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उत्तराखंड में जारी सियासी संकट के बीच रविवार को कांग्रेस के बागी विधायकों का नेतृत्व कर रहे बर्खास्त मंत्री हरक सिंह रावत के कार्यालय को सील कर दिया गया। विधानसभा स्थित उनके कार्यालय से
स्टाफ को भी बाहर निकाल दिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक फिर भाजपा पर विधायकों की खरीदफरोख्त का आरोप लगाया है। अपना कार्यालय सील किए जाने के बाद हरक सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री
बौखला गए हैं। मेरे खिलाफ बड़ी साजिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों ने उनके कार्यालय की फाइलें भी फाड़ी हैं। कार्यालय को सील कर चाबी मुख्यमंत्री को सौंपी गई
है। हरक सिंह ने कहा कि दलबदल कानून के तहत उन्हें जो नोटिस भेजा गया है, वह गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में मतदान से एक घंटे पहले मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने चैंबर में बुलाकर मनचाहा
विभाग देने की पेशकश की थी, जिन्हें उन्होंने ठुकरा दिया था। हरक ने कहा कि उनकी सीएम बनने की कोई चाहत नहीं है। राज्य में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। हम पहले भी इसके खिलाफ थे और आगे भी इस पर बोलते
रहेंगे। उन्होंने कहा कि 15 करोड़ रुपये लेने के आरोप बेबुनियाद हैं। हम बिकाऊ नहीं हैं। कांग्रेस के नौ विधायकों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था लेकिन उन्हें अभी वक्त नहीं मिल पाया है।
विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को उनकी सदस्यता खत्म करने को लेकर नोटिस जारी किया है। इन सभी से 26 मार्च की शाम 5 बजे तक अपना जवाब देने को कहा गया है।
नोटिस विधायकों के सरकारी आवासों के बाहर भी लगा दिए गए हैं। कांग्रेस में गंभीर नेतृत्व संकट है। वह डूबता जहाज बन गई है और उसके नेता मौका मिलते ही इसे छोड़ रहे हैं। – श्रीकांत शर्मा, राष्ट्रीय
सचिव भाजपा</p> ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार में मिली हार के बाद खरीद-फरोख्त, धन बल के दुरुपयोग से चुनी गई सरकारों को गिराना भाजपा का नया माडल बन गया है। लोकतंत्र और हमारे संविधान पर
हुआ यह हमला सबसे पहले अरुणाचल में देखा गया और अब उत्तराखंड में इसे आजमाया