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कृष्ण कौशिक। बिना यूजर्स की जानकारी के उसकी गोपनीय सूचनाओं को तीसरी पार्टी के साथ शेयर करने का आरोप झेल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नमो एप आपकी 22 सूचनाएं आपसे लेता है। अगर आप कांग्रेस
के एप को डाउनलोड करने हैं तो आपको 10 जानकारियां देनी पड़ेगी। वहीं समाजवादी पार्टी के एप को आप मात्र 3 सूचनाएं देकर डाउनलोड कर सकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस के एक विश्लेषण में पता चला है कि नमो
एप आपसे जिन 22 जानकारियों को मांगता है। उसमें लोकेशन, फोटोग्राफ, संपर्क सूत्र, फोन और कैमरा से जुड़ी सूचनाएं शामिल है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएमओ इंडिया एप को यूजर्स का मात्र
14 डाटा प्वाइंट चाहिए। जबकि इलेक्ट्रानिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय द्वारा नागरिकों के साथ संवाद के लिए डेवलप किया गया एप मात्र 9 जानकारियां शेयर करने के लिए आपको कहता है। अगर हम दूसरे
कमर्शियल एप्स के साथ नमो एप की तुलना करें तो पाएंगे कि एमेजॉन एप को 17 जानकारियां चाहिए, पेटीएम आपसे 26 तरह की सूचनाएं लेता है जबकि दिल्ली पुलिस के एप को 25 प्वाइंट सूचनाएं चाहिए। हालांकि इन
एप द्वारा दी जाने वाली सेवाएं बड़े रेंज में होती हैं।
शनिवार को ट्विटर हैंडल @fs0c131y ने दावा कि किया कि हो सकता है नमो एप बिना यूजर की सहमति के उसकी सूचनाएं एक तीसरी पार्टी को शेयर कर रहा है। इस शख्स ने इंडियन एक्सप्रेस को अपनी पहचान फ्रेंच
सिक्युरिटी एक्सपर्ट के तौर पर बताई और अपना नाम रॉबर्ट बैपतिस्ते बताया। शख्स का कहना है जिस कंपनी को सूचनाएं शेयर की जा रही है वह अमेरिका स्थित क्लेवर टैप है। इधर नरेंद्र मोदी एप में हाल में
कुछ बदलाव किया गया है। इस एप में लिखा गया है कि, ‘बेहतर यूजर एक्सपीरियंस के लिए आपकी कुछ सूचनाएं तीसरी पार्टी की सर्विस के साथ शेयर की जा सकती है।’ एप के मुताबिक जिन सूचनाओं को तीसरी पार्टी
को दी जा सकती है वे सूचनाएं हैं, नाम, ईमेल, मोबाइल फोन नंबर, डिवाइस की जानकारी, लोकेशन और नेटवर्क करियर।
हालांकि पहले इस एप की पॉलिसी में लिखा था कि आपकी व्यक्तिगत सूचनाएं, संपर्क डिटेल गोपनीय रहेंगे और इसका इस्तेमाल यूजर्स के साथ संवाद करने के अलावा किसी दूसरे उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा।
एप की पॉलिसी में पहले स्पष्ट लिखा था, “आपकी सूचनाएं बिना आपकी इजाजत के किसी तरह से तीसरी पार्टी को नहीं दी जाएगी।” इस बावत जब बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय से संपर्क किया गया और पूछा
गया कि क्या यूजर्स की जानकारियां तीसरी पार्टी के साथ बिना उसके इजाजत की शेयर की गईं थी तो उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
हालांकि शनिवार को भेजे गये कुछ प्रश्नों के जवाब में उन्होंने रविवार को बताया कि नमो एप से जिस डाटा को तीसरी पार्टी के साथ शेयर किया जाता है वो विश्लेषण के लिए है, जैसा विश्लेषण गूगल
एनालिटिक्स करता है। उन्होंने कहा, “डाटा को ना तो संग्रह किया जाता है और ना ही थर्ड पार्टी सर्विस द्वारा इसका किसी तरह इस्तेमाल किया जाता है, डाटा का विश्लेषण और उसकी प्रोसेसिंग यूजर्स को
अच्छी से अच्छी और प्रासंगिक जानकारी देने के लिए की जाती है। इससे यूजर्स को अपने पसंद के मुताबिक जानकारी मिलती है।”
बता दें कि दूसरे राजनीतिक दल भी मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए एप का इस्तेमाल करते है। अगर आप कांग्रेस का ‘विद आईएनसी’ एप डाउनलोड करते हैं तो आपको 10 सूचनाएं एप को मुहैया करानी
पड़ेगी। जबकि अनिल यादव नाम के व्यक्ति द्वारा पब्लिश की गई समाजवादी पार्टी के एप को डाउलनोड करने के लिए आपको मात्र 3 सूचनाएं देनी पड़ेगी। अनिल यादव अपने वेरीफाइड ट्विटर अकाउंट पर खुद को सपा
का मीडिया प्रवक्ता बताते हैं।
नमो एप को आप बिना ईमेल या फोन नंबर डाले भी डाउनलोड कर सकते हैं। लेकिन गेस्ट मोड में आप एप की अधिकतर सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय का कहना है कि नमो एप जब
यूजर्स के कुछ खास जानकारियों को मांगता है तो इसका मकसद प्रासंगिक और विशिष्ट सूचनाएं देना होता है। इधर शनिवार को रॉबर्ट बैपतिस्ते ने ट्वीट कर कहा कि जब आप नरेंद्र मोदी एप पर प्रोफाइल बनाते
हैं कि आपके फोन की सभी सूचनाएं (ओएस, नेटवर्क, करियर) इेमेल, फोटो, जेंडर, नाम आपकी इजाजत के बिना तीसरी पार्टी के पास जिसका वेबसाइट in.wzrkt.com है भेज दिया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस बात करते
हुए उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि ‘निजी’ सूचनाएं ‘यूजर्स की जानकारी के बिना’ शेयर की जाती है। उन्होंने कहा कि इन डाटा का इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जा सकता है, उदाहरण के लिए जैसा
कि कुछ लोगों ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के लिए किया है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मानसून आया था। 2023 में 8 जून को; 2022 में 29 मई को; 2021 में 3 जून को; 2020 में 1 जून को; 2019 में 8 जून को; और 2018 में 29
मई को।