में शक्ति परीक्षण कराने की संभावना तलाशने के सुझाव पर वह गंभीरता से गौर कर रही


है और इस पर ठोस निर्णय किया जाएगा। उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की अपील पर अदालत सुनवाई कर रही है जिसने राज्य में राष्ट्रपति शासन को खत्म कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 22


अप्रैल को उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर 27 अप्रैल तक स्थगन दे दिया था, जिसने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने को रद्द कर दिया था। 27 अप्रैल को इसने अगले आदेश तक स्थगन बढ़ा दिया था। उत्तराखंड


में राष्टÑपति शासन के बाबत सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने हरीश रावत को नई संजीवनी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हरीश रावत को विधानसभा में दस मई को बहुमत साबित करने का मौका दिया है। सुप्रीम कोर्ट का


फैसला आने के बाद कांग्रेसियों ने देहरादून में प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय में आतिशबाजी की। वहीं भाजपा ने 10 मई को होने वाली बैठक की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कहा


कि सभी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देहरादून में पत्रकारों से बात करते हुए हरीश रावत ने कहा कि वे 10 मई को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करके


दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा और बसपा के विधायक उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों को खरीदने और तोड़ने वाले भाजपा के नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले


से सबक लेना चाहिए। रावत ने दावा किया कि कांग्रेस के 27 पीडीएफ और बसपा के 6 विधायक उनके साथ हैं। इस तरह बहुमत उनके पास है। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि विधानसभा में 10 मई हरीश


रावत बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। उनकी सरकार 18 मार्च को भी अल्पमत में थी, और आज भी हरीश रावत अल्पमत में हैं। 18 मार्च को भाजपा ने कांग्रेस विधायकों से रावत सरकार के खिलाफ अंतरआत्मा की आवाज


पर वोट देने की अपील की थी, तो हमारे साथ कांग्रेस के 9 विधायक आ गए। अब फिर हमने कांग्रेस के बचे विधायकों से हरीश रावत के खिलाफ 10 मई को विधानसभा में अंतरआत्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की


है। अब 9 से ज्यादा कांग्रेस विधायक हरीश रावत के खिलाफ वोट देकर हमारे साथ आ जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा ने अपने सभी 27 विधायकों को देहरादून बुलाया है। भाजपा के राष्टÑीय


महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय देहरादून पहुंच गए हैं। उन्होंने उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ देहरादून में पार्टी प्रदेश मुख्यालय में गोपनीय बैठक की। विजयवर्गीय की योजना बसपा के


विधायक हरीदास और प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चे के विधायक मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश धनै और कांग्रेस में सतपाल समर्थक विधायक राजेंद्र भंडारी, जीतराम, अनसुइया प्रसाद मैखुरी और अन्य विधायकों को


तोड़कर भाजपा के पाले में लाने की है। हरीश रावत के सामने कांग्रेस, पीडीएफ और बसपा के विधायकों को अपने खेमे में एकजुट बनाए रखने चुनौती है। इस समय हरीश रावत के पास कांग्रेस के 27, 1 नामित


विधायक, भाजपा के एक निलंबित विधायक भीमलाल आर्य, पीडीएफ के चार, और बसपा के दो विधायक हैं। जिनकी तादाद कुल मिलाकर 35 बैठती है। यदि रावत 10 मई तक अपने इन सभी विधायकों को एकजुट रख पाते हैं तो


उन्हें भाजपा को पटखनी देने से कोई नहीं रोक सकता है। फिलहाल विधानसभा में हरीश रावत का गणित उनके पक्ष में हैं और भाजपा के विरोध में। कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को


विधानसभा में शक्ति परीक्षण से अलग रखा है। इस तरह 71 सदस्यीय विधानसभा में अब विधायकों की संख्या 62 रह गई है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद विधानसभा के अधिकारियों ने विधानसभा की 10 मई को


होने वाली बैठक की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं उत्तराखंड के मुख्यसचिव और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने 10 मई को होने वाली विधायकों की बैठक की समीक्षा की। पुलिस महानिदेशक एमए गणपति ने


पत्रकारों को बताया कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। नैनीताल हाई कोर्ट की


एकलपीठ के न्यायाधीश यूसी ध्यानी कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता के मामले में शनिवार को सुनवाई करेंगे। वहीं भाजपा भीमलाल आर्य की सदस्यता खारिज करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के


खिलाफ नैनीताल हाई कोर्ट जा रही है।